रिपोर्ट : प्रशांत अम्बष्ठ
गोमिया (ख़बर आजतक) : स्वास्थ्य विभाग की मेहरबानी कहें या फिर जिला प्रशासन की उदासीनता कि गोमिया प्रखण्ड मुख्यालय में आधा दर्जन कुकुरमुत्तों की तरह उगते निजी अस्पताल और उनमें मानक विहीन स्वास्थ्य सेवाएं मरीजों की कब्रगाह बनती जा रही हैं। उक्त अस्पताल में कार्यरत अप्रशिक्षित स्वास्थ्य कर्मी व डॉक्टर के नाम पर कार्य करते झोलाछाप डॉक्टर एक तरह से मरीजों को मौत ही बांट रहे हैं।
मजे की बात तो यह है कि उक्त हॉस्पिटलों के खिलाफ तमाम शिकायतें मिलने के बावजूद अस्पताल संचालकों के खिलाफ जिम्मेवार विभागों की तरफ से कोई प्रभावी कार्यवाही नही की जाती और उसका नतीजा यह है कि मानक विहीन चलते इन अस्पतालों में उक्त झोलाछाप स्वास्थ्यकर्मियों द्वारा मरीजों पर तरह तरह के प्रयोग किये जा रहे हैं और अप्रिशिक्षित डाक्टर मरीजों के बीमार शरीर से तब तक खेलते हैं जब तक वह बेजान नही हो जाता और जब बाजी इनके हाथ से निकल जाती है तो इसके बाद उक्त अस्पताल के लोग अपने हाथ खड़े कर देते है, निजीअस्पताल गोमिया में कुकुरमुत्ते की तरह उगते अस्पतालों में लोगों की जिंदगी से खिलवाड़ किया जाता रहेगा और जिम्मेवार मौन साधे तमाशा देखते रहेंगे। बता दें कि अनुमंडल पदाधिकारी बेरमो अशोक कुमार ने जिस प्रकार स्वांग स्थित मां शारदे सेवा सदन में लगातार 3दिन से करवाही कर रहे हैं, आम लोग काफी संतुष्ट और प्रशासन के प्रति आशावान हो गए वही क्षेत्र मे चर्चा आम है, की अगर अनुमंडल पदाधिकारी इसी प्रकार गोमिया स्थित करीब आधा दर्जन निजी नर्सिंग होम और अस्पताल के नाम पर जो ब्यवस्य चला रहें उनपर भी एक नजर पड़ जाए तो जहां जनमानस का भला होगा वही कई चोक्काने वाले तथ्य सामने आयेंगे