लुगु पहाड़ तक पहुंचने के लिए कई रास्ते हैं. किस रास्ते से आप आसानी से यहां पहुंच सकते हैं,
गोमिया (ख़बर आजतक) : |झारखंड के गोमिया प्रखंड में स्थित ललपनिया में संताल जनजाति के लोगों की आस्था का सबसे बड़ा केंद्र है. इसे लुगु बुरु घंटाबाड़ी के नाम से जाना जाता है. हर संताली की यहां आने और लुुगु बाबा का आशीर्वाद पाने की इच्छा होती है. कार्तिक पूर्णिमा के दिन हर साल यहां लाखों लोग आते हैं. देश-विदेश में बसे संतालियों की लुगु बुरु में आस्था है. लुगु पहाड़ तक पहुंचने के लिए कई रास्ते हैं. किस रास्ते से आप आसानी से यहां पहुंच सकते हैं, आइए, हम आपको बताते हैं कि लुगु पहाड़ और ललपनिया के चारों ओर कौन-कौन से बस पड़ाव हैं, जहां से आप यहां तक पहुंच सकते हैं
लुगु बुरु का इतिहास: हर संताली क्यों आना चाहता है लुगु बुरु घंटा बाड़ी?
संतालियों का कोई लिखित संविधान नहीं है, गीत-संगीत में जो बातें कहीं गयीं हैं, उसके आधार पर दुनिया भर से संताल जनजाति के लोग यहां आते हैं. लुगु बाबा के आगे शीश नवाते हैं. उनके अवशेषों के दर्शन करके खुद को धन्य महसूस करते हैं. लुगु बुरु घंटाबाड़ी का इतिहास 4 हजार साल पुराना है.
गोमिया:दुनिया भर में बसे संताल जनजाति के लोगों का सबसे बड़ा धर्मस्थल झारखंड में है. राजधानी रांची से करीब 120 किलोमीटर दूर बेरमो अनुमंडल के गोमिया प्रखंड अंतर्गत ललपनिया में लुगु बुरु घंटाबाड़ी है. संतालियों के सारे रीति-रिवाज यहां बने थे. लुगु बाबा ने संतालियों के संविधान की रचना की थी. हालांकि, संतालियों का कोई लिखित संविधान नहीं है, लेकिन गीत-संगीत में जो बातें कहीं गयीं हैं, उसके आधार पर दुनिया भर से संताल जनजाति के लोग यहां आते हैं और लुगु बाबा के आगे शीश नवाते हैं. उनके अवशेषों के दर्शन करके खुद को धन्य महसूस करते हैं. बताते हैं कि लुगु बुरु घंटाबाड़ी का इतिहास करीब 4 हजार साल पुराना है. संताल जनजाति में जन्मे हर शख्स की इच्छा होती है कि वह कम से कम एक बार लुगु बुरु घंटाबाड़ी जरूर पहुंचे. इस अंतरराष्ट्रीय आयोजन में खुद मुख्यमंत्री शामिल होते हैं. वर्ष 2018 में रघुवर दास की अगुवाई वाली भारतीय जनता पार्टी की सरकार ने लुगु बुरु घंटाबाड़ी के आयोजन को राजकीय मेला का दर्जा दिया था. इस बार झारखंड मुक्ति मोर्चा-कांग्रेस-राष्ट्रीय जनता दल की गठबंधन सरकार के मुखिया हेमंत सोरेन ने कार्यक्रम को संबोधित किया. आईए, आज हमआपको ले चलते हैं लुगु बुरु घंटाबाड़ी और बताते हैं कि क्या है यहां का इतिहास. मेला का नजारा भी देखिए.