लगभग पौने दो अरब की विकास योजनाओं की राशि हो चुकी है नगर पंचायत में ख़र्च, फिर भी हाल बदहाल
अरविन्द अग्रवाल, छतरपुर
छतरपुर (ख़बर आजतक) : नगर पंचायत चुनाव के बाद से ही छतरपुर नगर पंचायत में भ्रष्टाचार ने अपना पांव पसार लिया है। योजनाओं की जांच कर दोषियों पर कड़ी कार्रवाई करे नगर विकास विभाग और झारखण्ड सरकार। उक्त बातें सामाजिक कार्यकर्ता सह छतरपुर नगर पंचायत के पूर्व अध्यक्ष पद के प्रत्याशी अरविंद गुप्ता चुनमून ने कही। उन्होंने छतरपुर के एसडीओ और स्थानीय पत्रकारों का आभार जताते हुए कहा कि उनके द्वारा नगर पंचायत में व्याप्त भ्रष्टाचार के ख़िलाफ़ आवाज़ लगातार बुलंद की गई।
उनके द्वारा भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज़ उठाने के बाद डीसी और नगर विकास विभाग ने संज्ञान ले कर योजनाओं की जांच छतरपुर एसडीओ से करवाई है जिसमें भारी अनियमिता बरते जाने की पुष्टि हुई है और पलामू के उपायुक्त को इस बावत जांच रिपोर्ट भी एसडीओ ने प्रेषित किया है। जिसमें कार्यपालक अधिकारी, जेई और सम्बद्ध संवेदक पर प्राथमिकी दर्ज करने की बात शामिल है। अरविंद ने पत्रकारों को बताया कि उन्होंने सूचना के अधिकार 2005 अधिनियम के तहत नगर पंचायत से 14 बिंदुओं पर जानकारी मांगी थी, जिसमें बताया गया था कि माह जनवरी वर्ष 2023 तक नगर पंचायत छतरपुर के विकास मद में लगभग पौने एक अरब रुपये ( 730000000) की राशि खर्च हो चुकी है। उन्होंने कहा कि पौने एक अरब विकास योजनाओं के लिए और लगभग उतना ही एक अरब रुपये पीएम आवास के लिए नगर पंचायत छ्तरपुर को विभाग द्वारा मिला है। सवाल यह उठता है कि इतनी बड़ी राशि से इलाके का कायापलट हो सकता था लेकिन ऐसा नहीं हुआ और विकास राशियों की संवेदकों और नगर के अधिकारियों की मिलीभगत से बंदरबांट कर ली गयी, जिसकी एसआईटी गठित कर उच्चस्तरीय जांच जरूरी है। उन्होंने यह भी कहा कि जब एसडीओ ने भ्रष्टाचार की पुष्टि कर दी है तो तत्काल प्रभाव से नगर के कार्यपालक अधिकारी सिटी मैनेजर और जेई को बर्खास्त कर देना चाहिए और इसमें शामिल संवेदकों को ब्लैकलिस्टेड कर प्राथमिकी दर्ज करना चाहिए। अरविंद ने पत्रकारों को यह भी बताया कि अगर वे सूचना के अधिकार 2005 अधिनियम के तहत द्वितीय अपील में एसडीओ सह अपीलीय अधिकारी छतरपुर के यहां अपील नहीं करते तो नगर पंचायत के काले कारनामे सामने नहीं आ पाते। साथ ही कहा की नगर पंचायत को यह भी बताना चाहिए की उसने अड़तालीस लाख की डस्टबिन कहाँ? कब? और कैसे लगाए हैं? साथ ही यह भी बताए कि करोड़ों की लागत से नगर के विभिन्न इलाके में 5 करोड़ की लागत से लगाये गए हाइमास्ट लाइट और सोलर जलमीनार वारंटी में ही कैसे खराब हो गए? क्यों उनकी मरम्मत नहीं कराई गई?
अरविंद ने झारखण्ड के मुख्यमंत्री, नगर विकास मंत्री और एंटी करप्शन ब्यूरो से जांच कर दोषियों पर कड़ी कार्रवाई की मांग की है।
आपको यह भी बताते चलें कि पलामू के उपायुक्त को एसडीओ छतरपुर द्वारा भेजे गए जांच रिपोर्ट में स्पष्ट कहा गया है कि इलाके में बनाई जा रही योजनाओं की गुणवत्ता अत्यंत खराब है स्थानीय कुछ संवेदकों के द्वारा यह अनियमितता बरती गई है। मसिहानी में बनाये गए पीसीसी सड़क के निर्माण में बालू के बदले स्टोन के डस्ट से सड़कें बना दी गयी हैं, निर्माण में निर्धारित मानकों का उलंघन किया गया है। एसडीओ ने उपायुक्त से ऐसे कुछ संवेदकों को ब्लैकलिस्टेड करने की अनुशंसा की है। वहीं सामाजिक कार्यकर्ता
अरविंद ने भी उपायुक्त से इलाके के कई भ्रष्टाचारी संवेदकों को ब्लैकलिस्टेड करने की मांग की ही। वहीं यह भी कहा है कि अगर योजनाओं की जांच कर संवेदक और नगर के कर्मियों की सरकारी राशि के गबन के जुर्म में गिरफ़्तारी होनी चाहिए। अरविंद ने यह भी कहा कि अगर कार्रवाई नहीं की गयी तो वे उक्त अनियमित्तताओं के ख़िलाफ़ हाईकोर्ट में पीआईएल दायर करने और आमरण अनशन करने को बाध्य हो जाएंगे।