नितिश मिश्र, राँची
रांची (ख़बर आजतक) : झारखंड प्रदेश राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के महासचिव एवं मीडिया प्रभारी कैलाश यादव ने एक प्रेस बयान जारी कर उत्तर प्रदेश के इटावा में कथावाचकों पर हुए जातीय हमले को लेकर तीव्र नाराज़गी जताई है। उन्होंने इसे भारतीय लोकतंत्र और सामाजिक समरसता पर गहरा आघात बताया।
उन्होंने कहा कि देश को आज़ाद हुए 75 वर्ष हो चुके हैं, बावजूद इसके जातीय भेदभाव और मनुवादी सोच आज भी समाज में जीवित है। उत्तर प्रदेश के इटावा में कथावाचक मुकुट सिंह और संत सिंह यादव के साथ जातिगत आधार पर की गई बर्बरता, मारपीट और अपमानजनक व्यवहार को उन्होंने “अत्यंत निंदनीय और अमानवीय” करार दिया।

कैलाश यादव ने सवाल उठाया कि भगवान श्रीकृष्ण के उपदेश गीता को जन-जन तक पहुंचाने वाले कथावाचकों के साथ ऐसा व्यवहार, क्या यही सामाजिक न्याय है? उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भले ही सबका साथ, सबका विकास की बात करें, लेकिन भाजपा शासित राज्यों में यादव, दलित, आदिवासी और पिछड़ों के साथ अन्याय की घटनाएं लगातार सामने आ रही हैं।
उन्होंने पूर्व की घटनाओं का ज़िक्र करते हुए मध्यप्रदेश में आदिवासी के साथ पेशाब कांड, और उड़ीसा में दलित बच्चों के साथ दुर्व्यवहार की भी कड़ी निंदा की। उन्होंने कहा कि “देश में यदि शासन-प्रशासन ने समय रहते सख्ती नहीं दिखाई, तो यह मानसिक गुलामी की ओर बढ़ते खतरे का संकेत है।”
राजद नेता ने यह भी कहा कि इस संवेदनशील विषय पर देश के शीर्ष नेताओं की चुप्पी दुर्भाग्यपूर्ण है। उन्होंने प्रधानमंत्री मोदी, गृहमंत्री अमित शाह, विपक्ष के नेता राहुल गांधी, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और झारखंड के नेताओं से सवाल किया कि “क्या सामाजिक न्याय के मुद्दे पर आपकी जुबान बंद है?”
अंत में कैलाश यादव ने चेतावनी देते हुए कहा कि देश में 90 प्रतिशत से अधिक आबादी पिछड़ों, दलितों और आदिवासियों की है, और यदि उनके सब्र का बांध टूटा, तो समाज में खतरनाक असंतुलन उत्पन्न हो सकता है। राजद इस पूरे घटनाक्रम की कड़ी निंदा करता है और दोषियों पर कठोर कार्रवाई की मांग करता है।