अनूठी परंपरा बेझा बिंधा। — — निशाना लगाओ, खेत जीतो. सैंकड़ों वर्षों से चली आ रही परंपरा
रिपोर्ट : रंजन वर्मा
कसमार (बोकारो )कसमार प्रखंड के ग्राम पंचायत मंजूरा में बेझा बिंधा (तीरंदाजी प्रतियोगिता) मकर सक्रांति के अवसर पर सोमवार को ग्रामीणो के बीच संपन्न हुई। प्रतियोगिता के दूसरा राउंड में ही मंजूरा गांव के टोला खपराकनारी निवासी भुनेश्वर महतो सांखुआर ने केले के खंभे पर निशाना लगाकर विजेता बनने का गौरव हासिल किया।
परंपरा का इतिहास
मंजूरा के महतो स्व. रीतवरण महतो के द्वारा शुरू किया गया यह प्रतियोगिता विगत 101 सालों से भी ज्यादा समय से चलता आ रहा है। प्रतिभागियों को निशाना साधने के लिए केला का खंभा गाड़ दिया जाता है एवं 101 डेग (कदम) की दूरी से तीर- धनुष से लैस होकर ग्रामीण प्रतिभागी निशाना साधते हैं, जो प्रतिभागी सबसे पहले लक्ष्य को साधने में कामयाब हो जाते हैं उसे 1 वर्ष के लिए 20 डिसमिल की जमीन उपहार स्वरूप दे दी जाती है। प्रतियोगिता से पहले परम्परानुसार स्व. रीतवरण महतो के वंशज एवं ग्रामीण गेन्दखेला नामक स्थान से पूर्वजों की बनाई हुई सूती धागा का गेंद खेल कर आते हैं।गांव के “नया” के द्वारा पहला तीर मार कर प्रतियोगिता की शुरुआत की जाती है। तत्पश्चात गांव के ‘महतो’ के वंशज तीर चलाते हैं तत्पश्चात प्रतियोगिता आयोजित की जाती है। केला के खंभा लाने एवं गाड़ने की जिम्मेवारी गांव के ‘गौड़ायत’ की होती है। पूर्व विजेता कृष्णकिशोर महतो ,बैजनाथ महतो, परमेश्वर घांसी, दिनेश महतो, सोमर महतो, पिंटू करमाली, गुप्तेश्वर महतो, जीतनारायण ठाकुर, भीषम महतो, गोबिंद तुरी, नरेंद्र प्रजापति, परमेश्वर घाँसी, लिटम तुरी आदि। मौके पर महतो वंशज के सुमित्रानंदन महतो, विजय किशोर गौतम, गिरिवर कुमार महतो, सतीश चंद्र महतो, ओमप्रकाश महतो, नाया जानकी महतो, गोड़ाइत तेजू महली, समाजसेवी मिथिलेश कुमार महतो, नरेश घाँसी, गुप्तेश्वर महतो, मंटु तूरी, लिटम तूरी, पिंटु करमाली, प्रेमचंद करमाली,जीतु ठाकुर, मनोज तूरी आदि कई लोग मौजूद थे।