विद्यार्थियों के सर्वांगीण विकास के लिए शिक्षकों व अभिभावकों में समन्वय जरूरी : डॉ. हेमलता
चास (ख़बर आजतक) : माता-पिता और शिक्षकों का एक ही लक्ष्य होता है, विद्यार्थियों का सर्वांगीण विकास और सफलता। माता-पिता, शिक्षक और बच्चे की साझेदारी स्कूली प्रक्रिया को समृद्ध और प्रभावशाली बनाती है। माता-पिता अपने बच्चों के पहले शिक्षक होते हैं। उनका सहयोग ही विद्यार्थी की पढ़ाई और उनके विकास पर सकारात्मक प्रभाव डालता है। इसी उद्देश्य से शनिवार को दिल्ली पब्लिक स्कूल चास में अभिभावक अध्यापक बैठक (पीटीएम) का आयोजन किया गया। इस दौरान शिक्षक और अभिभावक बच्चों के शैक्षणिक विकास से संबंधित एक दूसरे की राय जानने को काफी उत्सुक दिखे। शिक्षकों ने अभिभावकों को खेलकूद व पढ़ाई में बच्चों के प्रदर्शन की जानकारी दी।
मौके पर डीपीएस चास की चीफ मेंटर डॉ. हेमलता एस. मोहन ने कहा कि प्रत्येक विद्यार्थी प्रतिभाशाली होता है। उनकी प्रगति में माता-पिता और शिक्षकों की उल्लेखनीय भूमिका होती है। उनके प्रोत्साहन बच्चों में निहित संभावनाओं को न केवल निखारते हैं, बल्कि जीवन में ऊंचाइयों को छूने के लिए पंख देते हैं। बच्चों के सर्वांगीण विकास के लिए अभिभावक और शिक्षकों के बीच निरंतर बातचीत करने की आवश्यकता होती है। चूंकि विद्यार्थी की शिक्षा और उनका सम्पूर्ण विकास महत्वपूर्ण है, तो ऐसे में एक मजबूत साझेदारी के अलावा कुछ भी मायने नहीं रखता है। उन्होंने कहा कि माता-पिता अपने बच्चे के चरित्र को आकार देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। वर्तमान परिस्थिति में बच्चों के बेहतर प्रदर्शन के लिए माता-पिता और शिक्षकों की जिम्मेदारियां बढ़ गई हैं, इसलिए पीटीएम के माध्यम से तालमेल विकसित किया गया। विद्यालय की कार्यवाहक प्राचार्या दीपाली भुस्कुटे ने कहा कि शिक्षक और माता-पिता मिलकर बच्चों में आत्मविश्वास को पैदाकर उनकी विशिष्टता को निखारते हैं। दोनों के पारस्परिक सहयोग से ही बच्चों के सुरक्षित वातावरण के विकास में मदद मिलती है। उन्होंने कहा कि कोई बच्चा उच्च शैक्षणिक उत्कृष्टता स्तर को तभी प्राप्त कर सकता है जब उसे परिवार और स्कूल का पूरा समर्थन मिले। शिक्षकों का माता-पिता के संपर्क में होना बच्चे की सफलता के लिए सर्वोपरि है। दोनों पक्षों की मेहनत को देखकर विद्यार्थी अपने शैक्षणिक लक्ष्यों तक पहुंचने के लिए अधिक लगन से पढ़ाई करते हैं।