नितीश_मिश्र
राँची(खबर_आजतक): जेवियर इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल सर्विस की इंटरनल कम्प्लेंट्स कमिटी (आईसीसी) ने बुधवार को ‘समानता, सशक्तिकरण और शिक्षा: लिंग, अधिकार और यौन उत्पीड़न की रोकथाम पर एक व्यापक कार्यशाला’ का आयोजन किया। इस कार्यशाला में सभी फैकल्टी, स्टाफ और स्टूडेंट्स ने हिस्सा लिया। इस कार्यक्रम का आयोजन कैंपस में फादर माइकल वान डेन बोगार्ट ऑडिटोरियम में किया गया। इस कार्यक्रम की रिसोर्स पर्सन के रुप में झारखंड उच्च न्यायालय की वकील खुशबू कटारुका रही।
इस संस्थान के सहायक निदेशक डॉ प्रदीप केरकेट्टा एसजे ने इस कार्यक्रम के दौरान समाज की पितृसत्तात्मक मानसिकता के बारे में बातें की। उन्होंने मौजूद कानूनों के बारे में सभी से जागरुक होने की अपील की। इस कार्यक्रम में आगे, डीन अकेडमिक, डॉ अमर एरोन तिग्गा ने कार्यशाला के महत्व पर जोर दिया। उन्होंने बताया कि कैसे यह छात्रों को उनके कॉर्पोरेट करियर को आकार देने में अहम भूमिका निभाएगा। उन्होंने बताया कि संस्थान लैंगिक रुप से संवेदनशील और सभी की सुरक्षा के लिए प्रतिबद्ध है।
इस दौरान रिसोर्स पर्सन खुशबू कटारूका ने इस कार्यशाला में उपस्थित फैकल्टी, स्टाफ और छात्रों को एक शैक्षणिक संस्थान में किस प्रकार व्यवहार किया जाता है, यह बताया। उन्होंने स्वीकार्य और अस्वीकार्य व्यवहार के बारे में बात की। उन्होंने समाज में हमारी भूमिका, हमारी विचार प्रक्रिया, मनुष्यों की अनुकूलन क्षमता, लिंग और विकास के बारे में चर्चा की। उन्होंने आगे समता और समानता के बारे में बात की, छात्रों से अपनी भूमिका निभाने का आग्रह किया और कहा कि “हर किसी का अस्तित्व समान है।” उन्होंने यह भी कहा कि “असमानता सीखी जाती है, समानता को सिखाने की जरूरत है।”
एक्सआईएसएस के पूर्व छात्र और आईसीसी के एक्सटर्नल मेम्बर जॉनसन टोपनो ने अपने संबोधन में छात्रों का स्वागत किया और कहा कि संस्थान व्यक्तियों के दृष्टिकोण को आकार देता है। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि प्रोफेशनल करियर में कार्यशाला कितनी महत्वपूर्ण है।
इस कार्यक्रम में मुख्य रुप से संस्थान के आईसीसी की पीठासीन अधिकारी, डॉ मधुमिता सिंघा और सदस्य डॉ पूजा, डॉ शारदा सिंह, डॉ अमित कुमार गिरी, हर्षवर्धन, कोयल मुख़र्जी, और अमीषा चौधरी आदि उपस्थित थे।