झारखण्ड राँची

जेवीएम श्यामली में मनाया गया भारत रत्न डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन का 136वाँ जन्मदिवस, बोले समरजीत जाना ‐ “शिक्षक शिक्षा की आधारशिला”

नितीश_मिश्र

राँची(खबर_आजतक): गुरु प्रकाश का पूंज है, निशा बाद का भोर गुरु ज्ञान की ऐसी गंगा है जिसके पास जाने से जीवन निर्मल और शीतल हो जाता है। ज्ञान, जानकारी और समृद्धि के वास्तविक धारक शिक्षक ही होते हैं। ऊर्जा से भरे शिक्षक जीवन महकाते हैं। ऐसे ही शिक्षक के सेवा और दान को समर्पित डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन के 136वें जन्मदिवस को जवाहर विद्या मंदिर में ‘शिक्षक दिवस’ के रूप में हर्षोल्लास के साथ मनाया गया।

इस दौरान सर्वप्रथम कार्यक्रम स्थल ‘दयानंद प्रेक्षागृह’ में डॉ० सर्वपल्ली राधाकृष्णन के चित्र पर विशिष्ट अतिथि विद्यालय प्रबंधन समिति के उपाध्यक्ष संजय कुमार सिन्हा एवं सोनी वर्मा, मेकॉन के वरीय प्रबंधक (इन्फ्रास्ट्रक्चर) निर्मला कुमारी, उत्पल चक्रवर्ती AGM, (इन्फ्रास्ट्रक्चर) मेकॉन, प्रधानाचार्य समरजीत जाना, विद्यालय के उप प्राचार्य एस०के० झा, बी० एन० झा, संजय कुमार, वरीय शिक्षकों एवं कर्मचारियों ने माल्यार्पण कर देश के महान शिक्षविद् को श्रद्धा सुमन अर्पित किया। तत्पश्चात् उपयुक्त सभी गणमान्य ने वैदिक मंत्रोच्चारण की ध्वनि में सामूहिक रूप से दीप प्रज्ज्वलित किया।

इस दौरान छात्रों ने गुरु वंदना गाकर वातावरण को गुरुभक्ति से ओत-प्रोत कर दिया। छात्र-छात्रों के सिंथेसाइज़र और गिटार की जुगलबंदी पर सामूहिक गायन एवं गरबा और राजस्थानी लोक-नृत्य ने समां बाँध दिया। ‘रामचरित मानस’ पर आधारित गुरु विश्वमित्र द्वारा महाराज दशरथ से राक्षशों से मुक्ति हेतु उनके प्रिय पुत्र राम के माँगने, महाभारत में अर्जुन एवं द्रोणचार्य और आधुनिक व वर्तमान युग के छात्र-छात्रों के बीच परस्परिक संबंधों का मर्मस्पर्शी मंचन ने सभी को भावुक बना दिया। आदि गुरु शंकराचार्य द्वारा रचित ‘गुराष्टकम्’ और कविता का सस्वर वाचन के द्वारा गुरु को महिमा मंडित किया।

सस्टेनेबल मैटेरियल से निर्मित परिधानों द्वारा फैशन कॉउसमॉस की प्रस्तुति आकर्षण के केंद्र बने। इस कार्यक्रम में बिना किसी परंपरागत वाद्य यंत्र की सहायता से घरेलू चीजों से निकाली गई संगीत ध्वनि ने काफी वाह-वाही बटोरी।

इस दौरान विद्यालय में नवनियुक्त शिक्षकों से विद्यालय परिवार में स्वागत और परिचय कराया गया।

विद्यालय में 15 वर्षों का शैक्षणिक सेवाकाल पूर्ण करने वाले अध्यापकों में सुनीता डे (PGT), सीमा भाटिया (PRT), सुनीता कुमारी सिंह (PRT), बिपरेंद्रनाथ शाहदेव (TGT), शालिनी सिंह (TGT) और जयंत कुमार जायसवाल (PGT) को मंच पर अंगवस्त्र, स्मृति चिह्न, प्रशस्ति पत्र एवं पुष्पगुच्छ देकर सम्मानित किया गया।

वहीं सत्र 2022-23 में विद्यालय से एक दिन भी छुट्टी न लेने के कारण ‘लिपिका कर्मकार’ (TGT) और ‘आसिफ़ खान’ (PRT) को फुल अटेंडेंस अवार्ड से सम्मानित किया गया।

इस दौरान प्राचार्य समजीत जाना ने विद्यालय के सभी गणमान्य आगंतुकों का स्वागत किया। ‘शिक्षा दान, महादान’ के द्वारा भारतीय शिक्षा की परंपरा और संस्कृति पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि शिक्षक शिक्षा की आधारशिला है। गुणवत्तापूर्ण और कुशल शिक्षक के बिना शिक्षण संस्थान, पाठ्यक्रम, पठन-पाठन की सहायक सामग्रियाँ और योजनाएँ सब निरर्थक हैं। हमें गर्व है कि हमारे पास कई वर्षों के अनुभवी प्राप्त और मूर्धन्य शिक्षक विद्यालय में कार्यरत हैं जिनके कुशल मार्गदर्शन में विद्यालय उत्तरोत्तर अच्छे परिणाम देता चला आ रहा है। यह शिक्षक दिवस नहीं बल्कि बच्चों में छिपी प्रतिभा को उजागर करने का तरीका है। उन्होंने अपने बचपन के दिनों को साझा करते हुए कहा कि हमारे बचपन में इस तरह के कार्यक्रम नहीं होते थे। हम टीचर्स की नकल करते थे। उन्होंने सभी टीचिंग फैक्टी के प्रति आभार ज्ञापित किया और कि आप सबके सहयोग के बिना ज्ञान आधा और अधूरा हैं। बच्चों से सम्मान पाना ही एक शिक्षक की सबसे बड़ी उपलब्धि है।

इस दौरान मुख्य अतिथि संजय कुमार सिन्हा ने सांस्कृतिक कार्यक्रम की प्रशंसा करते हुए कहा कि हर व्यक्ति अपने आप में एक शिक्षक हैं । उन्होंने बचपन की यादों को साझा करते हुए कहा कि ‘शिक्षक दिवस’ के दिन हम अपने बेस्ट कपड़े पहकर विद्यालय आते और रंगीन चौक से बोर्ड पर लिखते थे। पैरेंट टीचर मीटिंग में अंक की जगह व्यवहार और योग्यता पर बात की जाती थी।

उन्होंने इस भौतिकवादी युग में गुरु और शिष्य के मध्य पवित्र और प्रगाढ़ रिश्ते की आवश्यकता पर बल दिया। मूल्यों के स्खलन और भौतिकता के घटाटोप के चलते आज समाज में गुरु का पहले जैसा सम्मान नहीं है। सूचना क्रांति के चलते गूगल व चैट-जीपीटी जैसे नए प्लेटफार्मों व अन्य अविष्कारों ने शिक्षण-कार्य को अत्यंत चुनौती पूर्ण बना दिया है। फिर भी इसमें दो राय नहीं है कि वही समाज आगे बढ़ता है, जो शिक्षक को उसका देय प्रदान करता है, क्योंकि यह समुदाय ही बुनियादी रूप से नागरिक निर्माण, समाज कल्याण और राष्ट्र का संगठन करता है। शिक्षक विद्यार्थियों के जीवन के वास्तविक कुम्हार होते हैं जो न सिर्फ विद्यार्थी जीवन को आकार देते हैं बल्कि इस काबिल बनाते हैं कि वे पूरी दुनिया में अंधकार होने के बाद भी प्रकाश की तरह जलते रहें। सीख की बुनियाद पर हर बच्चे को अपना भविष्य खुद रचने की काबिलीयत पैदा करने वाले शिक्षक होते हैं।

इस कार्यक्रम के प्रत्यक्षदर्शी सोनी वर्मा, JVMES ट्रस्ट के सदस्य, उप प्राचार्य एस० के० झा, बी०एन० झा, संजय कुमार, छात्रकल्याण संकायाध्यक्ष अमित रॉय, विद्यालय ट्रेनिग नोडल अधिकारी एल०एन० पटनायक, प्रभाग प्रभारी अनुपमा श्रीवास्तव, शीलेश्वर झा ‘सुशील’ दीपक सिन्हा, मीनुदास गुप्ता, NSS कार्यक्रम पदाधिकारी श्रेर शशांक सिन्हा, वरीय खेल शिक्षक डॉ० मोती प्रसाद, कार्यक्रम समन्वियका सुष्मिता मिश्रा, छात्र एवं उनके अभिभावकगण बने जिन्होंने सांस्कृतिक कार्यक्रम को काफी सराहा।

इस कार्यकम का समापन छात्र प्रमुख अर्णव राज एवं छात्रा प्रमुख संचिता घोष के धन्यवाद ज्ञापन से हुआ।

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