नितीश मिश्र, राँची
राँची (खबर आजतक) : पूर्व मुख्यमंत्री और राज्यसभा सांसद दिशोम गुरु शिबू सोरेन के निधन के बाद मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन जहाँ व्यक्तिगत रूप से अपने जीवन के सबसे कठिन दौर से गुजर रहे हैं, वहीं वे एक जिम्मेदार पुत्र और राज्य के मुखिया के रूप में अपना दायित्व भी पूरी संवेदनशीलता और समर्पण के साथ निभा रहे हैं।
नेमरा स्थित अपने पैतृक आवास में शोक और पीड़ा के बीच मुख्यमंत्री परंपरागत रस्मों का निर्वहन कर रहे हैं। इसके साथ ही वे वहीं से राज्य सरकार के कामकाज पर भी लगातार नज़र बनाए हुए हैं। उन्होंने अधिकारियों को स्पष्ट निर्देश दिए हैं कि प्रशासन की कार्यप्रणाली में किसी प्रकार की शिथिलता नहीं होनी चाहिए और आमजन की समस्याओं का तत्काल समाधान सुनिश्चित किया जाए।

मुख्यमंत्री ने अपने पिता दिशोम गुरु को याद करते हुए कहा कि “बाबा ने हमेशा सिखाया कि सार्वजनिक जीवन में जनता के लिए खड़ा रहना ही सबसे बड़ा धर्म है। वे खुद एक योद्धा थे, जिन्होंने कभी झुकना नहीं सीखा। आज उनका साया हमारे सिर से उठ गया है, लेकिन उनके बताए रास्ते पर चलना ही उन्हें सच्ची श्रद्धांजलि होगी।”
शोक की इस घड़ी में भी हेमन्त सोरेन राज्यहित को सर्वोपरि मानते हुए सभी वरिष्ठ अधिकारियों के साथ संपर्क में हैं। वे नियमित रूप से आवश्यक फाइलों का निष्पादन कर रहे हैं और शासन-प्रशासन की सुचारू कार्यप्रणाली सुनिश्चित कर रहे हैं।
उन्होंने यह भी कहा कि “दिशोम गुरु के निधन के बाद राज्य की जनता ने जिस तरह से मेरे परिवार को संबल और समर्थन दिया, उसी से मुझे ये कठिन समय में अपने कर्तव्यों को निभाने की ताकत मिली है।”
झारखंड के लिए दिशोम गुरु शिबू सोरेन का योगदान अविस्मरणीय है। मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन ने साफ शब्दों में कहा कि वे अपने बाबा से किए गए वचनों और वादों को हर हाल में पूरा करने के लिए संकल्पित हैं।