नितीश मिश्र, राँची
राँची (ख़बर आजतक) : आपातकाल के 50 वर्ष पूरे होने पर आजसू पार्टी के केन्द्रीय अध्यक्ष सुदेश महतो ने तीखा प्रहार करते हुए कहा कि 25 जून 1975 को लगाया गया आपातकाल कांग्रेस की सत्ता की भूख का परिणाम था। उन्होंने कहा कि इस दिन देश के लोकतांत्रिक इतिहास में काला अध्याय जुड़ गया, जब तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने लोकतंत्र को कुचलते हुए नागरिकों के मौलिक अधिकार छीन लिए। सुदेश ने कहा, “आज जब राहुल गांधी संविधान बचाओ की बात करते हैं, तो यह हास्यास्पद लगता है।”

महतो ने कहा कि आपातकाल के दौर में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर ताले जड़ दिए गए, प्रेस को दबा दिया गया और लोकतांत्रिक संस्थाओं को कमजोर किया गया। यह भारतीय लोकतंत्र पर गहरा आघात था, जिसने देश की जनता को मजबूर और असहाय बना दिया।
झारखण्ड में भी लोकतंत्र की रक्षा की ज़रूरत : डॉ देवशरण भगत

आजसू के मुख्य प्रवक्ता डॉ देवशरण भगत ने कहा कि आपातकाल ने देश के युवाओं को सिखाया कि सत्ता का दुरुपयोग कितना खतरनाक हो सकता है। झारखंड जैसे राज्य, जहां लोग लंबे समय से अधिकारों के लिए संघर्ष करते रहे हैं, वहाँ लोकतंत्र की रक्षा करना और भी आवश्यक है। उन्होंने आपातकाल के दौरान जेल गए नेताओं और कार्यकर्ताओं को नमन किया।
जेपी आंदोलन बना प्रेरणा: प्रवीण प्रभाकर

झारखंड आंदोलनकारी प्रवीण प्रभाकर ने कहा कि 1975 में वह मात्र सात वर्ष के थे, लेकिन दुमका में आंदोलनकारियों के जुलूसों को देखकर उनके भीतर भी संघर्ष की प्रेरणा जगी। उन्होंने बताया कि आपातकाल के दौरान उनके पिता को दुमका और मामा को रांची में बिना कारण गिरफ्तार कर लिया गया था। उन्होंने वर्तमान परिप्रेक्ष्य में भी लोकतंत्र को लेकर सतर्क और सजग रहने की जरूरत बताई।
प्रभाकर ने कहा कि आज भी झारखंड में सत्ता पक्ष द्वारा जनता की आवाज़ दबाने की कोशिशें होती हैं। ऐसे में लोकतंत्र की रक्षा के लिए जनता को जागरूक और संगठित होकर खड़ा होना होगा।