राँची(खबरआजतक): उच्चतर शिक्षण संस्थानों में मानसिक स्वास्थ्य से जुड़ी चुनौतियों पर एसबीयू में कन्फेडरेशन ऑफ इंडियन प्राइवेट यूनिवर्सिटीज द्वारा वेबिनार का आयोजन किया गया। सत्र के दौरान सीआईपीयू के अध्यक्ष एवं एसबीयू के महानिदेशक प्रो. गोपाल पाठक ने विद्यार्थियों से जुड़े अपने शैक्षणिक और प्रशासनिक अनुभवों का जिक्र किया। विद्यार्थियों में अवसाद की समस्याओं को अत्यंत सावधानीपूर्वक हल करने और उनकी बेहतर काउंसिलिंग की आवश्यकता पर भी उन्होंने बल दिया। भारतीय समाज में अवसाद की समस्या को मानसिक रुग्णता करार दिए जाने और समाज में ऐसे लोगों का तिरस्कार किए जाने के बारे में उन्होंने कई उदाहरण दिया।
वहीं वेबिनार में बोलते हुए चित्कारा विवि की प्रतिकुलाधिपति डॉ. मधु चित्कारा ने आज के दौर में डिप्रेशन जैसे शब्द के प्रचलन के बारे में बोलते हुए इसे आधुनिक युग की उपज बताया। इससे निपटने के लिए एआई टूल्स के उपयोग की उन्होंने वकालत की।
ऑरोबिंदो विवि की वीसी प्रो. ज्योति बिंदल ने आज के दौर में सोशल मीडिया को मानसिक स्वास्थ्य की नकारात्मक प्रवृत्ति के कारणों के तौर पर चिन्हित किया। उन्होंने शिक्षण संस्थाओं में सीनियर विद्यार्थियों का जूनियर से अपेक्षित और सकारात्मक सहयोग, वेलनेस केयर सेंटर और काउंसिलिंग की वकालत की।
इंस्टिट्यूट ऑफ़ हेल्थ साइंसेज, नवी मुंबई के वीसी प्रो. शशांक दलवी ने पीपीटी प्रेजेंटेशन के माध्यम से मानसिक स्वास्थ्य के विद्यार्थियों पर पड़ने वाले प्रभाव और उसमें काउंसिलिंग से लेकर थेरपी और दवाओं के इस्तेमाल पर बात कही। उन्होंने एनईपी 2020 में मानसिक स्वास्थ्य का जिक्र होने को एक क्रांतिकारी कदम बताया।