किसी भी राज्य में स्थानीय एवं नियोजन नीति को लेकर विरोधाभाष नहीं, परंतु झामुमो स्थानीय एवं नियोजन नीति के नाम पर राज्य के युवाओं को बना रहा है बेवकूफ: डॉ आशा लकड़ा
नितीश_मिश्र
राँची(खबर_आजतक): भाजपा की राष्ट्रीय मंत्री सह राँची की निवर्तमान महापौर डॉ. आशा लकड़ा ने स्पीकर सह नाला विधायक रवीन्द्रनाथ महतो के बयान पर आपत्ति जताते हुए कहा कि राज्यपाल सीपी राधाकृष्णन संविधान के दायरे में रहकर काम कर रहे हैं। 1932 के खतियान आधारित स्थानीय नीति को उन्होंने कानूनी परामर्श लेने के बाद ही राज्य सरकार को वापस भेज दिया था। उन्होंने यह भी कहा कि 1932 का खतियान आधारित स्थानीय नीति व नयोजन नीति झामुमो के चुनावी घोषणा पत्र में शामिल था। राज्य सरकार खुद स्थानीय व नियोजन नीति निर्धारित कर झारखंड में लागू कर सकती है। 1932 के खतियान आधारित स्थानीय नीति को लागू करने में राज्य सरकार विफल हो गई तो अब स्पीकर रविंद्र नाथ महतो राजभवन की कार्यशैली पर उंगली उठा रहे हैं। स्पीकर खुद संवैधानिक पद पर आसीन हैं और इस प्रकार की बेतुका बयानबाजी कर रहे हैं। झारखंड के साथ ही छत्तीसगढ़ व उत्तराखंड राज्य का भी गठन हुआ था। आज छत्तीसगढ़ व उत्तराखंड में इस प्रकार का कोई विरोधाभाष नहीं है। हेमन्त सोरेन की सरकार को इन दो राज्यों से राज्य के विकास कार्यों की सीख लेने की आवश्यकता है। यदि राज्य के विकास को लेकर जेएमएम की नीति स्पष्ट होती तो आज राज्य के युवाओं की ऐसी दुर्गति महीन होती। जब अपना ही सिक्का खोटा हो तो वे क्या करेंगे। मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन ने वोट बैंक की राजनीति के लिए 1932 के खतियान आधारित स्थानीय नीति व नियोजन नीति का मसौदा तैयार किया। यदि उन्हें राज्य के युवाओं की इतनी ही चिंता थी तो स्थानीय व नियोजन नीति के नाम पर खासकर आदिवासियों को दिग्भ्रमित नहीं करना चाहिए।
डॉ. आशा लकड़ा ने यह भी कहा कि आज किसी भी राज्य में स्थानीय व नियोजन नीति को लेकर विरोधाभाष नहीं है, लेकिन झामुमो के लोग स्थानीय व नियोजन नीति के नाम पर राज्य के युवाओं को सिर्फ और सिर्फ बेवकूफ बना रहे हैं। राज्य के युवा भी यह समझ चुके हैं कि मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन के पास न तो कोई विजन है और ना ही परिपक्वता। वर्तमान राज्य सरकार ने अब तक सिर्फ और सिर्फ भ्रष्टाचार को बढ़ावा देने का काम किया है।
डॉ. आशा लकड़ा ने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से आग्रह करते हुए कहा कि स्थानीय व नियोजन नीति पर राजभवन की ओर से की गई आपत्ति पर जल्द से जल्द अपना जवाब दें और त्रुटियों को दूर कर स्थानीय व नियोजन नीति को लागू करें।