नितीश_मिश्र
राँची(खबर_आजतक): केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड, नई दिल्ली द्वारा शनिवार को प्राचार्यों को सशक्त बनाने और उन्हें एनईपी 2020 पर स्पष्ट एवं महत्वपूर्ण सूचनाओं को साझा करने के उद्देश्य से दिल्ली पब्लिक स्कूल में रीजनल लेवल प्राचार्य सम्मलेन का आयोजन गया। इस सम्मलेन में सीबीएसई, नई दिल्ली के अधिकारियों ने मुख्य वक्ताओं के रुप में प्राचार्यों से “एनईपी – 2020 – इनीशिएटिव एंड रिफॉर्म्स” विषय पर विचार विमर्श किया। इस अवसर पर मुख्य अतिथि के रुप से स्कूली शिक्षा एवं साक्षरता विभाग, झारखंड सरकार के सचिव के रवि कुमार एवं झारखंड शिक्षा परियोजना परिषद् के राज्य परियोजना निदेशक किरण कुमारी पासी उपस्थित थे। इस सम्मेलन में जयंत कुमार मिश्रा, एडमिनिस्ट्रेटिव ऑफिसर, जे.ई.पी.सी की गरिमामय उपस्थिति भी रही। इस बहुप्रतीक्षित सत्र में पटना रीजन (झारखण्ड एवं बिहार) के विभिन्न सीबीएसई स्कूलों के 200 से अधिक प्राचार्यों ने भाग लिया। इस सम्मलेन में झारखण्ड राज्य के सीएम स्कूल ऑफ एक्सीलेंस के प्राचार्य भी शामिल हुए एवं एनईपी में अपनाए जा रहे महत्वपूर्ण रुझानों से अवगत हुए।
इस सम्मेलन का मुख्य उद्देश्य एनईपी 2020 के प्रमुख उद्देश्यों और सिद्धांतों में व्यापक अंतर्दृष्टि प्रदान करना, शिक्षकों, स्कूलों और छात्रों के लिए एनईपी 2020 के निहितार्थों पर चर्चा की सुविधा प्रदान करना एवं शिक्षकों के लिए शिक्षण प्रथाओं को संरेखित करने पर विचार साझा किया गया । साथ ही इस सम्मलेन के दौरान प्रतिभागियों को उनकी शिक्षण पद्धतियों में एनईपी 2020 सिद्धांतों को एकीकृत करने और इस नीति के बारे में प्रतिभागियों को पूर्ण जानकारी भी दी गई।
इस सम्मलेन के प्रमुख वक्ताओं में डॉ प्रज्ञा एम सिंह, डायरेक्टर (ऐकडेमिक अससेमेंट), सीबीएसई, श्रीमती अंजलि छाबड़ा, जॉइंट सेक्रेटरी, (ऐकडेमिक अससेमेंट), सीबीएसई, अल हिलाल अहमद, जॉइंट सेक्रेटरी (एकेडेमिक्स), सीबीएसई, डॉ संदीप जैन, जॉइंट सेक्रेटरी (ट्रेनिंग), सीबीएसई, आर.पी.सिंह, जॉइंट सेक्रेटरी (स्किल एजुकेशन), सीबीएसई एवं अरविंद कुमार मिश्रा, रीजनल ऑफिसर, सीबीएसई पटना एवं डॉ अविनव कुमार, स्टेट प्रोजेक्ट ऑफिसर, डिपार्टमेंट ऑफ़ स्टेट एजुकेशन एंड लिटरेसी थे।
इस कार्यक्रम की शुरुआत विद्यार्थियों द्वारा स्वागत गान के साथ हुई जिसके बाद गणमान्य अतिथियों द्वारा दीप प्रज्ज्वलित किया गया। तत्पश्चात समूह नृत्य प्रस्तुत किया गया जिसने सभा में उपस्थित सभी लोगो का मन मोह लिया। इसके बाद डीपीएस राँची के प्राचार्य डॉ. राम सिंह ने सभा में उपस्थित सभी प्रतिभागियों का गर्मजोशी से स्वागत किया। उन्होंने सीबीएसई के प्रति आभार व्यक्त करते हुए आशा व्यक्त की यह सम्मेलन सह कार्यशाला स्कूलों में एनईपी के उचित कार्यान्वयन में प्राचार्यों का मार्गदर्शन करेगी। इस सम्मेलन से भारत के शिक्षा क्षेत्र में चल रहे परिवर्तनकारी जानकारियाँ प्राप्त होंगी और सम्मलेन के दौरान आयोजित चर्चाएँ निस्संदेह शिक्षकों और छात्रों के लिए भविष्य का रास्ता तय करेंगी। ऐसे आयोजन प्राचार्यों की कार्यक्षमता में वृद्धि का गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदाय का मार्ग प्रशस्त करते हैं।
इस सम्मलेन के उद्घाटन समारोह की मुख्य अतिथि, किरण कुमारी पासी, राज्य परियोजना निदेशक, झारखंड शिक्षा परीयोजना परिषद् (जे.इ.पी.सी) ने कहा कि “सीबीएसई द्वारा आयोजित प्राचार्य सम्मेलन, शिक्षकों के लिए भारत की नई शिक्षा नीति की प्रमुख पहलों को समझने के लिए एक महत्वपूर्ण मंच है। इस सम्मलेन का मुख्य उद्देश्य विद्यार्थियों के समग्र विकास को बढ़ावा देना, मूल्यांकन विधियों को बढ़ाना और छात्रों के उज्जवल भविष्य के लिए प्रौद्योगिकी को अपनाकर शिक्षा प्रणाली में सकारात्मक बदलाव लाना है। एनईपी 2020 के वजह से भारतीय शिक्षा प्रणाली में सकारात्मक बदलाव भी लाए गए है क्योंकि विद्यार्थियों को विभिन्न भाषाओं एवं कलाओं से भी अवगत कराया जा रहा है ताकि विद्यार्थी अपने रुचि के हिसाब से भी अपने कैरियर को चुन सकता है।
इस अवसर पर मुख्य वक्ताओं द्वारा एनईपी की प्रमुख अनुशंसाएँ तथा उनका क्रियान्वयन, विद्यालयों द्वारा बहुभाषावाद के क्रियान्वयन के लिए किए जा रहे प्रयास, राष्ट्रीय पाठ्यचर्चा की रुपरेखा (एन.सी.एफ.एफ.एस) 2023, झारखंड राज्य की प्रशिक्षण पहल, सीबीएसई प्रशिक्षण नीति एवं प्रशिक्षण का महत्व, सीबीएसई द्वारा कौशल शिक्षा के लिए किए जा रहे प्रयास जैसे विषयों पर महत्वपूर्ण सूचनाओं को साझा किया गया।
इस दौरान प्रत्येक सत्र के संचालन होने के बाद इस सम्मलेन के समापन समारोह का आयोजन किया गया। समापन समारोह के मुख्य अतिथि के रवि कुमार, सचिव, स्कूली शिक्षा एवं साक्षरता विभाग, झारखंड सरकार थे। इस अवसर पर उन्होंने ने सभी प्राचार्यों से निवेदन किया के वे एक-दूसरे का हमेशा मार्गर्दर्शन करे ताकि झारखण्ड राज्य की शिक्षा प्रणाली को सकारात्मक तरीके से बदला जा सके। एनईपी पर प्रकाश डालते हुए उन्होंने कहा कि यह शिक्षा नीति देश की शिक्षा में सकारात्मक बदलाव ला सकती है एवं विद्यार्थियों की उज्जवल भविष्य की परिकल्पना भी इस नीति से पूरी हो सकती है और यह विद्यालयों के प्राचार्यों की जिम्मेदारी है कि वह भारत के भविष्य को उज्जवल बनाने होने अपना संपूर्ण योगदान दे क्योंकि एक विद्यालय का संचालन करने में कई तरह की कठिन परिश्रमों की आवश्यकता होती है और हमारे देश का भविष्य हमारे आज के कर्तव्यों पर निर्भर करता है।
इस सम्मलेन में निम्नलिखित बिंदुओं पर भी विशेष चर्चा हुई:
पहले सत्र में डॉ प्रज्ञा एम सिंह, डायरेक्टर (ऐकडेमिक अससेमेंट), सीबीएसई, अंजलि छाबड़ा, जॉइंट सेक्रेटरी, (ऐकडेमिक अससेमेंट) ने एनईपी की प्रमुख अनुशंसाएँ तथा उनका क्रियान्वयन पर अपने विचारों को प्रकट करते हुए उन्होंने कहा एनईपी द्वारा विभिन्न विषयों के लिए अद्वितीय दृष्टिकोण पेश किए हैं ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि छात्र केवल सैद्धांतिक ज्ञान प्राप्त करने के बजाय एक कौशल के रुप में विषयों को सीखें। कक्षा में पढ़ाए जा रहे व्यापक अभ्यास और स्थिति-आधारित प्रश्न यह सुनिश्चित करते हैं कि विद्यार्थियों की अवधारणाएं मजबूत हों। राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 में शिक्षा की पहुँच, समता, गुणवत्ता, वहनीयता और उत्तरदायित्व जैसे मुद्दों पर विशेष ध्यान दिया गया है। इस नीति में मातृभाषा को प्राथमिकता देने का उल्लेख किया गया है। उन्होंने प्राचार्यों को एनईपी पाठ्यक्रम सुधार, शिक्षण से संबंधित सुधार, उच्च शिक्षा से संबंधित प्रावधान के बारे में भी बताया गया।
अंजली छाबड़ा ने प्राचार्यों को स्कूल क्वालिटी असेसमेंट एंड एश्योरेंस फ्रेमवर्क (SQAAF) से रुबरु कराया। इसके तहत स्कूलों को हर साल अपना स्व-मूल्यांकन करना होगा। यह व्यवस्था स्कूलों के लिए अनिवार्य है। यदि कोई स्कूल नई संबद्धता भी चाहता है तो उसके लिए भी यह जरूरी होगा। स्कूल द्वारा एसक्यूएए पोर्टल पर प्रस्तुत स्व-मूल्यांकन एक वर्ष की अवधि के लिए मान्य होगा। केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड ने स्कूल संबद्धता, अपग्रेडेशन के लिए स्कूल क्वालिटी असेसमेंट एंड एंश्योरेंस(एसक्यूएए) फ्रेमवर्क जारी किया है। इसके तहत स्कूलों को हर साल अपना स्व-मूल्यांकन करना होगा। यह व्यवस्था स्कूलों के लिए अनिवार्य है। यदि कोई स्कूल नई संबद्धता भी चाहता है तो उसके लिए भी यह जरूरी होगा। स्कूल द्वारा एसक्यूएए पोर्टल पर प्रस्तुत स्व-मूल्यांकन एक वर्ष की अवधि के लिए मान्य होगा। स्कूलों को एसक्यूएए पोर्टल पर स्व-मूल्यांकन पूरा करना होगा और फिर समय सीमा समाप्त होने से पहले उसे सरल पोर्टल पर आवेदन जमा करना होगा। सीबीएसई ने राष्ट्रीय पाठ्यचर्या की रुपरेखा के अनुसार, संबद्धता उपनियमों में संशोधन किए गए हैं। इसके तहत ही एसक्यूएए को तैयार किया गया है। स्कूल के कामकाज के विभिन्न क्षेत्रों जैसे पाठ्यक्रम, मूल्यांकन, मानव संसाधन एवं प्रबंध के लिए मानक तैयार किए हैं। स्कूल इसके माध्यम से अपनी गुणवत्ता का खुद आकलन कर सकते हैं।
अल हिलाल अहमद, जॉइंट सेक्रेटरी (एकेडेमिक्स), सीबीएसई ने विद्यालयों द्वारा बहुभाषावाद के क्रियान्वयन विषय पर प्रकाश डालते हुए कहा एक से अधिक भाषा सीखने से मस्तिष्क के कार्यों, जैसे स्मृति, ध्यान, समस्या-समाधान और रचनात्मकता को बढ़ावा मिल सकता है। यह ‘मेटालिंग्विस्टिक अवेयरनेस’ में भी सुधार करता है, जो भाषा संरचनाओं एवं नियमों पर गंभीरता से मनन करने और कुशलतापूर्वक उनका उपयोग कर सकने की क्षमता है। विभिन्न भाषाओं को सीखने की प्रक्रिया में छात्र विभिन्न संस्कृतियों, दृष्टिकोणों और मूल्यों से परिचित हो सकते हैं। यह उनमें अंतर-सांस्कृतिक क्षमता विकसित करने में भी मदद कर सकता है। राष्ट्रीय पाठ्यचर्या की रूपरेखा के बारे में भी बताया। बहुभाषावाद को बढ़ाने के लिए उन्होंने विद्यालयों में लाइब्रेरी, रीडिंग एंड राइटिंग स्किल को बढ़ाने के भी सुझाव दिए।
डॉ अविनव कुमार, स्टेट प्रोजेक्ट ऑफिसर, डिपार्टमेंट ऑफ़ स्टेट एजुकेशन एंड लिटरेसी, झारखण्ड ने तीसरे सत्र में कहा राज्य के माडल स्कूलों के लिए एक प्रभावी पारिस्थितिकी तंत्र बनाने और बच्चों को बेहतर शिक्षा उपलब्ध कराने के उद्देश्य से कार्यशालाओं की एक श्रृंखला का आयोजन किया जा रहा है। प्रधानाध्यापकों व्यापक प्रशिक्षण की रूपरेखा के तहत स्कूल के लिए बेहतर विजन विकसित किया जा रहा है एवं स्कूल में शैक्षणिक गुणवत्ता में सुधार भी किया जा रहा है। साथ ही सीखने की संस्कृति का विकास एवं सीखने के माहौल का निर्माण समेत अन्य प्रशिक्षण दिया जा रहा है। ट्रेनिंग से इनोवेशन एवं सोचने की क्षमता में विकास होता है। ट्रेनिंग के दौरान जितने महत्त्वपूर्ण जानकारी मिलती है उन्हे विद्यालयों में भी शामिल करना चाहिए। झारखंड राज्य में “ट्रेनिंग नीड असेसमेंट” का आयोजन किया गया एवं उनके साथ सिलेबस साझा किया गया है एवं शिक्षकों ने दीक्षा प्लेटफॉर्म पर ट्रेनिंग भी की है एवं शिक्षकों को ट्रेनिंग एक्सपर्ट के रुप में भी बनाया गया है और कौशल विकास के लिए साइंस लैब आदि की भी शुरुआत की गई है एवं लैब का उपयोग करने के लिए शिक्षकों को प्रशिक्षण दिया गया है।
डॉ संदीप जैन, जॉइंट सेक्रेटरी (ट्रेनिंग), सीबीएसई ने “सीबीएसई प्रशिक्षण नीति एवं प्रशिक्षण का महत्व” विषय पर प्रकाश डालते हुए कहा कि सीबीएसई के द्वारा स्कूलों के प्राचार्यों को ट्रेनिंग दी जा रही है जिसमें उन्हें अपने – अपने स्कूलों के बच्चों को जागरूक करने के बारे में बताया जाएगा। प्राचार्यों को प्रशिक्षण देने के बाद वे सभी अपने-अपने स्कूलों के शिक्षकों को ट्रेनिंग दे सकेंगे कि नई शिक्षा नीति के क्या चरण हैं और उसे पूर्ण रूप से विद्यार्थियों के लिए लाभदायक कैसा बनाया जा सके। नई शिक्षा नीति के तहत विद्यार्थियों को केवल किताबी ज्ञान ही नहीं, बल्कि उनके कौशल को निखारना, उनमें समझ को विकसित करना है। इसके लिए प्रधानाचार्यों की उनके स्कूलों में एनईपी को लेकर जिम्मेदारी भी निर्धारित कर दी जाएगी। प्रशिक्षण सत्रों में प्राचार्यों को सिखाया जा रहा है कि वे किस प्रकार किताबी ज्ञान को रोचक तरीके से विद्यार्थियों की रूचि के मुताबिक बनाकर प्रस्तुत कर सकते हैं।
उन्होंने कंटीन्यूअस प्रोफेशनल डेवलपमेंट जिसमे उन्होंने बताया कि किस शिक्षकों में कौशल और ज्ञान के महत्व और विकास को बताया गया है। जो शिक्षक विभिन्न प्रशिक्षणों में जाते है तो उनका बर्नाउट बहुत कम होता है। उन्होंने कॉन्टेंट, पेडागॉजी और असेसमेंट के महत्व के बारे में बताया। उन्होंने ट्रेनिंग नीड एनालिसिस के जरूरत के बारे में भी बताया एवं प्राचार्यों को प्रशिक्षण लेने के लिए उपयोग किए जाने वाले विभिन्न माध्यमों से रूबरू कराया एवं प्रशिक्षण करने के बाद रिकार्ड रखना भी अतिआवश्यक है ताकि प्रशिक्षण सत्र का मूल्यांकन भी किया जा सके। उन्होंने प्रशिक्षण त्रिवेणी जिसमे प्राचार्य और शिक्षक प्रशिक्षण कर सकते है के बारे में भी बताया।
इस दौरान आर.पी.सिंह, जॉइंट सेक्रेटरी (स्किल एजुकेशन), सीबीएसई ने सीबीएसई द्वारा कौशल शिक्षा के लिए किये जा रहे प्रयास विषय पर प्रकाश डालते हुए कहा कि केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड स्कूली बच्चों में कौशल शिक्षा बढ़ावा दे रहा है। संस्थान कौशल मॉड्यूल तैयार करने, विभिन्न स्तरों पर कौशल विषयों के लिए अध्ययन सामग्री बनाने, छात्रों के लिए प्रतियोगिताओं, हैकथॉन का आयोजन करने और शिक्षकों को प्रशिक्षित करने में सहयोग कर रही है। बोर्ड ने कौशल विकास, शिक्षा और प्रशिक्षण के लिए रणनीतिक साझेदारियां भी की हैं। बोर्ड ने जिनसे करार किया उनमें अटल इनोवेशन मिशन, आईबीएम, इंटेल, माइक्रोसॉफ्ट, अपरेल मेड-अप्स और होम फर्निशिंग सेक्टर कौशल परिषद, ऑटोमोटिव सेक्टर कौशल परिषद, खेल, शारीरिक शिक्षा- फिटनेस लॉजिस्टिक्स सेक्टर कौशल परिषद, फर्नीचर और फिटिंग सेक्टर कौशल परिषद, जीव विज्ञान सेक्टर कौशल परिषद, कपड़ा सेक्टर कौशल परिषद, हेल्थकेयर सेक्टर कौशल परिषद जैसे संस्थान शामिल हैं। यह सभी कौशल माड्यूल तैयार करने, विभिन्न स्तरों पर कौशल विषयों के लिए अध्ययन सामग्री बनाने, छात्रों के लिए प्रतियोगिताओं, हैकथॉन का आयोजन करने और शिक्षकों को ट्रेनिंग देने में सहयोग कर रहे है। उन्होंने कहा कि कौशल सीखने की कोई उम्र नही होनी चाहिए एवं कौशल सीखने के साथ साथ विद्यार्थियों का निर्माण करना चाहिए। उन्होंने कौशल से संबंधित विषयों को पढ़ने के महत्व के बारे में बताया।
उन्होंने प्राचार्यों को नेशनल गाइडेंस फेस्टिवल, स्किल एक्सपो, स्किल यात्रा कैंपेन एवं स्किल इंडिया डिजिटल पोर्टल जो एक व्यापक डिजिटल प्लेटफॉर्म जिसके उद्देश्य प्रत्येक भारतीय को गुणवत्तापूर्ण कौशल विकास, प्रासंगिक अवसर और उद्यमशीलता सहायता प्रदान करना है के बारे में बताया। उन्होंने कहा कि प्राचार्य एवं शिक्षक के लिए भी कौशल का विकास करना आवश्यक है। उन्होंने कहा कि यह बहुत गर्व की बात है की भारत के ऐसा देश है जहा आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस एवं डिजाइन थिंकिंग जैसे विषयों की शुरुआत की गई है। उन्होंने कहा कि विद्यार्थियों को माइक्रोसॉफ्ट, हल्दीराम, डोमिनोज, कैफे काफी डे जैसी संस्थाएं विद्यार्थियों को ऑन जॉब ट्रेनिंग भी दी रही है। उन्होंने मानक इंस्पायर अवार्ड जैसे प्रतियोगिताओं के बारे में भी बताया।
इसके बाद सीबीएसई पटना रीजन के रीजनल ऑफिसर अरविंद कुमार मिश्रा ने कहा कि एनईपी से विद्यार्थियों को प्रायोगिक ज्ञान, जॉयफुल लर्निंग का संचार होता है एवं इसके वजह से विद्यार्थियों की रचात्मक्ता को सहारा मिलता है एवं वह अपने रूचि अनुसार अपने कैरियर को चुन सकते है। उन्होंने पीएम-इ विद्या प्लेटफार्म, डिजिटल लाइब्रेरी से संबंधित जानकारियों को प्राचार्यों से साझा किया। उन्होंने यह भी आश्वाशन दिया की पटना रीजन में शामिल सीबीएसई स्कूलों के मार्गदर्शन एवं उनकी मदद के लिए वह हमेशा उपलब्ध रहेंगे और उन्होंने प्राचार्यों से आग्रह किया की वह भी अपने कर्तव्यों का पालन करे और भारत देश की शिक्षा प्रणाली को बदलने में संपूर्ण योगदान दे।