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पीएम मोदी और आरएसएस पर झामुमो के सुप्रियो भट्टाचार्य द्वारा दिए गए बयान पर राजनीति सरगर्मी तेज

नितीश_मिश्र

राँची(खबर_आजतक): झारखंड की राजनीति में इन दिनों पीएम मोदी के उम्र और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के संघ चालक मोहन भागवत के बयान पर जमकर टिक्का टिप्पणी प्रारंभ हो चुकी है। दरअसल पिछले दिनों झारखंड मुक्ति मोर्चा के केंद्रीय महासचिव सह प्रवक्ता सुप्रियो भट्टाचार्य ने तंज कसते हुए कहा कि आगामी 17 सितंबर के बाद देश में एक बड़ा बदलाव हो सकता है क्योंकि मोहन भागवत ने कहा है 75ल वर्ष होने के बाद व्यक्ति को अपने पद छोड़ देना चाहिए ऐसे में भाजपा आरएसएस की ही एक राजनीतिक इकाई है तो हम मान सकते हैं 17 सितंबर अपने जन्मदिन के बाद देश के पीएम नरेंद्र मोदी भी अपने पद से इस्तीफा देंगे ।

सुप्रियो भट्टाचार्य के बयान के बाद राज्य की राजनीति में हल चल तेज है रांची विधायक सीपी सिंह ने कहा राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के मोहन भागवत एवं देश के पीएम नरेंद्र मोदी की चिंता दूसरे दलों के नेताओं को नहीं करनी चाहिए मोहन भागवत ने किस संदर्भ में क्या कहा इससे उनको क्या लेना देना झामुमो की सरकार है यहाँ जन कल्याण को लेकर कार्य करनी चाहिए सोचना चाहिए ना कि दूसरों पर टिक्का टिप्पणी।

वहीं आरएसएस की इकाई विश्व हिंदू परिषद के प्रांत विशेष संपर्क प्रमुख प्रिंस अजमानी ने झामुमो के इस तर्क पर कहा कि दिशोम गुरु शिबू सोरेन की उम्र 81 साल है, लेकिन उन्होंने अध्यक्ष के रूप में बखूबी अप्रैल 2025 तक अपना कार्यभार संभाला . अगर बात 75 वर्ष की होती तो हेमन्त सोरेन छह वर्ष पूर्व ही मुख्यमंत्री बनने उपरांत पार्टी की कमान संभाल पार्टी अध्यक्ष बन गए होते, परन्तु उन्होंने गुरूजी की गरिमा बनायी रखी। इसलिए यह बयान पूर्णत: ग़लत है कि कोई व्यक्ति किसी मुद्दे पर अपनी राय दे और आप उन बातों को ग़लत राजनीतिक रूप दें।

जहाँ तक बात है भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की है, तो आज पूरा विश्व उनको एक सम्मान और सुदृढ़ राजनेता मान चुका है। उनकी बदौलत आज पूरा विश्व भारत को एक नवीन और सशक्त राष्ट्र के रूप में देख रहा है ।

राजद के प्रदेश महासचिव सह मीडिया प्रभारी कैलाश यादव ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत को 75 वर्ष की आयु पूरी होने पर अपने पदों से रिटायरमेंट लेना चाहिए। कैलाश यादव ने याद दिलाया कि भाजपा और संघ ने 2013-14 में 75 वर्ष की उम्र सीमा तय की थी, जिसके तहत वरिष्ठ नेता अडवाणी, जोशी आदि को मार्गदर्शन मंडल में भेजा गया था। उन्होंने कहा कि मोहन भागवत 11 सितंबर और नरेंद्र मोदी 17 सितंबर को 75 वर्ष के हो रहे हैं, ऐसे में दोनों को नैतिकता व सिद्धांत के अनुसार पद त्याग कर मिसाल कायम करनी चाहिए। कैलाश यादव ने इसे बीजेपी-आरएसएस के “चाल, चरित्र और चेहरा” की अग्निपरीक्षा बताया।

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