नितीश_मिश्र
राँची(खबर_आजतक): राँची पहाड़ी मंदिर और मेन रोड स्थित संकट मोचन मंदिर में समिति गठन के मामले को लेकर सांसद संजय सेठ ने राज्यपाल सीपी राधाकृष्णन को पत्र लिखा है। इस पत्र में सांसद ने स्पष्ट रूप से कहा है कि आईएनडीआई गठबंधन के द्वारा सनातन को समाप्त करने का संकल्प लिया गया है। इसके बाद राज्य सरकार के संरक्षण में इन मंदिरों की समिति का गठन किया गया है। ऐसे में आशंका है कि ऐसे लोग सनातन को नुकसान पहुंचाने के लिए भी कार्य करेंगे। उन्होंने राज्यपाल से इस मामले में हस्तक्षेप करते हुए समिति को निरस्त करने का अनुरोध किया है। राज्यपाल को लिखे पत्र में संजय सेठ ने कहा है कि झारखंड सरकार INDI एलायंस के तहत संचालित हो रही है। इनके नेताओं ने अभी कुछ दिन पूर्व सनातन विरोधी कई बयान दिए हैं। इसके बाद झारखंड सरकार ने धार्मिक न्यास बोर्ड की घोषणा की है। बोर्ड की घोषणा के साथ ही इनके द्वारा कई अनर्गल फैसले किए जा रहे हैं, जो हिंदू भावनाओं के साथ खिलवाड़ करने वाले हैं। झारखंड के दो प्रसिद्ध मंदिर पहाड़ी मंदिर एवं संकट मोचन हनुमान मंदिर के प्रबंध समिति में हस्तक्षेप करते हुए इन्होंने नई समिति की घोषणा कर दी है।
संजय सेठ ने कहा कि यह बेहद दुःखद है कि समिति बनाने के पूर्व न तो किसी की राय ली गई और न ही कोई बैठक बुलाई गई। बिना किसी जाँच पड़ताल या नोटिस दिए अथवा बैठक के कुछ लोगों की कमिटी बना दी गई। इसे लेकर सम्पूर्ण सनातन समाज में रोष व्याप्त है।
उन्होंने कहा कि चूँकि हम सब सनातन धर्मावलंबी हैं। इस धर्म के सभी प्रतीकों, प्रसिद्ध संतो, देवी-देवताओं में हमारी अपार श्रद्धा है।
संजय सेठ ने कहा कि हमारे रोष और भय का मुख्य कारण यह है कि INDI एलायंस के नेताओं ने सनातन को समाप्त करने की घोषणा की है। उसी साजिश के तहत अचानक धार्मिक न्यास बोर्ड का गठन किया गया। इस बोर्ड में पूर्ण रुप से राजनैतिक लोगों को शामिल किया गया जो इस गठबंधन के हिस्सा हैं। इसके बाद प्रबंध समिति में अनावश्यक हस्तक्षेप किया गया। इन मंदिरों के प्रति श्रद्धा रखने वालों से बिना किसी सलाह या बैठक के मनमाने तरीके से समिति का गठन घोर निंदनीय एवं आपत्तिजनक है। यह INDI एलायंस के सनातन विरोधी कदमों की तरफ बढ़ता एक कदम प्रतीत है।
ऐसे लोग सनातन की परंपराओं को समाप्त करने के लिए सनातन विरुद्ध कार्य करेंगे, इस संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता है।
सांसद संजय सेठ ने आग्रह किया है कि इस मामले में तत्काल हस्तक्षेप करते हुए सरकार के इस निर्णय को निरस्त करने हेतू आवश्यक कार्रवाई की जाए।