झारखण्ड राँची

झारखंड की राजधानी राँची में किया गया सीएसआईआर-सिम्फर, धनबाद के “एक सप्ताह एक प्रयोगशाला” कार्यक्रम का आयोजन

यह साझेदारी को कंपनी के सभी भारतीय एवं विदेशी खनन कार्यों तक किया जाएगा विस्तारित: राजेंद्र इंगले

नितीश_मिश्र

राँची(खबर_आजतक): धनबाद स्थित सीएसआईआर- केंद्रीय खनन एवं ईंधन अनुसंधान संस्थान (सीएसआईआर-सिम्फर) द्वारा अपने पैतृक संगठन सीएसआईआर, नई दिल्ली के देश व्यापी अभियान “एक सप्ताह एक प्रयोगशाला” का आयोजन 22 – 26 अगस्त, 2023 तक किया जा रहा है। इस अभियान के दौरान सिम्फर द्वारा सप्ताह भर चलने वाले विभिन्न कार्यक्रमों का आयोजन किया जाएगा जिसमें संस्थान अपनी वैज्ञानिक उपलब्धियों, विशेष नवाचारों एवं तकनीकी सफलताओं को राष्ट्र के जन समूहों के समक्ष प्रदर्शित करेगी। इस अवसर पर उद्योग और स्टार्ट-अप मीट, विद्यार्थियों एवं सोसाइटी से संपर्क, प्रौद्योगिकियों का प्रदर्शन एवं हस्तांतरण एवं आमंत्रित वक्ताओं के व्याख्यान आदि भी शामिल हैं।

इस अवसर पर डॉ. एन. कलैसेल्वी, महानिदेशक, सीएसआईआर एवं सचिव, डीएसआईआर, नई दिल्ली मुख्य अतिथि के रुप में उपस्थित थीं। साथ ही सीएसआईआर के प्रयोगशालाओं के डॉ. अरूण बंदोपाध्याय, निदेशक, सीएसआईआर-आईआईसीबी; डॉ. रामानुज, निदेशक, सीएसआईआर-आईएमएमटी; अरूण मिश्रा, सीईओ, हिन्दुस्तान जिंक लिमिटेड; डॉ. एन. वी. रमनाराव, निदेशक एवं डॉ. मनोज प्रधान, डीन, एनआईटी, रायपुर; एस. के. गोमस्ता, निदेशक (तकनीकी), सीएमपीडीआई एवं प्रो शालिवाहन, निदेशक, आईआईपीई, विशाखापट्नम जैसे विशिष्ट शिक्षण संस्थानों और सरकारी नियामक प्राधिकरणों के प्रमुखों; नीति निर्माताओं, हमारे उद्योग पार्टनरों के प्रतिनिधिगणस सहित कई गणमान्य व्यक्ति प्रत्यक्ष रूप से एवं वेब के माध्यम से इस कार्यक्रम में शामिल हुए।

सर्वप्रथम दीप प्रज्वलन के साथ कार्यक्रम का शुभारंभ किया गया।

इस संस्थान के निदेशक, प्रो अरविंद कुमार मिश्रा ने मुख्य अतिथि, सम्मानित अतिथियों, सभागार में सभी लब्धप्रतिष्ठित श्रोतागणों, प्रेस व इलेक्ट्रॉनिक मीडिया से आए बंधुओं एवं ऑनलाइन माध्यम में उपस्थित सभी शुभचिंतकों का स्वागत करते हुए कहा कि इस महत्वपूर्ण ‘एक सप्ताह एक प्रयोगशाला अभियान’ (OWOL) ने हमें कार्यक्रम में उपस्थित सभी महानुभवों का खनिज-समृद्ध राज्य, झारखंड की राजधानी, राँची में स्वागत करने का एक शानदार अवसर प्रदान किया है। इस महानिदेशक की गरिमामयी उपस्थिति हम सभी के लिए शक्ति और प्रेरणा का स्रोत है।

वहीं प्रो अरविंद कुमार मिश्रा ने इस ‘एक सप्ताह एक प्रयोगशाला अभियान’ को आयोजित करने के उद्देश्य को साझा करते हुए बताया कि विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने इस बात पर जोर दिया था कि देश भर में मौजूद 37 सीएसआईआर (वैज्ञानिक तथा औद्योगिक अनुसंधान परिषद्) प्रयोगशालाओं में प्रत्येक प्रयोगशाला अलग-अलग विशिष्ट क्षेत्र के कार्य के लिए समर्पित है और उन्होंने यह कल्पना की थी कि प्रत्येक सीएसआईआर प्रयोगशाला द्वारा “एक सप्ताह, एक प्रयोगशाला” अभियान आयोजित किया जाएगा ताकि न केवल उन्हें अपने कार्यों को प्रदर्शित करने का अवसर मिल सकें बल्कि समाज व हितधारक भी उनके द्वारा किए जा रहे कार्यों से लाभान्वित हो सकें। इस दिशा में, सिम्फर, धनबाद द्वारा समाज के लाभ के लिए खनन एवं ईंधन क्षेत्रों में अपने अनुसंधान एवं विकास योगदानों को प्रदर्शित और प्रसारित करने की योजना बनाई गई है।

उन्होंने संस्थान का परिचय देते हुए बताया कि सीएसआईआर-केंद्रीय खनन एवं ईंधन अनुसंधान संस्थान (सीएसआईआर-सिम्फर), धनबाद वर्ष 1946 में स्थापित पूर्व केंद्रीय ईंधन अनुसंधान संस्थान (सीएफआरआई) एवं वर्ष 1956 में स्थापित पूर्व केंद्रीय खनन अनुसंधान संस्थान (सीएमआरआई) के विलय के बाद साल 2007 में अस्तित्व में आया है। सीएसआईआर-सिम्फर भारत के झारखंड राज्यांतर्गत धनबाद शहर में स्थित है, जो भारत की कोयला राजधानी के रूप में लोकप्रिय है। देश के पूर्वी भाग के दामोदर बेसिन में स्थित यह शहर समृद्ध कोयला भंडार से संपन्न है और यहाँ खनिजों से संबंधित कई बड़े उद्योग मौजूद हैं।

इस संस्थान के पास कोयला और खनिज संसाधनों के लिए पर्याप्त ज्ञानाधार मौजूद है एवं यह अन्वेषण, खनन, प्रसंस्करण, उपयोगिता और पर्यावरण संरक्षण को शामिल करते हुए संपूर्ण कोयला-आधारित ऊर्जा श्रृंखला के लिए अनुसंधान एवं विकास इनपुट प्रदान करता है। इसके अलावा सिम्फर, धनबाद ने अन्य खनिज संसाधनों के कुशल निष्कर्षण, तथा जलविद्युत परियोजनाओं, सुरंगों, हवाई अड्डों, रेलवे, महानगरों, धूमिल मौसम में खान में कार्य करने के लिए दृष्टि संवर्धन प्रणाली आदि के निर्माण के लिए ज्ञान-आधारित विशेषज्ञता भी प्रदान की है। अपने स्थापना-काल से लेकर पिछले सात दशकों में विकसित विशाल ज्ञानाधार और उन्नत अवसंरचनाओं के माध्यम से खनन और ईंधन क्षेत्रों के उद्योगों की जटिल समस्याओं का समुचित समाधान कर पाने की क्षमता के कारण, एक अनुसंधान एवं विकास प्रयोगशाला के रूप में सीएसआईआर-सिम्फर का इन उद्योगों में काफी वर्चस्व फैला है। उन्होंने गर्व से कहा कि इस प्रयोगशाला में देश में उपयोग और निर्यात किए जाने वाले सभी अनुमत विस्फोटकों और डेटोनेटरों को डिजाइन और परीक्षण करने के अलावा तेल और गैस, खनन, रिफाइनरियों, हथियारों और गोला-बारूद डिपो में उपयोग किए जाने वाले सभी फ्लेम प्रूफ उपकरणों और आंतरिक रुप से सुरक्षित उपकरणों का परीक्षण किया जाता है। खनन एवं ईंधन क्षेत्रों में किए गए अनुसंधान एवं विकास योगदानों का विवरण स्मारिका, पुस्तिकाओं, वेबसाइट और विभिन्न स्रोतों में उपलब्ध हैं।

तत्पश्चात् प्रो अरविंद कुमार मिश्रा ने 22-26 अगस्त तक आयोजित किए जाने वाले सभी कार्यक्रमों का संक्षिप्त विवरण प्रस्तुत किया, जिनमें मुख्य रुप से युवा मंथन, विद्यार्थी-जिज्ञासा, ज्ञानोदय एवं उड़ान एवं उद्योग-संगम शामिल हैं। उन्होंने महानिदेशक, सीएसआईआर एवं इस कार्यक्रम में उपस्थित सभी सम्मानित प्रतिनिधियों के प्रति आभार व्यक्त करते हुए अपना वक्तव्य समाप्त किया।

सिम्फर की महत्वपूर्ण उपलब्धियों को वीडियो के माध्यम से भी दर्शाया गया।

सतत अत्याधुनिक प्रोद्योगिकियों को विकसित करने की प्रतिबद्धता को दर्शाते हुए सीएसआईआर-सिम्फर, धनबाद द्वारा एक नए अनुसंधान एवं विकास प्रभाग ‘सतत समाधान हेतू कोयला से हाइड्रोजन ऊर्जा (सीएचईएसएस)’ विकसित किया गया है जिसका उद्घाटन मुख्य अतिथि डॉ. कलैसेल्वी द्वारा वर्चुअल माध्यम से किया गया।

डॉ. एन. कलैसेल्वी ने इस ‘एक सप्ताह एक प्रयोगशाला’ कार्यक्रम के अवसर पर पूरे सिम्फर परिवार को बधाई देते हुए कहा कि सिम्फर, धनबाद सीएसआईआर की एक महत्वपूर्ण प्रयोगशाला है। उन्होंने आगे कहा कि राष्ट्र की ऊर्जा एवं खनिज संबंधी आवश्यकताओं को पूरा करने में सीएसआईआर-सिम्फर की भूमिका पर प्रकाश डाला। उन्होंने अपनी उत्कृष्टता दर्शाने के साथ-साथ सीएसआईआर के आदेशों का अनुपालन करने के लिए संस्थान के सभी वैज्ञानिकों और कर्मचारियों की सराहना की। उन्होंने विशेष रुप से कहा कि हरित ऊर्जा परियोजनाएँ समय की माँग हैं और सिम्फर द्वारा गहरे खदानों में कोयला उत्पादन से लेकर उड़नशील राख और पृष्ठभरण प्रौद्योगिकी का उपयोग करते हुए भूमिगत खदानों के स्थिरीकरण, विस्फोटकों के इष्टतम उपयोग और नियंत्रित विस्फोट, कोयला खदानों में कार्बन डाइऑक्साइड का सिक्वेस्ट्रेशन, ऊर्जा के लिए मिथेन निष्कर्षण, कोयला से हाइड्रोजन ऊर्जा, कोयले से मेथनॉल का उत्पादन, कोयले की किफायती और पर्यावरण-हितैषी वॉशिंग तक जैसे उल्लेखनीय कार्य किए जा रहे हैं। सिम्फर की अनगिनत उपलब्धियों पर रौशनी डालते हुए उन्होंने इस संस्थान द्वारा देश भर के विद्युत संयंत्रों को आपूर्ति किए जा रहे कोयलों की गुणवत्ता निर्धारित करने के जटिल कार्य की सराहना की। उन्होंने आगे कहा कि सिम्फर के इंटरवेंशन के बिना खानों में ढलानों की सुरक्षा बनाए रखना संभव नहीं है। जब भी देश में खदानों के सुरक्षित और किफायती संचालन की बात आएगी, तो सिम्फर ही पथप्रदर्शक के रूप में जाना जाएगा – यह कहते हुए उन्होंने अपनी बात समाप्त की।

आईआईपीई के निदेशक प्रोफेसर शालिवाहन ने अपने संबोधन में कहा कि खनन एवं ईंधन के क्षेत्रों में सीएसआईआर-सिम्फर का 75 वर्षों का अनुभव एक बहुमूल्य संसाधन है और समाज और राष्ट्र के लाभ के लिए प्रमुख शैक्षणिक संस्थान सिम्फर के साथ सहयोग करने के लिए आगे आ रहे हैं।

इस अवसर पर हिंदुस्तान जिंक लिमिटेड के मुख्य कार्यकारी अधिकारी अरुण मिश्रा ने खनन कार्यों के दौरान उत्पन्न होने वाली विभिन्न चुनौतीपूर्ण समस्याओं का हल करने के लिए इस संस्थान की प्रशंसा की और विशेष रूप से यह उद्धृत किया कि उनके खदानों की लाभप्रदता और सुरक्षा सीएसआईआर-सिम्फर की प्रौद्योगिकियों द्वारा संरक्षित है।

अदानी नेचुरल रिसोर्सेज के व्यवसाय प्रमुख, राजेंद्र इंगले ने सिम्फर के साथ विकसित विश्वास और संबंधों पर प्रकाश डाला और कहा कि इस साझेदारी को कंपनी के सभी भारतीय और विदेशी खनन कार्यों तक विस्तारित किया जाएगा।

इस शुभ अवसर पर मेसर्स सेफ्टी इनटेक लिमिटेड, कोलकाता एवं मेसर्स एस.आर.के. मिनरल के साथ 02 प्रौद्योगिकियाँ हस्तांतरित की गईं जबकि हिन्दुस्तान जिंक लिमिटेड, उदयपुर; एनआईटी, रायपुर; हट्टी गोल्ड माइन्स कम्पनी लिमिटेड (एचजीएमएल); एनएमडीसी, हैदराबाद; आईआईपीई, विशाखापट्टनम; माइनिंग टेक कंसल्टेंसी सर्विसेस प्राइवेट लिमिटेड (एमटीसीएसपीएल), अदानी ग्रुप, अहमदाबाद एवं टाटा स्टील लिमिटेड, जमशेदपुर के साथ 07 महत्वपूर्ण समझौता ज्ञापनों पर हस्ताक्षर किए गए।

ये सभी प्रौद्योगिकी हस्तांतरण एवं समझौता ज्ञापन सिम्फर की तकनीकी योग्यता के परिचायक हैं और भारत को आत्मनिर्भर बनाने में महत्वपूर्ण योगदान देंगे।

जितेन्द्र कुमार सिंह, मुख्य वैज्ञानिक ने धन्यवाद ज्ञापन प्रस्तुत किया जबकि कार्यक्रम का संचालन डॉ. आशीष कुमार घोष, वरिष्ठ प्रधान वैज्ञानिक के द्वारा किया गया।

इस कार्यक्रम का समापन राष्ट्रगान के साथ किया गया।

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