नितीश_मिश्र
राँची(खबर_आजतक): आयकर विभाग के नये प्रावधान 43बी (एच) से व्यापारियों के बीच बनी आशंका/भ्रांतियों के समाधान हेतु गुरूवार को चैंबर भवन में परिचर्चा का आयोजन किया गया। इस परिचर्चा में बडी संख्या में व्यापारी वर्ग, उद्यमियों ने एमएसएमई की धारा 43बी(एच) के प्रावधानों को लेकर अपनी शंकाएँ, जिज्ञासा एवं सुझाव रखे जिसका पैनलिस्ट के तौर पर उपस्थित चाटर्ड एकाउंटेंट सीए जेपी शर्मा, रंजीत गाडोदिया, सीए दीपक गाडोदिया और सीए नवीन डोकानिया द्वारा जानकारी दी गई। यह कहा गया कि माइक्रो एवं स्मॉल इंडस्ट्रीज के हितों को ध्यान में रखकर भारत सरकार के द्वारा यह प्रावधान लाया गया है जिससे उन्हें भुगतान में राहत मिल सके।
सीए रंजीत गाडोदिया ने विषय प्रवेश कराते हुए कहा कि एमएसएमई यूनिट से खरीदारी करने वाले खरीदार को 45 दिनों के भीतर भुगतान करना होगा। ऐसा नहीं होने की स्थिति में उस भुगतान राशि को आय माना जायेगा जिस पर सरकार को आयकर लगेगा। यह कहा गया कि जो सप्लाई मैनुफैक्चरर और सर्विस प्रोवाइडर द्वारा की गई हो जो कि एसएमई में निबंधित हैं उन्हें 45 दिन के अंदर भुगतान करना अनिवार्य होगा और जो सप्लाई व्यवसायी के द्वारा की जाती है जो मैनुफैक्चरर और सर्विस प्रोवाइडर नहीं हैं और जिनका एमएसएमई में निबंधन व्यवसायी के तौर पर हुआ है उनके भुगतान पर यह नियम लागू नहीं होता।
इस परिचर्चा में बतौर मुख्य अतिथि उपस्थित सांसद (राज्यसभा) महेश पोद्दार ने कहा कि जीएसटी की तरह व्यापारी वर्ग इस एक्ट को भी स्वीकार करें। यह प्रावधान एसएसआई यूनिट के लिए बेहद उपयोगी है। स्मॉल स्केल इंडस्ट्री के रूग्ण होने का प्रमुख कारण लिक्विडिटी क्राइसिस का लंबे समय तक बने रहना है। एक छोटा ट्रेडर और मैनुफैक्चरर दोनों की चुनौतियां एक समान हैं। इस प्रावधान को कुछ समय के लिए डिफर करने के विचार पर उन्होंने असहमति जताते हुए कहा कि जीएसटी के प्रभावी होने के शुरूआती दिनों में गलतियों को क्षम्य माना गया था। संभव है कि इस एक्ट के शुरूआती दिनों में भी कुछ चुनौतियां आयेंगी किंतु इसमें समय-समय पर संषोधन होंगे। चैंबर ऑफ कॉमर्स का दायित्व है कि वह आने वाली कठिनाईयों में संषोधन पर अपने सुझाव सरकार तक पहुँचाएँ।
इस सभा का संचालन पूर्व अध्यक्ष प्रवीण जैन छाबड़ा ने किया। साथ ही धन्यवाद ज्ञापन प्रोजैक्ट को-ऑर्डिनेटर रोहित पोद्दार ने किया।
वहीं चैंबर अध्यक्ष किशोर मंत्री और महासचिव परेश गट्टानी ने संयुक्त रुप से व्यापारियों के बीच बनी हुई भ्राँतियों पर विस्तार से चर्चा की। परिचर्चा के दौरान यह भी बातें आई कि एमएमएमई में जो निबंधन होता है उसमें मैनुफैक्चरर, ट्रेडर्स और सर्विस प्रोवाइडर किस कैटगरी में आते हैं यह पता नहीं चल पाता क्योंकि एक ही सर्टिफिकेट में ट्रेडिंग और मैनुफैक्चरर दिखता है। सबका मानना है कि उद्यम निबंधन की प्रक्रिया में भी क्लेरिटी आनी चाहिए। उद्यम निबंधन में क्यिर होना चाहए कि सामनेवाला ट्रेडर, मैनुफैक्चरर या सर्विस प्रोवाईडर है। मंत्रालय को इसकी समीक्षा करनी चाहिएं
इस परिचर्चा के अंत में सभी अतिथियों को शॉल व प्रतीत चिन्ह भेंट कर सम्मानित किया गया।
इस परिचर्चा में चैंबर उपाध्यक्ष आदित्य मल्होत्रा, सह सचिव शैलेष अग्रवाल, अमित शर्मा, कोषाध्यक्ष ज्योति कुमारी, कार्यकारिणी सदस्य संजय अखौरी, राम बांगड़, साहित्य पवन, विमल फोगला, प्रवीण लोहिया, सुनिल सरावगी, नवीन अग्रवाल, पूर्व अध्यक्ष ललित केड़िया, कुणाल अजमानी, धीरज तनेजा, सदस्य दीपक गदयान, साकेत मोदी, मनोज मिश्रा, एससी जैन, रमेष साहू, संदीप छापड़िया, कुणाल विजयवर्गीय, अंकिता वर्मा, माला कुजूर, मदन प्रसाद साहू, आस्था किरण, रोहित कुमार, ओमप्रकाश छापड़िया, विक्रम खेतावत, श्रवण राजगढ़िया आदि उपस्थित थे।