बहुत जल्द मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन और पेयजल एवं स्वच्छता मंत्री मिथिलेश ठाकुर से मिलकर अपना पक्ष रखेगी पासवा
नितीश_मिश्र
राँची(खबर_आजतक): झारखंड के सभी छोटे निजी विद्यालयों की ओर से वर्तमान मानसून सत्र में विधानसभा में निजी विद्यालयों की आरटीई और मान्यता संबंधी कठिन शर्तों को निरस्त करने की माँग विधानसभा में उठाने हेतू झारखंड की सबसे बड़ी संस्था पासवा सरयू राय का एवं सरकार की ओर से सहानुभूति पूर्ण तरीके से निजी विद्यालयों की समस्याओं को समझने के लिए पेयजल एवं स्वच्छता मंत्री मिथिलेश कुमार ठाकुर का आभार व्यक्त करता है।
इस दौरान सरयू राय बहुत ही सशक्त तरीके से मानसून सत्र में निजी विद्यालयों के प्रश्न को तीन तीन बार रखा
इस प्रश्न पर सरकार की ओर से पेयजल व स्वच्छता मंत्री मिथिलेश ठाकुर ने सरकार की ओर से जवाब देते हुए निश्चित रुप से निजी विद्यालयों को राहत देने की बात की तथा जमीन की बाध्यता और ₹100000 के फिक्स्ड डिपॉजिट पर बहुत सहानुभूति पूर्ण तरीके से विचार करने का आश्वासन दिया।
ज्ञात हो अभी 2 दिन पूर्व ही 26 जुलाई को पासवा का एक प्रतिनिधिमंडल पासवा के प्रदेश अध्यक्ष आलोक दूबे के नेतृत्व में वरिष्ठ विधायक झारखंड के कद्दावर नेता सरयू राय से मुलाकात कर झारखंड के निजी विद्यालयों को वर्तमान समय में हो रही कठिनाइयों से और सरकार के द्वारा जारी पुनः मान्यता प्राप्ति के लिए एक बार फिर निजी विद्यालयों को परेशान करने के लिए दिए जाने वाले आवेदन के मसले को उनके सामने रखा। इसके पूर्व पासवा ने झारखंड के शिक्षा के प्रति संवेदनशील मुख्यमंत्री मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से भी मुलाकात कर इस प्रश्न को उनके सम्मुख रखा था जिस पर मुख्यमंत्री ने भी निजी विद्यालयों के प्रति संवेदनशील निर्णय लेने को आश्वस्त किया था।
इसके अतिरिक्त पासवा के प्रदेश अध्यक्ष आलोक दूबे ने विभिन्न जिलों में विभिन्न मंचों से अनेकों बार निजी विद्यालयों की समस्याओं को खेलकूद एवं युवा मंत्री हफीज्जुल हसन, वित्त मंत्री डॉ रामेश्वर उराँव, श्रम नियोजन प्रशिक्षण एवं कल्याण मंत्री सत्यानंद भोक्ता और पूर्व में हमारे भूतपूर्व शिक्षा मंत्री स्वर्गीय जगन्नाथ महतो के पास भी इस समस्या को रखा था। जिस पर सभी ओर से निजी विद्यालयों के प्रति संवेदनशील निर्णय लेने की बात कही गई थी।
विगत 26 जुलाई को सरयू राय से अपील किया था और सरयू राय ने आश्वस्त किया था कि आने वाले मानसून सत्र में इस मसले को विधानसभा में उठाएंगे तथा निजी विद्यालयों की मान्यता के प्रश्न पर हो रही परेशानियों पर संज्ञान लेंगे। इस दौरान सरयू राय ने बहुत ध्यान से विद्यालयों की इस समस्या को सुना तथा पासवा के प्रतिनिधिमंडल को को आश्वस्त किया कि वह निश्चित रुप से इस मामले पर संज्ञान लेंगे तथा झारखंड के शिक्षण व्यवस्था को सुदृढ़ करने के लिए इस मसले को विधानसभा में मॉनसून सत्र में अवश्य उठाएँगे तथा निश्चित रुप से छोटे निजी विद्यालयों को परेशानी से मुक्त कराने का प्रयास करेंगे।
इस प्रतिनिधिमंडल ने सरयू राय को इस मसले पर आवेदन देते हुए कहा था कि बहुत आशा और उम्मीद से झारखंड की शिक्षण व्यवस्था और झारखंड के 40 हजार छोटे निजी विद्यालयों को बंद होने से बचाने के लिए पासवा का प्रतिनिधिमंडल अपनी माँगों के साथ आपसे इस मामले में संज्ञान लेने का सादर अनुरोध करता है।
पासवा के प्रतिनिधिमंडल से बातचीत करते हुए सरयू राय ने कहा कि निश्चित रुप से छोटे निजी विद्यालय किसी भी स्थिति में आरटीआई की शर्तों का अनुपालन नहीं कर सकते। इतने कठिन शर्तों पर झारखंड में कोई भी व्यक्ति विद्यालय का संचालन नहीं कर सकता इस स्थिति में झारखंड के सारे गैर मान्यता प्राप्त निजी विद्यालय बंद हो जाएँगे। अतः झारखंड के लाखों दलित आदिवासी और गरीब बच्चों के हित में उनके गुणात्मक शिक्षण व्यवस्था को कायम रखने के लिए सरकार से वार्ता अति आवश्यक है और वह निश्चित रुप से इस मानसून सत्र में सरकार का ध्यानाकर्षण निजी विद्यालयों के इस मांग की ओर रखेंगे। उन्होंने कहा कि निजी विद्यालय पूर्ण निष्ठा से अपने कार्यों को कर रहे हैं और उनका उत्साहवर्धन किया जाना चाहिए और उसी की परिणति है कि आज विधानसभा के मानसून सत्र में निजी विद्यालयों की समस्या गूँजी और उस पर सरकार की ओर से सहानुभूति पूर्ण तरीके से विचार करने का आश्वासन मिला।
इस दौरान प्रदेश अध्यक्ष आलोक कुमार दूबे ने कहा कि निजी विद्यालय सरकार के इस वादे से बहुत आशान्वित हैं और निजी विद्यालयों के लिए भविष्य में एक अच्छे निर्णय के प्रति आशान्वित भी। इस दौरान निश्चित रुप से झारखंड में निजी विद्यालयों के लिए अलग तथा सरकारी विद्यालयों के लिए अलग मान्यता के दो शर्त नहीं होनी चाहिए और यह मामला अभी माननीय उच्च न्यायालय में विचाराधीन भी है।
सरकार और जनप्रतिनिधियों का आभार व्यक्त करते हुए प्रदेश अध्यक्ष आलोक कुमार दूबे ने कहा कि निजी विद्यालय बहुत आशा और अनुमान से सरकार की ओर टकटकी लगाए देख रहे हैं और उन्हें उम्मीद है कि वर्तमान अति संवेदनशील सरकार बहुत जल्द पिछली रघुवर सरकार द्वारा लागू आरटीई के हुए संवैधानिक संशोधन को रद्द करेगी तथा जमीन की बाध्यता पूर्णरुपेण समाप्त करते हुए संपूर्ण राष्ट्र की तरह झारखंड में भी वही आरटीआई कानून लागू करेगी जो संपूर्ण राष्ट्र में है जिससे झारखंड के 40000 निजी विद्यालय बंद होने से बचेंगे तथा निजी विद्यालयों की ओर से उन्होंने सरकार को आश्वस्त किया कि निजी विद्यालय अपनी पूर्ण जिम्मेवारी से झारखंड में गुणात्मक शिक्षा प्रदान करने का प्रयास करते रहेंगे।