राँची

उद्योग सचिव की अध्यक्षता में औद्योगिक विकास हेतू समीक्षात्मक बैठक

राज्य मे नये निवेश को बढावा देने के साथ पुराने स्टेकहोल्डर्स की समस्याओं के निराकरण के लिए सरकार प्रतिबद्ध : वंदना डाडेल

राज्य के औद्योगिक विकास हेतू उद्योग विभाग और स्टेकहोल्डर्स से सीधा संवाद आवश्यक : किशोर मंत्री

राज्य सरकार का प्रयास सराहनीय : अभिषेक रामाधीन

नितीश_मिश्र

राँची(खबर_आजतक): झारखण्ड बनने के बाद पहली बार उद्योग विभाग के उच्चाधिकारियों का एक साथ जुटान गुरुवार को चैंबर भवन में हुआ और ऐेतिहासिक बैठक संपन्न हुई। इस बैठक में उद्योग सचिव, उद्योग निदेशक के अलावा जियाडा के सभी रिजनल डायरेक्टर की उपस्थिति में स्टेकहोल्डर्स के साथ सीधा संवाद किया गया।

राज्य में नए निवेश को बढावा देने के साथ वैसे निवेशक जो पहले से झारखण्ड में निवेश किये हुए हैं, उनकी समस्याओं के निराकरण के लिए सरकार प्रतिबद्ध है। उद्योग सचिव वंदना डाडेल ने कहा कि झारखण्ड में निवेशकों को प्राथमिकता देने के उद्देश्य से राज्य में नई औद्योगिक एवं प्रोत्साहन नीति बनाई गई है। सरकार की कोशिश है कि सिंगल विंडो सिस्टम के तहत सभी निवेशकों के आवेदन को ससमय निष्पादित किया जाय। उन्होंने कहा कि राज्य में उद्योगों की स्थापना के लिए लंबित आवेदनों को खत्म करना विभाग और सरकार की प्राथमिकता है।

चैंबर अध्यक्ष किशोर मंत्री ने कहा कि राज्य के औद्योगिक विकास के लिए जरूरी है कि उद्योग विभाग और स्टेकहोल्डर्स का सीधा संवाद हो। हम राज्य के विकास से जुडी सरकार की हर नीतियों के क्रियान्वयन हेतु प्रतिबद्ध हैं, आवश्यक है कि उद्योग विभाग द्वारा भी हमें विकासशील नीतियों में सहभागी बनाया जाय और संवाद की इस कड़ी को जारी रखा जाय। साथ ही उन्होंने जियाडा द्वारा लैंड एलॉटमेंट पद्यति में संशोधन की आवश्यकता, औद्योगिक क्षेत्र में आवंटित भूमि पर कब्जा में परेशानी, सब्सिडी के रिम्बर्समेंट में समस्या, डेट ऑफ प्रोडक्शन सर्टिफिकेट के मिलने में विलंब, राजस्व संग्रह में वृद्धि के साथ ही रोजगार सृजन हेतू बंद पडे खदानों को जल्द चालू करने तथा सिंगल विंडो सिस्टम के पूर्णरूपेण कार्यरत नहीं रहने के कारण हो रही समस्याओं से अवगत कराया। यह भी कहा कि सरकार की ओर से एमएसएमई से 25 फीसदी प्रोक्योरमेंट होना चाहिए जो आज किसी कारण से नहीं होता। यदि एमएसएमई से 25 फीसदी प्रोक्योरमेंट होने लगे तो आज जो यूनिटस बैठी हुई हैं, वे अपने प्रोडक्शन को बढायेंगी और जो 60-70 फीसदी क्षमता पर चल रहे हैं, वे 100 फीसदी क्षमता से चलेंगी। एमएसएमई को समय पर भुगतान नहीं मिल पाना भी इनके विकास में मुख्य बाधक है। उद्योग विभाग को इस मामले की समीक्षा करनी चाहिए।

राज्य के उद्यमियों की ओर से प्राप्त समस्याओं का संकलन कर झारखण्ड चैंबर ऑफ कॉमर्स द्वारा उद्योग सचिव को ज्ञापन भी सौंपा गया। उद्योग उप समिति के चेयरमेन बिनोद अग्रवाल और उद्यमी अजय भंडारी ने संयुक्त रूप से कहा कि उद्योग विभाग को बाहरी निवेशकों को प्राथमिकता देने के बजाय स्थानीय उद्यमियों को प्रोत्साहित करने की पहल करनी चाहिए क्योंकि हम ही रियल इन्वेस्टर्स हैं। जब पूर्व से स्थापित उद्योगों की हालत ठीक होगी, तब नए निवेश स्वतः ही आयेंगे। यह भी अवगत कराया कि जियाडा द्वारा भूमि के आंशिक हस्तांतरण की अनुमति देते हुए नये पट्टेदार से 100 प्रतिशत भुगतान की मांग की जाती है जबकि 15 प्रतिशत की दर से एक बार आंशिक हस्तांतरण की अनुमति देनी चाहिए। साथ ही उन्होंने प्रोक्योरमेंट पॉलिसी के क्रियान्वयन में आ रही समस्या, देवीपुर और बरही औद्योगिक क्षेत्र में उद्यमियों को आवंटित किए गए भूमि पर पोजेशन में आ रही लोकल समस्या, उद्योग विभाग में मानवीय हस्तक्षेप को कम करने की बात कही। यह भी अवगत कराया कि जियाडा नये उद्योगों को प्रस्तावित उद्योग के नक़्शे को सीईओ से अनुमोदित कराने के लिए कह रहा है और फिर कारखानों के मुख्य निरीक्षक द्वारा अनुमोदित कराने से अनुमोदन प्राप्त करने में अनावश्यक विलंब होता है। यह सुझाया कि कारखानों के मुख्य निरीक्षक से नक्शा स्वीकृत कराकर जियाडा को जमा करने की पुरानी व्यवस्था को बहाल किया जाय। औद्योगिक क्षेत्र में इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट पर उन्होंने नाराजगी जताते हुए कहा कि जहाँ एक ओर औद्योगिक क्षेत्रों में बुनियादी ढाँचा जैसे पानी, नालियां और स्ट्रीट लाइट गायब हैं, वहीं अनावश्यक गतिविधियों पर भारी मात्रा में राशि खर्च की जा रही है। जबकि इस कार्य में जियाडा को स्टेकहोल्डर्स का सहयोग और परामर्श लेना चाहिए। हर दो माह में यदि जियाडा द्वारा संवाद की व्यवस्था की जाए तब निश्चित ही औद्योगिक क्षेत्रों को आदर्श के रूप में विकसित किया जा सकता है।

इस बैठक के दौरान उद्यमियों ने कई और समस्याएं भी रखीं जिनमें लीज डीड को 30 वर्ष से 90 वर्ष करने, प्रोडक्शन सर्टिफिकेट देने की व्यवस्था ऑनलाइन करने, पावरकट से औद्योगिक उत्पादन में कठिनाई, नये इंटरप्रिन्योर को प्रोत्साहित करने की दिशा में पहल, औद्योगिक नीति के तहत घोषित सब्सिडी मिलने में विलंब, जेएसएमडीसी से कोयला प्राप्त करनेवाली इकाइयों की समस्या के साथ ही अन्य कई सुझाव दिये गये।

उद्योग निदेशक जितेंद्र कुमार सिंह ने आश्वस्त किया कि राज्य के उद्यमियों के प्रोत्साहन हेतु उद्योग विभाग द्वारा हर स्तर पर कार्रवाई की जायेगी। यह भी अवगत कराया कि एडवांटेज झारखण्ड पोर्टल के माध्यम से सिंगल विंडो सिस्टम से ही उद्योग विभाग से जुडे सारे क्लियरेंसेस समयबद्ध रूप से क्लियर किये जा रहे हैं जिसकी रियल टाइम मॉनिटरिंग की जा सकती है। उन्होंने यह भी अवगत कराया कि वित्तिय वर्ष 2022-23 में पीएम गति शक्ति योजना के तहत ₹169 करोड़ के प्रोजेक्ट स्वीकृत हुए हैं जिस अंतर्गत निरसा में 35 एकड़ भूमि पर लॉजिस्टीक पार्क का निर्माण और राँची में ट्रांसपोर्ट नगर का निर्माण होना है। इंफ्रास्ट्रक्चर सेक्टर में डेवलपमेंट होने से लॉजिस्टीक सेक्टर में मोमेंटम जेनरेट होगा। औद्योगिक क्षेत्र की इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट पर उन्होंने उद्यमियों की बात को स्वीकार करते हुए कहा कि उद्यमियों के हिसाब से ही योजनाओं को गति दी जायेगी। यह भी कहा कि सब्सिडी के रिम्बर्समेंट में विभाग के साथ ही उद्यमियों द्वारा भी आवेदन देने में विलंब किया जाता है जिस कारण रिम्बर्समेंट में विलंब होता है। यह अवगत कराया कि वित्तिय वर्ष 20-21 में 87.39 करोड़, 21-22 में 149 करोड़ और 22-23 में ₹52.77 करोड़ का सब्सिडी डिस्बर्समेंट किया गया है। साथ ही उन्होंने देवघर प्लास्टिक पार्क में खाली पड़े भूखण्डों में उद्यमियों से आवेदन करने की अपील की।

उद्योग सचिव वंदना डाडेल ने सभी समस्याओं पर साकारात्मक रुख दिखाते हुए विभाग और स्टेकहोल्डर्स के आपसी समन्वय से समस्याओं के निष्पादन की बात कही। यह भी कहा कि आप सुझाव दें और अपने आइडिया शेयर करें। कहीं भी कोई समस्या हो, दिक्कत आये तो बात करें। सरकार आपके साथ खडी है। राज्य में उद्योग की स्थापना एवं विकास की ओर हम मिलकर आगे बढेंगे। उन्होंने राज्य के आर्थिक विकास में स्थानीय उद्यमियों के योगदान की सराहना की और बैठक में उपस्थित जियाडा के रिजनल डायरेक्टर से इन्टरप्रिन्योर्स को मोटिवेट करने के लिए निर्देशित किया। यह भी कहा कि राज्य के उद्यमी ग्राउण्ड रियालिटी से अवगत हैं, इसलिए आप हमें वास्तविक कठिनाईयां बताते रहें, अन्य राज्यों की बेस्ट पॉलिसी भी बतायें, हम समीक्षा कर, कार्य आगे बढायेंगे। मोर्गेज और लीज अवधि बढाने पर भी उन्होंने कहा कि दूसरे राज्यों की पॉलिसी की समीक्षा कर, उचित सुधार किया जाएगा। उन्होंने कहा कि औद्योगिक निवेश के अनुकूल नीतियों को क्रियान्वित करने के लिए विभाग स्वयं भी इसपर कार्रवाई कर रहा है। विभाग द्वारा 18 राज्यों के विभागों से वार्ता की गई है, अन्य राज्यों में भी हमारी टीम जाकर उनकी नीतियों की समीक्षा करेगी। मामले अधिक दिनों तक लंबित न हो, इस हेतु प्रत्येक दो माह में समीक्षात्मक बैठकों पर भी विचार किया जायेगा। बंद पडे खदानों को खोलने, कोल खरीदी में हो रही समस्या और इथनॉल पॉलिसी में आवश्यक संसोधन के सुझाव पर भी उन्होंने खनन विभाग के साथ वार्ता की बात कही। औद्योगिक क्षेत्र के इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट पर उन्होंने औद्योगिक क्षेत्र के उद्यमियों के साथ परामर्श करने और उनका सहयोग लेने की भी बात कही। यह भी अवगत कराया कि विभाग द्वारा एकेडमिक इंस्टीच्यूसंस के साथ संवाद के प्रयास को गति दी जा रही है। एक्सएलआरआई और एक्सआईएसएस, आईएमए के साथ इस प्रयास को बढाया जायेगा। उन्होंने राज्य में फूड प्रोसेसिंग इंडस्ट्री को अधिकाधिक स्थापित कराने में स्टेकहोल्डर्स का सहयोग माँगा।

महासचिव डॉ अभिषेक रामाधीन ने कहा कि सरकार का प्रयास सराहनीय है। उद्योगों की स्थापना के साथ ही इकाईयों की समस्याओं के समाधान के लिए उच्चाधिकारियों के साथ बैठक में स्पष्ट और पारदर्शी तरीके से बात हुई है जिससे यह साबित होता है कि विभाग और वर्तमान सरकार राज्य में उद्योगों की स्थापना को लेकर संवेदनशील है।

इस बैठक का मंच संचालन प्रवक्ता ज्योति कुमारी ने करते हुए राज्य के औद्योगिक विकास के लिए किये जा रहे प्रयासों के लिए विभागीय उच्चाधिकारियों को धन्यवाद दिया।

इस बैठक में उद्योग जियाडा राँची के रिजनल डायरेक्टर अजय कुमार सिंह, सचिव नागेंद्र पासवान, बियाडा के अनुज कुमार, बोकारो की कीर्तिश्री, आदित्यपुर की प्रेम रंजन, एसपीयाडा के शैलेंद्र लाल, चैंबर अध्यक्ष किशोर मंत्री, उपाध्यक्ष आदित्य मल्होत्रा, महासचिव डॉ अभिषेक रामाधीन, क्षेत्रीय उपाध्यक्ष राजेश महतो, प्रवक्ता ज्योति कुमारी, पूर्व अध्यक्ष रंजीत टिबड़ेवाल, कार्यकारिणी सदस्य परेश गट्टानी, विकास विजयवर्गीय, उद्योग उप समिति के चेयरमेन बिनोद अग्रवाल, उद्यमी अजय भंडारी, बिनोद तुलस्यान, सुरेश अग्रवाल, एसपी सिंह, एसके प्रसाद, सुबोध प्रसाद, मिथुन तिवारी, अमन चौरसिया, एनके पाटोदिया, कमल अग्रवाल, शैलेंद्र सुमन, अनिश सिंह, राजीव अग्रवाल, आदित्य अग्रवाल, राजेश बुधिया, दीपक अग्रवाल, मधुसूदन अग्रवाल, रमाकांत सिंह, किशन अग्रवाल, अविनाश चंद्रा, जेपी शर्मा, मनीष साहू, सुधीर सिंह सहित अन्य उद्यमी उपस्थित थे।

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