झारखण्ड धार्मिक बोकारो

अंतरदृष्टि के विकास के लिए ध्यान आवश्यक : उपासिका विमला

बोकारो : चास के पुराना कुलदीप टॉकीज कॉम्प्लेक्स स्थित माणकचंद छल्लाणी निवास स्थान में चल रहे नौदिवसीय पर्युषण पर्वाराधना के क्रम में शनिवार को ध्यान दिवस मनाया गया। जैन श्वेतांबर तेरापंथ सभा की ओर से मनाए जा रहे इस पर्युषण पर्व के दौरान कोलकाता से पधारीं उपासिका श्रीमती विमला मनोत एवं श्रीमती सरला छाजेर ने मानव जीवन में ध्यान और अध्यात्म की महत्ता पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि ध्यान विकास का माध्यम है। ध्यान धर्म की एक श्रृंखला है। केवल इंद्रिय चेतना में धर्म को जाना नहीं जा सकता। अतिन्द्रिय चेतना के स्तर पर जाने के लिए ध्यान ही माध्यम है। बाह्यध्यान से अंतर-जगत में जाने से अंतरदृष्टि का विकास होता है।

उन्होंने कहा कि चित्त को किसी एक लक्ष्य पर स्थिर करना है ही ध्यान कहलाता है। वैराग्य, तत्व-विज्ञान, समचित्तता तथा निग्रंथता आदि की प्राप्ति में उन्होंने ध्यान की भूमिका पर प्रकाश डाला और इन्हें ध्यान का उद्देश्य बताया। उन्होंने भगवान महावीर, बुद्ध, पैगम्बर, राजा जनक आदि के प्रसंगों की चर्चा करते हुए इनकी महत्ता बतायी।इसके बाद अब रविवार को संवत्सरी महापर्व मनाया जाएगा और सोमवार को क्षमापना दिवस के साथ इस नौदिवसीय पर्यूषण पर्व का समापन होगा। ध्यान दिवस के प्रवचन सत्र के दौरान मुख्य रूप से विनोद चोपड़ा, मदन चौरड़िया, राजेश कोठारी, अरिहंत जैन, जितोष पारख, बबीता कोठारी, कनक जैन, किरण लोधा सहित जैन श्वेताम्बर तेरापंथ समाज के लोग बड़ी संख्या में उपस्थित थे। इस आशय की जानकारी जैन समाज की ओर से तेरापंथ समाज के मीडिया प्रभारी सुरेश बोथरा ने दी।

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