नितीश_मिश्र
राँची(खबर_आजतक): बीआईटी मेसरा के फार्मास्युटिकल विज्ञान विभाग में गुरूवार को “पैराडिग्म्स ऑफ wu: प्रकृति से बेंच तक” नामक एक दिवसीय संकाय विकास कार्यशाला का आयोजन किया गया। इसके संयोजक एवं समन्वयक डॉ. बिस्वत्रिश सरकार की एसईआरबी-ईएमईक्यू शोध परियोजना की एसएसआर नीति द्वारा कार्यक्रम को प्रायोजित किया गया था।
झारखंड और पश्चिम बंगाल के विभिन्न विश्वविद्यालयों के 25 फार्मेसी शिक्षकों ने कार्यशाला में भाग लिया और घाव प्रबंधन के तंत्र और विभिन्न चिकित्सीय रणनीतियों पर ज्ञान प्राप्त किया।
इस कार्यक्रम के मुख्य अतिथि संकाय मामलों के डीन प्रोफेसर डॉ अशोक शेरोन ने अपने उद्घाटन भाषण में ऐसे कार्यक्रमों के आयोजन के माध्यम से विचारों और ज्ञान को साझा करने के लिए माहौल बनाने में कॉलेज की भूमिका पर जोर दिया।
वहीं अध्यक्ष और विभागाध्यक्ष प्रोफेसर पापिया मित्रा मजूमदार ने मधुमेह के घावों के बढ़ते खतरे और नई निर्माण रणनीति द्वारा इसके शमन पर विस्तार से बताया।
इस कार्यक्रम के दौरान डॉ. अशोक कुमार पटनायक, डॉ. तृष्णा बल, डॉ. आलोक जैन, डॉ. बापी गोराईं, डॉ. मोनिका द्विवेदी और डॉ. शांतनु घोष ने घाव के आणविक आधार और उसके बायोमार्कर, फार्मास्युटिकल फॉर्मूलेशन में उभरते रुझान और नवाचार तथा ऊतक पुनर्जनन और चिकित्सा के लिए इन-सिलिको दृष्टिकोण पर शानदार व्याख्यान दिए।
इस कार्यक्रम का समापन डॉ. बिस्वत्रिश सरकार द्वारा कार्यक्रम के सभी हितधारकों और एसईआरबी को धन्यवाद ज्ञापन के साथ हुआ।