बोकारो

बोकारो : चिन्मय विद्यालय के सभागार में सातवी से बारहवीं कक्षा तक के शिक्षकों के लिए कार्यशाला आयोजित

बोकारो (ख़बर आजतक) : चिन्मय विद्यालय के सभागार में सातवी से बारहवीं कक्षा तक के शिक्षकों के लिए कार्यशाला आयोजित की गई.कार्यशाला का शुभारंभ विद्यालय सचिव महेश त्रिपाठी एवम प्राचार्य सूरज शर्मा ने मंत्रोच्चारण के साथ दीप प्रज्वलित कर किया गया। कार्यशाला में पांच बिभिन्न विषयों पर उल्लेख किया गया। 

सर्वप्रथम शुष्मा सिंह ने क्लासरूम मैनेजमेंट पर चर्चा करते हुए कहा कि अपनी कार्यशैली एवम अनुभव से पूरी कक्षा को उपयोगी बनाना है साथ ही प्रत्येक बच्चे का उसकी जिज्ञासा के अनुरूप उनके प्रश्नों का समाधान किया जाय। 

रुपाली श्रीवास्तव ने अपने सत्र में मल्टिपल इंटेलिजेंस पर चर्चा की। हर बच्चा खास होता है, प्रत्येक बच्चे में इस खास गुण होती है। हमे अपने शिक्षण पद्धति के माध्यम से उस बच्चे को प्रशिक्षण देना एवम उसके हुनर को निखारने के प्रयास करते रहना है। 

राहुल रॉय ने आजे के आधुनिक काल के अनुसार डिजिटल लिटरेसी की जानकारी दी। डिजिटल लेन- देन की जानकारी देते हुई बताया कि कैसे आज धोखाधड़ी से बचा जाय। थोड़ी सी सावधानी से डिजिटल लेन- देन बहुत सुरक्षित है। किसी भी प्रकार के लेन- देन में व्याकुलता का प्रदर्शन नही करनी चाहिए। 

रागिनी मिश्रा ने दिव्यांग बच्चों को  उचित शिक्षा दी जा सके, उसके देख भाल सहित पढ़ने एवम खेलने में कैसे सहयोग किया जाय ताकि स्पेशल बच्चे भी तन मन से मजबूत होकर समाज मे सकारात्मक सोच एवम ऊर्जा के साथ कदम से कदम मिलाकर चले। अंत मे अंशु उपाध्याय ने गेमीफिकेशन इन लर्निंग विषय पर विस्तारपूर्वक बताते हुए कहा कि एक गैर गेम वातावरण में गेम जैसे तत्वों को जोड़ने का कार्य शिक्षकों को करना है।जैसे लीडरबोर्ड, पॉइंट सिस्टम एवम विभिन्न स्तर के बैज पुरस्कार है। क्लासरूम को गेमीफिकेशन के माध्यम से आकर्षक बनाना है  ताकि बच्चे क्लास में पूरी जिज्ञासा के साथ सिख सके।

 कार्यशाला के अंत मे विद्यालय सचिव महेश त्रिपाठी एवम प्राचार्य सूरज शर्मा ने सभी सूत्रधारों को शुभकामनाएं दी एवम सफल आयोजन के लिए धन्यवाद दिया।उन्होंने कहा कि कार्यशाला के माध्यम से एक गहन शैक्षणिक अनुभव को साझा करने का अवसर मिलता है साथ ही शैक्षणिक पद्धति में  आधुनिकता को शामिल कर इसका फायदा अधिक से अधिक बच्चों को दिया जा सके। शिक्षकों ने अपने अनुभव से कार्यशाला को बहुत रोचक एवम ज्ञानबर्धक बना दिया। कार्यशाला एक सफल विकल्प है। महत्वपूर्ण विषय की खास बातें कम समय में अधिक से अधिक लोगों तक पहुच सके, एवम नई शिक्षा नीति के माध्यम से सभी बच्चों को उच्चकोटि की शिक्षा दी जा सके। सुप्रिया चौधरी ने कार्यशाला का सफल संचालन किया। 

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