बैल्यू एडेड शिक्षा के लिए संस्कृत भाषा का सर्वाधिक उपयोग करें: प्रो. पाठक
रिपोर्ट : नितीश मिश्र
राँची(खबर_आजतक): सरला बिरला के प्रेक्षागृह में तकनीकी और उच्चतर शिक्षा में भारतीय ज्ञान परंपरा और इसमें नैक और एनईपी 2020 से जुड़ाव विषय पर एक दिवसीय सेमिनार का आयोजन किया गया। इस सेमिनार का आयोजन एनआईटी, जमशेदपुर के सहयोग से आईक्यूएसी, एसबीयू द्वारा किया गया। इस अवसर पर दीप प्रज्ज्वलित कर कार्यक्रम के शुभारंभ के बाद आईक्यूएसी के निदेशक सह कॉमर्स एंड मैनेजमेंट विभाग के डीन डॉ. संदीप कुमार ने स्वागत भाषण देते हुए सेमिनार के विषयवस्तु पर प्रकाश डाला।
इस कार्यक्रम में बोलते हुए मुख्य अतिथि रामकृष्ण मिशन आश्रम के सचिव स्वामी भवेशानंद ने भारतीय शिक्षण प्रणाली में एनईपी के आने को जरूरी करार दिया। उन्होंने भारतीय परंपरा में धर्म, अर्थ, काम, मोक्ष को शिक्षा में सम्मिलित करने की बात कही, जिससे इसमें त्याग और तप के अलावा ‘जॉय ऑफ गिविंग’ की भावना पनप सके।
वहीं एसबीयू के महानिदेशक प्रो. गोपाल पाठक ने अपने संबोधन में एनईपी को लागू करने पर जोर देते हुए इससे होने वाले हमारे राष्ट्र की उत्तरोत्तर प्रगति की बात कही। उन्होंने वैल्यू एडेड शिक्षा के लिए संस्कृत भाषा के ज्यादा से ज्यादा इस्तेमाल पर बल दिया।
इस कार्यक्रम में बोलते हुए एनआईटी जमशेदपुर के निदेशक प्रो. गौतम सूत्रधर ने एनईपी से अध्ययनरत विद्यार्थियों को अधिक से अधिक लाभ पहुँचने की बात कही। उन्होंने इसे सभी विभागों के विद्यार्थियों के लिए व्यावहारिक बताया।
एसबीयू के कुलपति एस.बी. डांडीन ने भारत की पुरानी परंपराओं का जिक्र करते हुए उससे मिलने वाली अच्छी चीजों के आत्मसात करने पर जोर दिया।
इस कार्यक्रम को कुलसचिव प्रो. वी. के. सिंह ने संबोधित किया। डीन डॉ. नीलिमा पाठक ने विषय प्रवेश करते हुए ज्ञान के महत्व पर जोर देते हुए भारत की प्राचीन गुरुकुल परंपरा की चर्चा की।
इस कार्यक्रम के तकनीकी सत्र में डोरंडा कॉलेज के डॉ. राजकुमार शर्मा, राँची विवि की डॉ. स्मृति सिंह, एनआईटी जमशेदपुर के डॉ. मोहम्मद हसन और एसबीयू के डॉ. अभिषेक चौहान ने भी भारतीय ज्ञान परंपरा से संबंधित अपने विषयों पर विस्तार से प्रकाश डाला।
इस अवसर पर डॉ. अशोक अस्थाना, डॉ. गौतम तांती, डॉ. नित्या गर्ग, डॉ. आरोही आनन्द आदि उपस्थित थे।