“कोई बच्चा शिक्षा से वंचित न रहे”: मंजूनाथ भजंत्री
नितीश_मिश्र
राँची(खबर_आजतक): उपायुक्त मंजूनाथ भजंत्री द्वारा आयोजित साप्ताहिक जनता दरबार में सोमवार को एक बार फिर आम जनता की बड़ी संख्या में भागीदारी देखने को मिली। शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों से आए लोगों ने शिक्षा, सामाजिक सुरक्षा, भूमि विवाद, दाखिल-खारिज, पेंशन और अन्य समस्याओं को लेकर आवेदन दिए। जनता दरबार में उपायुक्त ने प्रत्येक फरियादी की बातों को गंभीरता से सुना और संबंधित विभागीय अधिकारियों को त्वरित कार्रवाई के निर्देश दिए।

शिक्षा का अधिकार (RTE) बना दो परिवारों के लिए उम्मीद की किरण
इस बार जनता दरबार में एक सुखद क्षण उस समय सामने आया जब दो परिवारों ने अपने बच्चों के शिक्षा के अधिकार के तहत सफलतापूर्वक नामांकन होने पर राज्य सरकार और उपायुक्त भजंत्री का आभार प्रकट किया। उन्होंने कहा कि प्रशासन के मार्गदर्शन और हस्तक्षेप से ही यह संभव हो पाया। बता दें, राम सिंह अपने पुत्री साक्षी मौर्य के साथ रांची उपायुक्त मंजुनाथ भजंत्री का आभार व्यक्त करने पहुंचे थे उन्होंने कहा अगर रांची उपायुक्त मंजुनाथ भजंत्री ने हमारी परेशानी को नहीं समझा होता तो मेरी बेटी का एडमिशन डीपीएस में नहीं हो पाता ।
मौके पर उपायुक्त मंजूनाथ भजंत्री ने कहा कि यही असली बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ की मिसाल है। हमारा उद्देश्य है कि कोई भी बच्चा शिक्षा से वंचित न रहे।
दिव्यांग बच्ची की माँ को मिला त्वरित न्याय
जनता दरबार में एक महिला अपनी 15 वर्षीय दिव्यांग बेटी के साथ पहुंचीं और पेंशन सुविधा न मिलने की शिकायत की। उपायुक्त ने तुरंत सहायक निदेशक, सामाजिक सुरक्षा को जांच का निर्देश दिया।जांच में यह सामने आया कि बच्ची विकलांग पेंशन योजना के तहत सूचीबद्ध है। उपायुक्त ने आदेश दिया कि परिवार को पेंशन की अद्यतन जानकारी दी जाए।आगे किसी प्रकार की तकनीकी या प्रक्रियागत बाधा न आए, इसका विशेष ध्यान रखा जाए।
भरोसे का प्रतीक बनता जनता दरबार
हर सप्ताह आयोजित होने वाला यह जनता दरबार, आम जनता और जिला प्रशासन के बीच सीधे संवाद का सशक्त माध्यम बन गया है। लोगों में विश्वास और उम्मीद की भावना लगातार प्रबल हो रही है।
उपायुक्त मंजुनाथ भजंत्री ने कहा,जिला प्रशासन जनसेवा के लिए प्रतिबद्ध है। प्रत्येक निष्पादन योग्य समस्या का समाधान प्राथमिकता के साथ किया जाएगा। जनता दरबार इसका उदाहरण है।
इस आयोजन ने एक बार फिर यह साबित कर दिया कि सुनवाई और समाधान की मंशा हो तो प्रशासन और जनता के बीच की दूरी मिट सकती है।