अभाविप ने झारखंड प्रतियोगी परीक्षा विधेयक के विरोध में जलाया हेमंत सोरेन का पुतला
नितीश_मिश्र
राँची(खबर_आजतक): अभाविप ने रविवार को प्रेसवार्ता कर कहा कि वर्तमान में हेमंत सरकार के द्वारा सदन में रॉलेट एक्ट की भाँति झारखंड प्रतियोगी परीक्षा विधेयक 2023 जो पारित किया गया है यह पूर्णतः असंवैधानिक है। किसी भी छात्र को जाँच किए बिना चार्जशीट दायर कर गिरफ्तार कर तीन वर्षों की जेल व 10 वर्षों तक परीक्षा से निलंबन किस हद तक सही है ? आखिर इस विधेयक के पीछे हेमन्त सरकार की मंशा क्या है, वह राज्य की शिक्षा व्यवस्था को किस गर्त में ढकेलना चाहती है ? इस गैर – संवैधानिक विधेयक के द्वारा सरकार परिसर में पनप रहे नेतृत्व को कुचलना चाहती है। अगर हम भारतीय संविधान पर नज़र डालें तो यह कहता है कि ‘‘दोष सिद्ध न हो जाने तक कोई व्यक्ति दोषी नहीं माना जा सकता है’’ जबकि इस विधेयक के अनुसार सिर्फ आरोप लगने पर ही प्रतियोगियों को परीक्षा देनें से वंचित कर देने का प्रावधान है।
वहीं दूसरे रुप में अगर देखा जाए तो भारतीय न्याय व्यवस्था में इस तरह के मामलों के निर्णय तुरंत नहीं आते। इस प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए उम्र की एक तय सीमा होती है, जाँच के दौरान अगर अधिक वर्ष लग जाता है तो परीक्षार्थियों का जीवन ऐसे ही निष्फल हो जाता है और अगर जाँच के बाद निरपराधी साबित होता है तो भी उसका जीवन बर्बाद हो चुका होता है। जाँच और अन्वेषण की आवश्यकता न होना यह साबित करता है कि यह विधेयक पूर्णत: असंवैधानिक है।
वहीं अभाविप के प्रदेश मंत्री सोमनाथ भगत ने कहा कि जब तक झारखंड सरकार इस काला कानून को वापस नहीं करती है तो अभाविप झारखंड सड़क से सदन तक आंदोलन के लिए बाध्य होगी।
साथ ही आज अभाविप राँची महानगर के द्वारा प्रदेश के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन का पुतला दहन करते हुए इस भ्रष्ट सरकार को यह चेतावनी दी गई कि इस काला कानून को वापस नही किया गया तो विद्यार्थी परिषद सड़क से सदन तक आंदोलन के लिए बाध्य होगी।
इस मौके पर महानगर संगठन मंत्री अभिनव जीत, महानगर मंत्री रोहित शेखर, कार्यालय मंत्री विद्यानन्द राय, ऋतुराज शाहदेव, सौरव यादव, सोनल झा, ओमप्रकाश शुक्ला, प्रलय मेहता आदि उपस्थित थे।