झारखण्ड बोकारो

बोकारो :+गुरुजी स्वामी तेजोमयानंद जी का जन्मदिवस धूमधाम से मनाया गया

बोकारो (ख़बर आजतक): चिन्मय विद्यालय बोकारो में परम पूज्य स्वामी तेजोमयानन्द सरस्वती का जन्मदिवस पूरे हर्षोल्लास के साथ मनाया गया। विद्यालय में कई भक्तिमय कार्यक्रम का आयोजन किया गया । चिन्मय मिशन बोकारो की आवासीय आचार्या स्वामिनी संयुक्तानंदा जी ने सभी को प्रिय गुरुजी स्वामी तेजोमयानंद जी के जन्मदिवस की ढेरों शुभकामनाएं दी एवम उनके जीवन पर संक्षिप्त परिचय देते हुए कहा कि परम् पूज्य गुरुदेव स्वामी चिन्मयानंद सरस्वती के प्रिय शिष्य स्वामी तेजोमयानन्द जी का जन्म 30 जून 1950 को हुआ था।
21 अक्टूबर 1983 को, स्वामी चिन्मयानंद ने स्वामी तेजोमयानंद जी को संन्यास की दीक्षा दी । दुनिया भर में चिन्मय मिशन के प्रमुख के रूप में सैकड़ों कार्य किये। स्वामी तेजोमयानंद जी जिन्हें चिन्मय मिशन में पूज्य गुरुजी के नाम से जाना जाता है । कई परियोजनाओं में शामिल रहे हैं, जिनमें कोयंबटूर में चिन्मय इंटरनेशनल रेजिडेंशियल स्कूल , नई दिल्ली में चिन्मय सेंटर ऑफ वर्ल्ड अंडरस्टैंडिंग, चिन्मय इंटरनेशनल फाउंडेशन शामिल हैं । कोचीन, चेन्नई में चिन्मय हेरिटेज सेंटर, बैंगलोर में चिन्मय मिशन अस्पताल का विस्तार और पुणे के पास चिन्मय विभूति विजन सेंटर की स्थापना की। उन्होंने बड़े पैमाने पर धार्मिक अंतरराष्ट्रीय यात्रा की है। अपनी यात्रा के दौरान, वह हर हफ्ते विभिन्न शहरों और विभिन्न देशों में ज्ञान यज्ञ (3-7 दिवसीय वेदांत व्याख्यान श्रृंखला) ज्ञान यज्ञ आयोजित करते रहे हैं। स्वामी तेजोमयानंद जी ने अपने गुरुदेव स्वामी चिन्मयानंद सरस्वती के पदचिन्हों पर चलते हुए देश विदेश में वेदो का प्रचार प्रसार किया, कई नए चिन्मय मिशन केंद्रों की स्थापना की। पूर्व राष्ट्रपति श्री प्रणब मुखर्जी जी के द्वारा 12 अप्रैल, 2016 को राष्ट्रपति भवन, नई दिल्ली में एक नागरिक अलंकरण समारोह में परम् पूज्य
स्वामी तेजोमयानंद को भारत गणराज्य के तीसरे सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार पद्म भूषण से सम्मानित किया गया था ।
स्वामी तेजोमयानंद ने वेदांत पर 100 से अधिक पुस्तकें प्रकाशित की हैं। वे कुशल , मृदुभाषी धर्म ज्ञाता है। उन्होंने देश विदेश में रामायण, गीता, अन्य वैदिक ग्रंथों पर हजारों ज्ञान यज्ञ आयोजित किये।
चार भाषाओं – अंग्रेजी, हिंदी, मराठी और संस्कृत में प्रवीणता के साथ, वह एक विपुल संगीतकार और कवि भी हैं। वेदान्तिक अवधारणाओं का वर्णन करने वाली उनकी कविताएँ भी प्रसिद्ध हैं।
आज चिन्मय विद्यालय के सभागार में जयकिशन राठौड़ ने इस शुभ अवसर पर के भक्ति गाने गाए।
साथ ही विद्यालय के अध्यक्ष बिश्वरूप मुखोपाध्याय, सचिव महेश त्रिपाठी, समन्वयक नर्मेन्द कुमार, गोपाल चंद मुंशी, पंकज मिश्रा, सुद्धिष्ट नारायण झा एवम संजीव सिंह ने गुरु जी के साथ बिताए सुनहरे पलों को सभी उपस्थित गणमान्य के साथ साझा किए। इस शुभ अवसर पर विद्यालय के शिक्षक एवम शिक्षिकायें उपस्थित थे।

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