झारखण्ड राँची शिक्षा

डीपीएस ने धूमधाम से मनाया 35वाँ स्थापना दिवस

रिपोर्ट : नितीश मिश्र

राँची(खबर_आजतक): डीपीएस ने शनिवार को विवेकानंद प्रेक्षागृह में अपना 35वॉ स्थापना दिवस “अभिव्यक्ति” बड़े हर्षोल्लास के साथ मनाया। इस अवसर पर ऑनरेबल मिस्टर जस्टिस सुजीत नारायण प्रसाद, एक्टिंग चीफ जस्टिस, झारखण्ड उच्च न्यायालय, मुख्य अतिथि और ऑनरेबल मिस्टर जस्टिस संजय प्रसाद, झारखण्ड उच्च न्यायालय विशिष्ट अतिथि के रूप मे उपस्थित थे। एस.जे. जाचुक, सीजीएम (एचआर, आरडीसीआईएस, सेल) और प्रो-वाइस चेयरमैन, डीपीएस राँची तथा दिल्ली पब्लिक स्कूल, मथुरा रोड, नई दिल्ली के प्राचार्य डॉ. राम सिंह ने विशेष अतिथि के रुप में उपस्थित थे।

इस अवसर पर राँची के प्रतिष्ठित विद्यालयों के प्राचार्यगण और शहर के अन्य गणमान्य अतिथियों ने अपनी उपस्तिथि से इस कार्यक्रम की शोभा बढ़ाई।

इस कार्यक्रम की शुरुआत मुख्य अतिथि एवं विशिष्ट अतिथियों द्वारा दीप प्रज्ज्वलित कर किया गया। इसके बाद डीपीएस राँची के प्रतिभाशाली गायकों और वादकों द्वारा संगीतमय प्रस्तुति दी गई एवं उसके बाद डीपीएस राँची के प्राचार्य ने सम्मानित गणमान्य व्यक्तियों का गर्मजोशी से स्वागत किया और इस आयोजन की सराहना की।

डीपीएस के प्राचार्य डॉ. आर.के.झा ने इस अवसर पर कार्यक्रम में उपस्थित गणमान्य अतिथियों का धन्यवाद करते हुए। इस समारोह का हिस्सा बनने के लिए अपने व्यस्ततम कार्यों से समय निकालने के लिए हार्दिक आभार भी प्रकट किया। उन्होंने बच्चे के व्यक्तित्व के समग्र विकास को पूरा करने के लिए स्कूल के अथक प्रयासों एवं उद्देश्यों से सदन को अवगत कराया। उन्होंने शैक्षणिक और सह-पाठयक्रम प्रतियोगिताओं में डीपीएस राँची के विद्यार्थियों की उल्लेखनीय उपलब्धियों को उल्लेखित किया। जिन्होंने शिक्षा के क्षेत्र में अभूतपूर्व उपलब्धि हासिल कर पूरे विद्यालय परिवार का नाम गौरवान्वित किया है।

यह उत्सव एक जीवंत सांस्कृतिक कार्यक्रम के साथ जारी रहा जिसमें स्कूल के प्रतिभाशाली छात्रों ने कई प्रस्तुतियां दीं। छात्रों ने शेक्सपियर की त्रासदी, “मैकबेथ” पर आधारित एक नाटक प्रस्तुत किया जो अनियंत्रित महत्वाकांक्षा और नैतिक भ्रष्टाचार की विनाशकारी शक्ति पर आधारित था, जिसमें विद्यार्थियों द्वारा दिखाया गया है कि कैसे अतिमहत्वाकांक्षा इस नाटक के मुख्य किरदारों की शांति छीन लेती है जिससे उनका अंतिम पतन होता है।

इसके बाद विद्यार्थियों द्वारा “द जर्नी ऑफ डांस” नामक एक मनमोहक नृत्य नाटिका की प्रस्तुति दी गई इस प्रदर्शन ने भारत में नृत्य के विकास पर प्रकाश डाला जिसमे पवित्र वैदिक काल से, जहाँ नृत्य को मंदिरों में किया जाता था, मुगल काल तक, जहाँ यह शाही मनोरंजन का एक रूप बन गया और ब्रिटिश काल के दौरान, जहाँ शास्त्रीय नृत्यों को दबा दिया गया था एवं स्वतंत्रता के बाद, पारंपरिक नृत्य शैलियों ने अपने सांस्कृतिक महत्व को पुनः प्राप्त करते हुए पुनरुद्धार का अनुभव किया और अब नई शिक्षा नीति 2020 भी शिक्षा में नृत्य को एकीकृत करने पर जोर देती है के बारे मे बताया गया।

वहीं विद्यार्थियों को संबोधित करते हुए, ऑनरेबल मिस्टर जस्टिस सुजीत नारायण प्रसाद, एक्टिंग चीफ जस्टिस, झारखण्ड उच्च न्यायालय ने कहा कि वह विद्यार्थियों द्वारा विभिन्न कला रूपों के सुंदर मिश्रण को देखकर वह प्रफुल्लित हो उठे। उन्होंने डीपीएस राँची को शिक्षा जगत मे ‘‘अनमोल रत्न” के रूप में माना, जिसके विद्यार्थियों ने अपनी मेधा शक्ति के बल पर अनेक राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर में भी कई उपलब्धियाँ हासिल करते हुए विशिष्ट पहचान बनाई है। उन्होंने छात्रों को आधुनिक दुनिया की चुनौतियों के लिए तैयार करने वाले नैतिक मूल्यों और कौशलों को विकसित करने में विद्यालय के प्रयासों की सराहना की। उन्होंने भावी पीढ़ी के सकारात्मक व्यक्तित्व को आकार देने में शिक्षकों के अथक प्रयासों और अटूट समर्पण की भी सराहना की। उन्होंने छात्रों को जिम्मेदार वैश्विक नागरिक बनने और ईमानदारी और समर्पण के साथ समुदाय की सेवा करने के लिए भी प्रेरित किया।

इस कार्यक्रम मे शामिल अन्य अतिथियों ने भी अपने आशीर्वचनों के माध्यम से विद्यार्थियों को प्रेरित किया और गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान करने और युवा शिक्षार्थियों के समग्र विकास के लिए अनुकूल वातावरण को बढ़ावा देने में स्कूल के प्रयासों की प्रसंशा की।

इस कार्यक्रम का समापन धन्यवाद ज्ञापन देकर किया गया।

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