छतरपुर में बढ़ रही हैं आपराधिक घटनाओं को रोकने के लिए चुनाव बाद आंदोलन में शामिल होने के लिये लोगों से आह्वान
छतरपुर: छतरपुर में आपराधिक घटनाएं बढ़ी है, आए दिन होनेवाली हत्या, लूट, चोरी की घटनाओं से लोगों में दहशत का आलम है। कुछ दिनों पूर्व छतरपुर के फोरलेन पर मसीहानी निवासी संजय डोम की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी, हत्यारों द्वारा सरेराह दिन के उजाले में इस घटना को अंजाम दिया गया था, उसी दिन संतोष साहू को भी थाने के पीछे दुःसाहसी अपराधियों ने गोली मारकर गंभीर रूप से जख्मी कर दिया था हालांकि अपराधी पकड़े गए लेकिन संतोष अब भी रांची के मेडिका अस्पताल में जिंदगी और मौत की जंग लड़ रहे हैं। इन घटनाओं के बाद छतरपुर शहर में दहशत का माहौल है, लोग खुद को असुरक्षित महसूस कर रहे हैं, छतरपुर में चार महीने के अंदर हत्या की कई घटनाएं घटी है, संतोष साहू को गोली मारने वाले अपराधियों को तो पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया लेकिन संजय डोम, शुभम गुप्ता, नरेश ठाकुर, धीरज प्रजापति और बंगाली उरांव हत्याकांड में पुलिस के हाथ अबतक खाली हैं और यही कारण है कि पुलिस की कार्यशैली पर सवाल खड़े हो रहे हैं। संजय डोम के परिजनों का हाल जानने के लिए समाजसेवी और नगर पंचायत के पूर्व अध्यक्ष पद के प्रत्याशी अरविंद गुप्ता चुनमुन उनके घर पहुंचे और परिजनों को ढांढस बंधाया। हत्याकांड के बाद परिजनों का रोते-रोते बुरा हाल है। अरविंद ने इस मौके पर कहा कि कभी अमन चैन से रहने वाले शहर के लोगों का अब जीना मुश्किल हो गया है, अपराधियों को हर हाल में पकड़ने का उन्होंने पुलिस प्रशासन से आग्रह किया, यह भी कहा की चुनाव खत्म होने के बाद अगर अपराधी पुलिस द्वारा नहीं पकड़े गए तो छतरपुर थाना के सामने वे आमरण अनशन पर बैठेंगे। उन्होंने छतरपुर पुलिस को चेतावनी देते हुए कहा कि अपराधी किसी भी हाल में नहीं बख्शे जाएं, वरना छतरपुर के लोग सड़क पर उतरने को विवश हो जाएंगे। अरविंद ने पूर्व में छतरपुर में घटे आपराधिक घटनाओं के खुलासे और आरोपियों को पकड़ने के बावत छतरपुर के एसडीपीओ और थाना प्रभारी से भी बात की उन्होंने आश्वस्त किया है कि अनुसन्धान जारी है जल्द ही अपराधी पकड़ लिए जाएंगे।
संजय डोम के परिजनों ने अरविंद को बताया कि उन्होंने पुलिस को सारी सूचना दे दी है उसके बावजूद अपराधी पकड़े नहीं जा सके हैं।
खैर इलाके के मौजूदा हालात से यह साफ दिखता है कि लोगों में पुलिस के प्रति मायूसी है और अविश्वास का आलम है! ऐसे में पुलिस प्रशासन के सामने सबसे बड़ी चुनौती ये है कि वह जनता के बीच अपना इक़बाल कैसे कायम रख पाए।