राँची (खबर आजतक):- जवाहरलाल नेहरू कला केन्द्र श्यामली ने अपना 43वाँ वार्षिकोत्सव रविवार को जेवीएम, श्यामली के दयानन्द ऑडिटोरियम में मनाया। समारोह 175 विद्यार्थियों ने विभिन्न प्रस्तुतियों में भाग लिया, जिनकी मेहनत और प्रतिभा ने पूरे कार्यक्रम को भव्यता प्रदान की।
मौके पर मुख्य अतिथि मेकॉन लिमिटेड के अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक संजय वर्मा उपस्थित थे।कार्यक्रम की शोभा बढ़ाने वाले विशिष्ट अतिथि मेकॉन के वाणिज्यिक निदेशक जयंत कुमार झा सम्मिलित थे।
सांस्कृतिक संध्या का आरंभ शास्त्रीय गायन वर्ग के विद्यार्थियों द्वारा प्रस्तुत “सुर लहरी” से किया गया। इसके बाद तबला वर्ग के विद्यार्थियों ने “ताल छन्द” प्रस्तुत कर अपनी लयकारी से श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया। रवीन्द्र संगीत वर्ग ने गुरूदेव टैगोर के गीतों के माध्यम से गहराई और भावपूर्ण रसिकता का वातावरण रचा।
नृत्य प्रस्तुतियों ने समारोह में विशेष आकर्षण जोड़ा। ओडिसी नृत्य वर्ग की प्रस्तुति “रिद्म ऑफ ओडिसी” ने इस शास्त्रीय नृत्य शैली की सौंदर्यता को मंच पर साकार किया। क्रिएटिव डांस वर्ग ने “नव दुर्गा” के माध्यम से माँ दुर्गा की शक्ति का प्रभावशाली चित्रण किया। कथक वर्ग ने अपनी मनोहारी चक्रवातियाँ और लयबद्ध पगचाप के साथ “ऋतु सावन की” प्रस्तुत कर वर्षा ऋतु की सुंदरता का उत्सव मनाया। वहीं, क्रिएटिव डांस वर्ग ने एक जोशीले लोक नृत्य के द्वारा भारतीय परम्पराओं की विविधता और रंगीन छटा को जीवंत किया।
वाद्य संगीत की प्रस्तुतियों ने भी श्रोताओं को बाँधे रखा। सिंथेसाइज़र वर्ग ने “मेलोडी ऑफ गोल्डन ट्यून” द्वारा अमर धुनों की मधुर झंकार बिखेरी। स्पेनिश गिटार वर्ग ने “फ्लेमिंगो” प्रस्तुत कर पश्चिमी शास्त्रीय संगीत का अनूठा स्वाद दर्शकों को चखाया। वाद्य संगीत वर्ग ने “मेलोडी अंडर स्टार्स” प्रस्तुत कर आकाशीय वातावरण की अनुभूति कराई और अपनी मनमोहक प्रस्तुति से सबका मन जीत लिया।
सांस्कृतिक कार्यक्रम के उपरान्त पुरस्कार वितरण समारोह आयोजित किया गया, जिसमें जेएनकेके द्वारा वर्षभर आयोजित विभिन्न प्रतियोगिताओं के विजेताओं तथा अव्वल छात्रों को सम्मानित किया गया। कार्यक्रम का समापन आभार ज्ञापन के साथ हुआ, जिसमें सभी अतिथियों, अभिभावकों, शिक्षकों और विद्यार्थियों के सहयोग और प्रोत्साहन के लिए कृतज्ञता व्यक्त की गई।
जवाहरलाल नेहरू कला केन्द्र का 43वाँ वार्षिकोत्सव कला, संस्कृति और समर्पण का अविस्मरणीय उत्सव बनकर सामने आया, जिसने यह पुनः सिद्ध किया कि यह संस्था निरंतर नई पीढ़ी की प्रतिभाओं को सँवारने और संगीत, नृत्य एवं ललित कलाओं की परम्परा को आगे बढ़ाने के लिए प्रतिबद्ध है।