नितीश_मिश्र
राँची(खबर_आजतक): ज़ेवियर समाज सेवा संस्थान ने बुधवार को अपने परिसर में धूमधाम से खुशी और सद्भाव के बीच विश्व आदिवासी दिवस गर्व से मनाया। विश्व की आदिवासी जातियों में जागरूकता फैलाने और उनके अधिकारों के संरक्षण के प्रयास से प्रेरित, हर साल 9 अगस्त को विश्व आदिवासी दिवस मनाया जाता है। संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा दिसंबर 1994 में आज के दिन को मनाए जाने की घोषणा की गई थी जो कि वैश्विक स्तर पर आदिवासी जनसंख्या के मानवाधिकारों की रक्षा करती है। एक्सआईएसएस के फैकल्टी, स्टाफ, और छात्रों ने इस कार्यक्रम में सक्रिय रुप से भाग लेते हुए इस दिन का बेहतरीन जश्न मनाया।
एक्सआईएसएस के निदेशक डॉ जोसफ मरियानुस कुजुर एसजे ने अपने संबोधन में इस वर्ष इस दिवस के थीम पर प्रकाश डाला, ‘आत्मनिर्णय के लिए परिवर्तन के प्रेरक के रूप में आदिवासी युवा।’ उन्होंने कहा कि इस थीम के लिए इससे बेहतर समय नहीं हो सकता है जब विश्व भारत की युवा शक्ति को देख रहा है। आज का युवा अपने परिवेश और पर्यावरण के प्रति अपनी जिम्मेदारी के प्रति जागृत और जागरुक है। आदिवासी युवा अपने आत्मनिर्णय के अधिकार का प्रयोग सक्रिय तौर पर कर रहे हैं और यह तो हम जानते हैं कि हम सबका भविष्य आज लिए गए निर्णयों पर निर्भर करता है। ऐसे में आदिवासी समुदाय को अपनी विश्वास प्रणाली को व्यापक बनाने की जरुरत है और अपनी पहचान के लिए संघर्ष करते हुए, अब आधुनिकता के साथ कदमताल मिलाना और अपनी जड़ों को याद रखना, दोनों जरुरी है। उन्होंने आदिवासियों के इतिहास और बीते कुछ दशकों में वे कैसे विकसित हुए हैं, इसके बारे में भी बात की।
इस कार्यक्रम में आगे सहायक निदेशक डॉ प्रदीप केरकेट्टा एसजे ने आदिवासियों के कल्याण के लिए योजनाओं के कार्यान्वयन की स्थिति पर चर्चा की। उन्होंने इन योजनाओं की मुश्किलों को दूर करने और इस समुदाय की मौलिकता को बचाने की आवश्यकता पर प्रकाश डाला।
डीन एकेडमिक डॉ अमर ई. तिग्गा ने सस्टेनेबिलिटी के महत्व पर चर्चा की। उन्होंने विषय के अनुरुप इस बात पर प्रकाश डाला कि कैसे आदिवासी समुदाय हमेशा पर्यावरण के करीब रहा है और अब समुदाय के युवाओं को समाज में परिवर्तन लाने वाला बनना चाहिए।
एक्सआईएसएस के कर्मचारियों और छात्रों ने बाद में स्थानीय गीतों पर कई समूह नृत्य प्रस्तुत किए और इस कार्यक्रम का जश्न मनाते हुए पूरे दिन का आनंद लिया।