कसमार झारखण्ड बोकारो

कसमार में बेझा बिंधा प्रथा, जानें कैसी है ये अनोखी प्रतियोगिता।

लक्ष्मण ने जीता , तो उसे मिला खेत।

कसमार (ख़बर आजतक) : बोकारो के कसमार प्रखंड में एक रोचक तीरंदाजी प्रथा सदियों से चली आ रही है. इस तीरंदाजी प्रतियोगिता के विजेता को साल भर के लिए एक खेत इनाम में दिया जाता है. मकर संक्रांति के अवसर पर होने वाली इस प्रतियोगिता को बेझा बिंधा के नाम से लोग जानते हैं. कसमार के मंजूरा गांव में मकर संक्रांति के अवसर आज बेझा बिंधा प्रतियोगिता आयोजित हुई.


इस बार इस प्रतियोगिता के विजेता का लक्ष्मण तुरी हुए . विजेता घोषित होने के बाद इलाके के लोगों ने परंपरा के अनुसार उन्हें कंधे पर उठाकर पूरे गांव में घुमाया. इस प्रतियोगिता में करीब 50 प्रतिभागियों ने काफी उत्साह के साथ भाग लिया था. इस दौरान काफी संख्या में ग्रामीण मौजूद थे. बता दें कि मंजूरा के रहनेवाले रीतवरण महतो (अब दिवंगत ) ने करीब 100 साल पहले इस अनूठी परंपरा की शुरुआत की थी. तब से हर वर्ष काफी उत्साह और उमंग के साथ यह प्रतियोगिता आयोजित होती आ रही है.


इस प्रतियोगिता के तहत निशाना साधने के लिए खेत के बीचों-बीच केला का एक तना गाड़ दिया जाता है. उसके बाद गांव के सभी जाति-धर्म के लोग इस पर तीर से निशाना लगाते हैं. जिस व्यक्ति का निशाना सबसे पहले लगता है, उसे साल भर के लिए एक खेत उपहार में दिया जाता है. इसके लिए प्रतियोगियों से कोई राशि या विजेता से कोई लगान नहीं लिया जाता है. इस परंपरा को शुरू करने वाले रितवरण महतो के वंशज पूर्व प्रमुख विजय किशोर गौतम ने बताया कि यह परंपरा बरसों से चली आ रही है. इस प्रतियोगिता की शुरुआत हमारे परिवार द्वारा तीर चला कर की जाती है. उसके बाद गांव के प्रतियोगी अपना निशाना साधते हैं. इस प्रतियोगिता में शामिल होने के लिए जाति-धर्म का बंधन नहीं. ग्रामीणों ने बताया कि इस परंपरा से पहले आसपास के सभी गांव में ढोल बजाकर इसकी सूचना दी जाती है. उसके बाद प्रतियोगिता के दिन सुबह-सुबह स्नान कर बॉल खेलने के साथ क्षेत्र में इस परंपरा को पूरा करने का काम किया जाता है. इस दौरान सुमित्रा नंदन महतो, गिरिवर कुरम महतो, तेजनारायण महतो, ओमप्रकाश महतो, जानकी महतो, तेजू महली , गौतम सागर, वंशीधनदार महतो, मिथिलेश मंटू तुरी आदि उपस्थित थे।

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