तेनुघाट, सरहचिया, घरवाटांड और आसपास के क्षेत्रों में वट सावित्री व्रत की परंपरा को निभाते हुए सुहागिनों ने 16 श्रृंगार कर विधिवत रूप से पूजा-अर्चना की। बरगद के पेड़ की परिक्रमा करते हुए उन्होंने अपने पति की दीर्घायु और अखंड सौभाग्य की कामना की। धार्मिक मान्यता है कि इसी दिन माता सावित्री ने यमराज से अपने पति सत्यवान के प्राणों की रक्षा की थी। व्रत की विशेषता यह भी है कि वट वृक्ष के प्रति आभार स्वरूप उसकी परिक्रमा की जाती है।

इस वर्ष पंचांग की गणना में भिन्नता के कारण कुछ महिलाओं ने सोमवार को तो कुछ ने मंगलवार को यह व्रत किया, जिससे एक ही गांव और पंचायत में व्रत की तारीख को लेकर भ्रम की स्थिति बनी रही। फिर भी आस्था और श्रद्धा में कोई कमी नहीं दिखी, महिलाएं परंपरा के अनुरूप पूरे विधि-विधान से पूजा करती नजर आईं।