![](http://khaberaajtak.com/wp-content/uploads/2024/11/IMG-20241106-WA0256-1024x938.jpg)
पंकज सिन्हा, पेटरवार
पेटरवार : पेटरवार के आसपास के क्षेत्रों में छठ के गीतों से पूरा वातावरण गूंज रहा है। छठ पूर्व के दूसरे दिन बुधवार को खरना के दिन से ही छठ के मुख्य निर्जला व्रत का आरंभ हो जाता है। इस दिन मिट्टी के चूल्हा पर खीर और गुड का रसिया बनाया जाता है। इसके लिए पीतल के बर्तन का प्रयोग किया जाता है।
![](http://khaberaajtak.com/wp-content/uploads/2024/10/Screenshot_2024-10-09-21-52-23-237_com.miui_.gallery-edit-1-1024x672.jpg)
यह खीर बहुत ही शुद्धता और पवित्रता के साथ बनाई जाती है। खीर के अलावा गुड़ की अन्य मिठाई ठेकुआ आदि भी बनाए जाते हैं। खरना की यह खास खीर सिर्फ और सिर्फ व्रती ही बनता है। पूरे दिन व्रत रखने के बाद शाम के समय व्रत रखने वाले व्यक्ति कमरा बंद करके ही खीर का सेवन करते हैं। इसके बाद पूरे परिवार व्रती से आशीर्वाद लेते हैं साथ ही सुहागन महिलाएं व्रती महिलाओं के सिंदूर लगाती है। शाम मे मिट्टी के ढकना या केले के पत्ते पर खीर के कई भोग लगाया जाता हैं। अलग-अलग देवी देवताओं छठ मैया सूर्य देव को भोग लगाया जाता है। इसके बाद छठी मैया का ध्यान करते हुए अर्पित करने के बाद व्रती महिलाएं इसे ग्रहण करती है। ग्रहण करने के बाद से ही छठ व्रती व्यक्ति निर्जला व्रत रखते हैं। इसी दिन शाम से लगभग 36 घंटे का निर्जला व्रत का आरंभ हो जाता है। खरना से जो उपवास आरंभ होता है वह सप्तमी तिथि के दिन अर्घ्य देने के साथ ही समाप्त होता है।