झारखण्ड राँची राजनीति

दलित-आदिवासी-मूलवासी पदाधिकारियों को प्राथमिकता दे अन्यथा आंदोलन किया जायेगा : विजय नायक

रांची (ख़बर आजतक): उच्च तकनिकी शिक्षा विभाग द्वारा सहायक निदेशक, उपनिदेशक, संयुक्त निदेशक के पद पर किये गए चयन को रद्द कर अविलंब फिर से विज्ञापन निकाल कर चयन कर दलित-आदिवासी-मूलवासी पदाधिकारियों को प्राथमिकता दे अन्यथा आंदोलन किया जाएगा। उपरोक्त बातें आज झारखंडी सूचना अधिकार मंच के केंद्रीय अध्यक्ष आदिवासी मूलवासी जन अधिकार मंच के केंद्रीय उपाध्यक्ष पूर्व विधायक प्रत्याशी विजय शंकर नायक ने मुख्यमंत्री को ई-मेल भेजकर कहीं ।इन्होंने आगे कहा कि उच्च तकनिकी शिक्षा विभाग के द्वारा सहायक निदेशक , उपनिदेशक, संयुक्त निदेशक में किये गये नियुक्ति में अनुसूचित जनजाति वर्ग , अनुसूचित जाति वर्ग के एक भी उम्मीदवार को इन सभी पदों में नहीं रखा गया है जो समाजिक न्याय के अवधारणा को मुंह चिड़ाता है जिसे कदापि बर्दाश्त नहीं किया जाएगा । श्री नायक ने आगे बताया कि सहायक निदेशक के पद पर श्री ब्रजेन्द्र कुमार को रखा जा रहा है , श्री ब्रजेन्द्र कुमार विकलांग नहीं होते हुए भी विकलांग का गलत प्रमाण पत्र बनाकर व्याख्याता के नौकरी में आए है जिसकी जांच डॉक्टर से सही तरह से कराया जाये तो विकलांगता कितना प्रतिशत है सही सामने आ जायेगा I इनहोने HOD के पद पर नौकरी पाने के लिए जाली अनुभव प्रमाण पत्र जमा किया गया और jpsc के द्वारा HOD पद के लिए अनुशंसा करते हुए विभाग को भेजा गया था जब विभाग के द्वारा प्रमाण पत्र का गहन जाँच किया गया तो इसका भण्डाफोड हुआ और इन्हे जाली अनुभव प्रमाण पत्र होने के कारण विभाग द्वारा HOD में नियुक्ति नही किया गया, जो जांच का विषय है इस तरह के गलत पदाधिकारी को सहायक निदेशक बनाने पर विभाग में भ्रस्टाचार बढेगा Iश्री नायक ने आगे कहा कि श्री राजदेव कुमार भी सहायक निदेशक के पद पर साक्षात्कार में शामिल हुए लेकिन चयन सूचि से इनका नाम हटा दिया गया, जबकि सहायक निदेशक पद पर दो व्याख्याता को चयन करना था I इससे स्पष्ट होता है कि विभाग भेदभाव कर रही है क्योकि श्री राजदेव कुमार अनुसुचित जाति से आते हैं I विज्ञापन के माध्यम से दो सहायक निदेशक पद पर चयन करने के लिए निकाला गया था I जबकि एक ही पद पर चयन किया जा रहा है और श्री राजदेव कुमार अनुसुचित जाति होने के कारण इनको नहीं रखा जा रहा है जो दलित वर्ग के पदाधिकारी के साथ अन्याय है । पूर्व में पदस्थापित सहायक निदेशक श्री बेंजामिन केंडूलना को समय पूरा होने से पहले ही निदेशक श्रीमती गरीमा सिंह भेद भाव करते हुए राजकीय पोलीटेकनिक दुमका में स्थानांतरित कर दी और तो और श्री अलोक मानस दुबे का अभी सरकारी सेवा में पूरा दो वर्ष भी पूरा नहीं हुआ है और इनकी सेवा सम्पुष्टि भी नहीं हुआ है तथा ये जाली प्रमाण पत्र देकर नौकरी में आये हैं I इसके बाद भी इनको उपनिदेशक बनाने का खेल खेला जा रहा है जबकिउपनिदेशक पद पर डॉ सुनील कुमार (Associate Proffessor, BIT, SIndri) को चयन नही किया गया क्योकि ये भी अनुसूचित जाति से आते हैं,जबकि श्री अलोक मानस दुबे और श्री राजन कुमार का चयन किया गया है I चयनित उपनिदेशको से ज्यादा अनुभव डॉ सुनील कुमार रखते हैं I श्री रणजीत कुमार सिंह ननटेकनिकल हैं उसके बाद भी इनको संयुक्त निदेशक बनाया जा रहा है I ये अनियमितता ही नही सीधे सिधे अनु.जाति/जनजाती पदाधिकारियो को एक षड्यंत्र के तहत उच्च पद पर किसी भी हालत में नहीं बनने देने का षड्यंत्र जिसकी मुख्यमंत्री जांच कराएं और अनुसूचित जाति जनजाति वर्ग के पदाधिकारियों के साथ न्याय करें ।श्री नायक ने आक्रोश भरे शब्दों में कहां की इससे परिल्क्षित होता है कि उच्च तकनिकी शिक्षा विभाग आदिवासी एवं दलित समुदाय के पदाधिकारी / व्याख्याता को पसन्द नहीं करती है I विभाग के द्वारा आरक्षण रोस्टर का पालन भी नही किया जा रहा है एवं अनुसूचित जनजाति और अनुसूचित जाति वर्ग के पदाधिकारियों से भेदभाव कर उन्हें प्रताड़ित किया जा रहा है । आज उच्च तकनिकी शिक्षा विभाग में सहायक निदेशक , उपनिदेशक, और संयुक्त निदेशक पद पर सिर्फ उच्ची जाति को चयन करके अनुमोदन होने के लिए मुख्यमंत्री कार्यालय में फाइल भेजी गयी है I झारखंडी सूचना अधिकार मंच एवं आदिवासी मूलवासी जन अधिकार मंच माननीय मुख्यमंत्री से आग्रह करता है कि उक्त फाइल को अनुमोदन नहीं करें और फिर से विज्ञापन निकाल कर इस पद परचयन किया जाये और अनुसूचित जनजाति और अनुसूचित जाति के उम्मीदवार को भी इस पद पर कार्य करने के लिए मौका दिया जाये I

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