विश्वविख्यात वायलिन वादक जौहर अली की स्वर लहरियों और सुर-ताल की जुगलबंदी ने किया मंत्रमुग्ध
बोकारो : बच्चों में संगीत के प्रति रुचि विकसित करने के उद्देश्य से मंगलवार को डीपीएस बोकारो में स्पिक मैके की ओर से विशेष संगीत कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस अवसर पर विश्वप्रसिद्ध वायलिन वादक उस्ताद जौहर अली ने अपनी प्रस्तुतियों से समां बांध दिया। वायलिन पर उनकी स्वर लहरियों और युवा तबलावादक अर्कोदीप दास के साथ उनकी जुगलबंदी ने सभी को मंत्रमुग्ध कर दिया। विद्यालय के अश्वघोष कला क्षेत्र में अपने कार्यक्रम की शुरुआत उन्होंने रूपक ताल में निबद्ध सुबह के राग अहीर भैरव से की। इस राग में आलाप, तान, गमक और तीन ताल में प्रस्तुति के बाद वायलिन और तबले के सवाल-जवाब (जुगलबंदी) का दौर आकर्षण का केंद्र रहा। संगीत की रूहदारी के साथ जिस बारीकी से उस्ताद जौहर ने अपनी कलाकारी के जौहर दिखाए, उसने सभी का मन मोह लिया। उनके साथ तबले पर अर्कोदीप की कुशल संगत भी काबिले-तारीफ रही। इस दौरान पूरा विद्यालय परिसर तालियों की गड़गड़ाहट से गुंजायमान बना रहा।
कार्यक्रम में उपस्थित बच्चों को भारतीय शास्त्रीय संगीत व रागों की महत्ता से परिचित कराते हुए उन्होंने सरगम के सात सुरों की जानकारी दी। बच्चों ने भी उनके वादन के साथ सुर में सुर मिलाकर संगीतमय वातावरण में और आनंद-रस घोल दिया। उन्होंने रघुपति राघव राजा राम…, अच्युतम केशवम…, दमादम मस्त कलंदर गीतों की धुन बजाकर शास्त्रीय संगीत को और बेहतर बनाने में सूफी संगीतज्ञों की भूमिका पर प्रकाश डाला। इसके बाद उन्होंने उत्तराखंड, गुजरात, राजस्थान सहित विभिन्न राज्यों की पारंपरिक लोकधुनें बजाईं और बच्चों को उनकी पहचान करने को कहा। इस सत्र के उपरांत उस्ताद जौहर ने अपने पिता एवं गुरु सुविख्यात वायलिन वादक स्व. गौहर अली के द्वारा बजाई गई रेडियो पर प्रसारित होने वाली धुन बजाकर उनकी जयंती पर अपनी स्वरांजलि अर्पित की। इसी श्रृंखला को आगे बढ़ाते हुए उन्होंने सारे जहां से अच्छा… की धुन बजाकर अपने कार्यक्रम को विराम दिया।
इसके पूर्व, उत्साहपूर्ण वातावरण में उस्ताद जौहर एवं अर्कोदीप का स्वागत पौधा भेंटकर किया गया। बच्चों ने तालियों की गूंज के साथ गर्मजोशी से उनका स्वागत किया। विद्यालय की ओर से उन्हें स्मृति-चिन्ह भेंटकर सम्मानित किया गया। विद्यालय के प्राचार्य डॉ. ए एस गंगवार ने अपने संदेश में कहा कि संगीत मन, मस्तिष्क, हृदय और आत्मा को आनंदित करने का माध्यम है। तनाव-मुक्ति के साथ-साथ बच्चों के बौद्धिक विकास में भी यह सहायक है। डीपीएस बोकारो अपने विद्यार्थियों को संगीत-कला से जोड़ने का हर अवसर उपलब्ध कराने तथा उनकी प्रतिभा निखारने की दिशा में प्रतिबद्ध है। आगे भी ऐसे प्रयास जारी रहेंगे। कला व संगीत के विकास में स्पिक मैके की भूमिका को अहम बताते हुए उन्होंने इसके प्रति आभार भी जताया।