झारखण्ड राँची राजनीति

हेमंत सरकार के संरक्षण में घुसपैठियें फल फूल रहे हैं : अमर कुमार बाउरी

रिपोर्ट : नितीश मिश्र

रांची (ख़बर आजतक) : नेता प्रतिपक्ष अमर कुमार बाउरी ने कहा कि झारखंड की डेमोग्राफी लगातार चेंज हो रही है। भाजपा इस मामले को सदैव प्रमुखता से उठाती रही है। राज्य की डेमोग्राफी चेंज होने के कारण जहां देश की संप्रभुता पर खतरा मंडरा रहा है वहीं आदिवासियों-मूलवासियों की अस्मिता भी खतरे में है। खासकर संताल में बंगाल से सटे जिलों पाकुड़, साहेबगंज के रास्ते भयंकर घुसपैठ हो रही है। इससे हमारी माटी, रोटी, बेटी की अस्मिता का सवाल खड़ा हुआ है।

अमर बाउरी ने कहा कि भाजपा के इस प्रबल दावे को सतारूढ़ दल जेएमएम, कांग्रेस, राजद लगातार खारिज करती रही है। उच्च न्यायालय ने इस मामले में दर्ज जनहित याचिका को गंभीरता से लिया है और इस पर लगातार सुनवाई हो रही है। अदालत ने साफ कहा कि घुसपैठ के कारण डेमोग्राफी चेंज हो रही है। अदालत ने 6 जिलों के डीसी और एसपी को साफ निर्देश दिया है कि इस मामले में वे क्या कर रहे हैं, इसकी सीधी रिपोर्ट करें। प्रेस वार्ता में प्रदेश प्रवक्ता अजय शाह और मीडिया सह प्रभारी योगेन्द्र प्रताप सिंह भी उपस्थित थे।

नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि राज्य सरकार तुष्टिकरण और वोटबैंक की राजनीति के कारण घुसपैठियों के लिए सबसे बड़ी संरक्षक बनी हुई है। इस अति गंभीर समस्या पर राज्य सरकार लीपापोती करने में जुटी हुई है। इसका नतीजा है कि अदालत में राज्य सरकार इससे जुड़ी कोई भी सही रिपोर्ट पेश नहीं करती है। पिछली सुनवाई में उच्च न्यायालय ने राज्य सरकार की तरफ से कोर्ट में डीसी और एसपी द्वारा दिए गए हलफनामा को पूरी तरह खारिज कर दिया था। सुनवाई में अदालत ने राज्य सरकार के साथ केंद्र सरकार को भी इस मामले में अपना मंतव्य रखने का निर्देश दिया था। आज केंद्र सरकार की तरफ से गृह मंत्रालय ने उच्च न्यायालय में एक एफिडेविट दिया है। केंद्र ने माना है कि झारखंड के लिए घुसपैठ एक बड़ा खतरा के रूप में सामने आया है। इसके कारण राज्य की डेमोग्राफी चेंज हुई है। केन्द्र ने इसके लिए झारखंड में NRC लगाने की बात कही है। केन्द्र का कहना है कि आदिवासियों की अस्मिता को बांग्लादेशी घुसपैठ से खतरा है।

अमर बाउरी ने कहा कि राज्य सरकार के संरक्षण में झारखंड में एसपीटी एक्ट का भयंकर उल्लंघन हो रहा है। पाकुड़, साहेबगंज में एसपीटी के जमीन पर अवैध मदरसे बने हैं। मदरसों के माध्यम से आधार कार्ड जैसे जाली दस्तावेज बनाकर यहां अवैध रूप से रह रहे हैं, जमीन की खरीदारी कर रहे हैं। कोर्ट ने यूआईडीएआई को भी हलफनामा के माध्यम से आधार के संदर्भ में अपना मंतव्य देने का निर्देश दिया था। इसी आलोक में यूआईडीएआई ने कोर्ट को एफिडेविट के माध्यम से साफ कहा है कि आधार नागरिकता का प्रमाण नहीं देता है। यह केवल एक यूनिक पहचान पत्र भर है। आधार कार्ड बना लेने भर से कोई भारत का नागरिक नहीं हो जाएगा।

अमर बाउरी ने कहा कि केन्द्र सरकार घुसपैठ को लेकर काफी संवेदनशील रही है। झारखंड में घुसपैठ को लेकर केन्द्र सरकार ने आंकड़ा जारी किया है। केन्द्र के अनुसार संथाल परगना में 1961 में कुल आबादी 23,22092 थी। जिसमें हिन्दु की आबादी 20 98492 यानि कुल आबादी का 90.37 प्रतिशत, मुस्लिम आबादी 2,19,240 यानि 9.43 प्रतिशत, आदिवासियों की आबादी 10,37,167 यानि संताल की कुल आबादी का 44.67 प्रतिशत। 2011 में संथाल में आदिवासी 28 फीसदी, हिन्दु 67.95 फीसदी बचे, वहीं मुस्लिमों की आबादी बढ़कर 22.73 फीसदी हो गई।

संथाल में 1961 में 4 फीसदी क्रिस्चियन थे जो 2011 में 20 फीसदी हो गये, यह बढ़ोतरी 67.48 फीसदी के दर से हुई है। साहिबगंज में 1961 में 20 फीसदी मुस्लिम थे, 2011 में 34.61 फीसदी मुस्लिम हो गये। पाकुड़ में 1961 में 20 फीसदी मुस्लिम थे, 2011 में 35.86 फीसदी मुस्लिम हो गये। पूरे देश में हिन्दुओं की आबादी में औसत गिरावट जहां 4.28 फीसदी रहा वहीं संताल परगना में यह औसत 22.42 प्रतिशत रहा। यह गिरावट नैसर्गिग नहीं था बल्कि घुसपैठ के कारण यह सब हुआ।

अमर बाउरी ने कहा कि केन्द्र सरकार ने राज्य सरकार को कहा है कि राज्य सरकार के पास विशेष पावर है कि वह मुख्य सचिव या उनके समकक्ष किसी पदाधिकारी के नेतृत्व में कमिटी गठित कर ऐसे लोगों को चिन्हित कर उन्हें वापस भेज सकती है। साथ में केंद्र सरकार ने यह भी कहा कि भारत सरकार इस गंभीर मसले के समाधान के लिए अपने हाथ में पूरी ताकत रखती है। संघीय व्यवस्था के कारण राज्य सरकार का क्षेत्राधिकार है कि इस गंभीर विषय पर वह गंभीरता दिखाए, अगर राज्य सरकार ऐसा नहीं कर पाती है तो केंद्र सरकार ऐसे लोगों को चिन्हित करके उन्हें वापस भेजने की पूरी ताकत रखती है। एनआरसी को भी माध्यम बनाया जा सकता है।नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि उच्च न्यायालय ने राज्य सरकार को कमिटी बनाकर इस पर आगे बढ़ने का निर्देश दिया है। साथ ही यह निर्देश भी दिया है कि केंद्र और राज्य दोनों सरकार इस कमिटी को हैंडल करे। कमिटी के लिए जो नाम आएगा उसे न्यायालय देखेगी कि वह सही है या नहीं। अगर न्यायालय को लगेगा तो वह अपनी तरफ से भी कोई नाम प्रस्तावित कर सकती है। उन्होंने कहा कि न्यायालय संप्रभुता बचाने को लेकर सजग और गंभीर है।

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