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आदिवासी हिन्दू हैं, उन्हें सरना कोड की आवश्यकता नहीं: फूलचंद तिर्की

नितीश_मिश्र

राँची(खबर_आजतक): केंद्रीय सरना समिति एवं अखिल भारतीय आदिवासी विकास परिषद की बैठक मंगलवार को समिति के केंद्रीय कार्यालय 13 आर आई टी बिल्डिंग कचहरी परिसर में हुई। इस बैठक की अध्यक्षता केंद्रीय सरना समिति के केंद्रीय अध्यक्ष फूलचंद तिर्की ने किया। इस बैठक में 30 दिसंबर सरना कोड को लेकर भारत बंद की तैयारी की समीक्षा की गई। इस मौके पर केंद्रीय सरना समिति के केंद्रीय अध्यक्ष फूलचंद तिर्की ने कहा कि सरना कोड को लेकर पूरे आदिवासी समाज में जागरुकता आई है।

वहीं आदिवासी सेंगेल अभियान सालखन मुर्मू के आह्वान पर 30 दिसंबर को झारखंड, बिहार, बंगाल, उड़ीसा, मध्य प्रदेश, असम, छत्तीसगढ़, गुजरात एवं अन्य राज्यों के आदिवासी सड़कों पर उतरकर रेल रोड सड़क जाम करेंगे। उन्होने कहा कि बंद की पूर्व संध्या में 29 दिसंबर को राँची, लोहरदगा, गुमला, हजारीबाग एवं अन्य जगहों के प्रमुख स्थलों पर मसाल जुलूस निकाला जाएगा।

इस दौरान फूलचंद तिर्की कहा कि 24 दिसंबर को जनजाति सुरक्षा मंच के द्वारा मोरहाबादी मैदान में डस्टिंग रैली में आदिवासी को हिंदू बनाने वाला रैली साबित हुआ। डिलिस्टिंग रैली में नेताओं ने कहा कि आदिवासी हिन्दू है, उन्हें सरना कोड की आवश्यकता नहीं है जबकि प्राकृतिक पूजक आदिवासी वर्षों से अपनी अलग पहचान सरना कोड की लड़ाई लड़ रहे हैं।

अखिल भारतीय आदिवासी विकास परिषद के अध्यक्ष सत्यनारायण लकड़ा ने कहा कि सरना कोड के मुद्दे से भटकने वाला डस्टिंग महारैली था। केंद्रीय सरना समिति एवं अखिल भारतीय आदिवासी विकास परिषद हमेशा से धर्मांतरण डीलिस्टिंग सरना कोड जल, जंगल, जमीन की लड़ाई लड़ती रही है। उन्होंने कहा कि सरना कोड ऐसा जादू है जिसके मिलते ही हिन्दू, मुसलमान, सिख, इसाई, जैन बहुत धर्मांतरित लोग डीलिस्टिंग हो जाएँगे।

इस मौके पर केंद्रीय सरना समिति के महासचिव संजय तिर्की, उपाध्यक्ष प्रमोद एक्का, सचिव विनय उराँव, पंचम तिर्की मौजूद थे।

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