वर्तमान में आदिवासी परंपरा संस्कृति पर हो रहा चौतरफा हमला: फूलचंद तिर्की
पुस माह में आदिवासी करते हैं अपने पूर्वजों को याद: संजय तिर्की
नितीश_मिश्र
राँची(खबर_आजतक): कोकर टुँकी टोला में गुरूवार को हरगड़ी मसना पूजा किया गया। इस दौरान टुंकी टोला के बाली पहान के अगुवाई में सैकड़ो की संख्या में महिला पुरुष गाँव के अखड़ा में एकजुट होकर ढोल ढाक नगड़ा के साथ मसना स्थल गए एवं मसना स्थल की साफ सफाई कर अपने पूर्वजों को विधि विधान से पूजा पाठ किया गया साथ ही साथ अपने पूर्वजों को तेल, सिंदूर, धूप, धुवन, उड़द, चावल मिलाकर खाना दिया गया एवं डुबकी, पीठा, हड़िया, खैनी चुना, अगरबत्ती, फूल माला चढ़ाकर अपने पूर्वजों को याद कर आशीर्वाद लिया गया।
इस कार्यक्रम में मुख्य रूप से केंद्रीय सरना समिति के केंद्रीय अध्यक्ष फूलचंद तिर्की एवं महासचिव संजय तिर्की उपस्थित थे।
इस मौके पर केंद्रीय सरना समिति के महासचिव संजय तिर्की ने कहा कि आदिवासी वर्षों से रूढ़िवादी परंपरा संस्कृति मानते हैं। पुस के माह में आदिवासी अपने पूर्वजों को याद करते हैं।
वहीं केंद्रीय सरना समिति के केंद्रीय अध्यक्ष फूलचंद तिर्की ने कहा कि आज आदिवासी परंपरा संस्कृति पर चौतरफा हमला हो रहा है। प्राकृतिक पूजक आदिवासी जो रूढ़िवादी परंपरा संस्कृति को मानते है, उनको जबरन हिन्दू एवं इसाई बनाया जा रहा है। प्राकृतिक पूजक आदिवासी न तो हिंदू है न तो ईसाई है न तो अन्य जन्म से लेकर मरण तक आदिवासी पहान, माँझी, परगनाइत से पूजा अनुष्ठान करते हैं जबकि हिन्दू पंडित एवं पादरी से उन्होंने कहा कि कुरमी समुदाय आदिवासी बनने के लिए एड़ी चोटी का जोर लगा दिए हैं। यह सरकार को डरा धमका कर आदिवासी बनना चाहते हैं।
उन्होने कहा कि कुरमी समाज मूर्ति पूजक है एवं जन्म से लेकर मृत्यु तक पंडित से पूजा पाठ करते हैं एवं हिन्दू धर्म की वर्ण व्यवस्था अंतर्गत चौथा वर्ण शुद्र में आते हैं जबकि आदिवासी समाज वर्ण व्यवस्था के अंतर्गत नहीं आते। आदिवासी समाज कुरमी को कभी आदिवासी स्वीकार नहीं करेगी।
इस मौके पर सरना विकास समिति टुंकी टोली के समस्त सरनाधर्मावलंबी उपस्थित थे।