राँची

किशोर मंत्री के नेतृत्व में राज्यपाल से मिला चैंबर प्रतिनिधिमंडल, कृषि शुल्क विधेयक पर वार्ता

नितीश_मिश्र

राँची(खबर_आजतक): झारखण्ड में कृषि शुल्क विधेयक को प्रभावी करने के निर्णय से व्यापारियों व किसानों के बीच बन रही असमंजसता की स्थिति को देखते हुए अध्यक्ष किशोर मंत्री के नेतृत्व में शनिवार को झारखण्ड चैंबर ऑफ काॅमर्स का एक प्रतिनिधिमण्डल राज्यपाल रमेश बैस से मिला। कृषि शुल्क विधेयक की अव्यवहारिकताओं का उल्लेख करते हुए राज्यपाल को एक ज्ञापन सौंपते हुए विस्तार से सारी चीजें बताई गई कि किस प्रकार विधेयक के प्रभावी होने से राज्य का व्यापार और किसान प्रभावित होंगे।

बताया गया कि किस प्रकार इसकी अव्यवहारिकताओं को देखते हुए वर्ष 2015 में शुल्क को शून्य कर दिया गया था जो झारखण्ड के कृषकों और व्यापारियों के हित में रहा। इस विधेयक के माध्यम से शुल्क की वापसी से पुनः अनियमितताएँ बढेंगी और पूर्व की दिक्कतें पुनः वापस आ जायेंगी।

इस दौरान प्रतिनिधिमण्डल ने कहा कि झारखण्ड में अधिकांशतः आयातित वस्तुओं का ही व्यापार होता है। ऐसी वस्तुओं के कृषि शुल्क में आने से यह किसी विपणन व्यवस्था की फीस न होकर सीधा सीधा एक टैक्स है जो जीएसटी के अतिरिक्त डबल टैक्सेशन होगा। अन्य राज्य से आयातित वस्तु पर अधिकतम स्लैब में कृषि शुल्क लगाकर जिस पर बाजार समिति ने कोई सुविधा उपलब्ध नहीं कराई है, यह सीधा-सीधा आम उपभोक्ता पर महंगाई को बढ़ाने वाला है। यह आग्रह किया गया कि पुर्नविचार करते हुए राज्य के किसान और व्यवसाय हित में इस विधेयक को पूर्णरूप से समाप्त करने की पहल करें।

राज्यपाल रमेश बैस ने प्रतिनिधिमण्डल की सारी बातों को ध्यानपूर्वक सुना।

इस प्रतिनिधिमंडल में चैंबर अध्यक्ष किशोर मंत्री, उपाध्यक्ष आदित्य मल्होत्रा, महासचिव डाॅ अभिषेक रामाधीन, पूर्व अध्यक्ष प्रवीण जैन छाबड़ा, राँची चैंबर पंडरा के अध्यक्ष संजय माहुरी शामिल थे।

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