झारखण्ड बोकारो शिक्षा

तीन-दिवसीय साहित्योत्सव में विद्यार्थियों ने दिखाई अपनी तार्किक व बौद्धिक क्षमता

छात्र-छात्राओं में भाषा-साहित्य के प्रति रुझान आवश्यक : प्राचार्य डॉ. गंगवार

बोकारो (ख़बर आजतक) : शिक्षा के साथ-साथ बच्चों में साहित्यिक गुणों का विकास करने के उद्देश्य से डीपीएस बोकारो में तीन-दिवसीय साहित्योत्सव (लिटरेरी फेस्ट) आयोजित किया गया। सोमवार को इसका समापन अंतर सदन वर्तनी प्रतियोगिता के साथ हुआ। इस साहित्योत्सव के तहत विद्यार्थियों ने हिन्दी-अंग्रेजी वाद-विवाद प्रतियोगिताओं में जहां अपनी कुशल बौद्धिक व तार्किक क्षमता का परिचय दिया, वहीं वर्तनी प्रतियोगिता (स्पेलिंग कंपीटिशन) में शब्दों पर अपनी मजबूत पकड़ का उदाहरण भी प्रस्तुत किया। ‘बोधि- द इनलाइटनमेंट’ नामक इस आयोजन के पहले दिन आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस खतरनाक विषय पर अंग्रेजी वाद-विवाद प्रतियोगिता आयोजित की गई। इसमें छात्र-छात्राओं ने कृत्रिम बुद्धिमत्ता के सकारात्मक एवं नकारात्मक पहलुओं को बखूबी प्रस्तुत किया। बेहतर प्रदर्शन के आधार पर जमुना हाउस की अंकिता साक्षी ने प्रथम स्थान प्राप्त किया। जबकि, चेनाब हाउस की ईधा सिंह द्वितीय एवं गंगा सदन की आद्या मिश्रा तृतीय स्थान पर रही।

दूसरे दिन आधुनिक परिवेश में मर्यादित सृजनशीलता को अपनाने की आवश्यकता विषय पर हिंदी वाद-विवाद प्रतियोगिता आयोजित की गई। प्रतिभागियों ने मर्यादा के दायरे के भीतर अथवा इससे बाहर रचनात्मकता के विभिन्न पक्षों पर अपने तर्क प्रस्तुत किए। प्रतियोगिता में गंगा हाउस की कुमुद भारती प्रथम, जमुना सदन की अनुष्का आर्या द्वितीय एवं झेलम हाउस की श्रेष्ठ रूपम द्विवेदी तृतीय स्थान पर रहीं। साहित्योत्सव के तीसरे दिन इंटर हाउस स्पेलिंग कंपटीशन में अंग्रेजी के जटिल व क्लिष्ट शब्दों की प्रश्नोत्तरी रोचक रही। इसमें प्रथम स्थान पर सतलज हाउस की टीम रही, जबकि जमुना और गंगा ने संयुक्त रूप से दूसरा स्थान प्राप्त किया। वहीं, रावी सदन की टीम तीसरे स्थान पर रही।

विजेता टीमों एवं अन्य सभी प्रतिभागियों को प्रोत्साहित करते हुए प्राचार्य डॉ. ए एस गंगवार ने साहित्योत्सव के सफल आयोजन पर प्रसन्नता व्यक्त की। उन्होंने इस आयोजन को ज्ञान एवं शब्द का उत्सव बताते हुए विद्यार्थियों में छात्र-जीवन से ही साहित्य एवं भाषा के प्रति प्रेम, लगाव एवं रुचि की अनिवार्यता पर बल दिया। उन्होंने कहा कि ऐसे आयोजन बच्चों की बुद्धिमत्ता एवं ज्ञान के स्तर में विकास में सहायक हैं। प्राचार्य ने विद्यार्थियों को जोखिम लेने तथा असफलता से घबराने की बजाय और कड़ी मेहनत करने की प्रेरणा भी दी।

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