झारखण्ड धार्मिक बोकारो

बोकारो : जहां समता, वहीं जीवन सुखमय : उपासिका बोथरा

अभिनव सामयिक दिवस के रूप में मना पर्युषण महापर्व का तीसरा दिन

बोकारो (ख़बर आजतक): अखिल भारतीय तेरापंथ युवक परिषद के निर्देशन में परिषद की चास, बोकारो इकाई की ओर से चास के श्री माणकचन्दजी छालाणी भवन (कुलदीप गली) में आयोजित पर्युषण महापर्व के तीसरे दिन गुरुवार को अभिनव सामायिक दिवस का आयोजन किया गया। महातपस्वी आचार्य श्री महाश्रमणजी की प्रेरणा से उपासिका श्रीमती वीणा बोथरा एवं श्रीमती ममता बोथरा के सानिध्य में आयोजित इस कार्यक्रम में बड़ी संख्या में जैन धर्मावलंबियों ने भाग लिया। उपासिकाद्वय द्वारा मंगलाचरण से अभिनव सामयिक दिवस की शुरुआत हुई। उन्होंने सामायिक का सामूहिक प्रत्याखान करवाया तथा मानव जीवन में इसकी महत्ता से अवगत कराया। ध्यान, जप, मुद्रा, वंदना आदि से सामयिक कैसे करें और मन, वचन, काया से सामयिक कैसे पूर्ण हो, इसकी जानकारी उपस्थित श्रावकों को दी गई। उन्होंने कहा कि सामयिक यानी समता, जहां समता का साम्राज्य होता है वहां जीवन सुखमय बन जाता है। उन्होंने सामयिक का महत्व बताते हुए कहा कि अपने-आप में आत्मसय होना ही सामयिक है। सामयिक साधना तब प्राप्त होती है जब हम मन को निर्विचार कर लेते हैं। सामयिक संवर की प्रक्रिया है। व्यक्ति में समता की लौ जग जाती है तब क्रोध, मान, माया, लोभ आदि का कोई स्थान नहीं रह जाता। उल्लेखनीय है कि जैन धर्म में सामयिक एक ही स्थान पर आसन में बैठकर और मुंह पर पत्ती लगाकर 48 मिनट तक किया जानेवाला ध्यान है। इन 48 मिनटों में एक स्थान पर बैठकर जाप, धार्मिक किताबों का पठन भी किया जाता है। जैन धर्म में सामयिक को आत्मा की कमाई बताया गया है। ऐसा माना जाता है कि सामयिक क्रिया के दौरान झगड़े-विवाद, पाप आदि पर विराम लग जाता है। शुक्रवार को पर्युषण महापर्व के चौथे दिन वाणी संयम दिवस मनाया जाएगा। चास में माणकचंदजी छलाणी भवन में पर्युषण महापर्व के अवसर पर प्रत्येक दिन प्रातः 9 से 10 बजे एवं संध्याबेला में 8.30 से 9.30 बजे तक प्रवचन आयोजित किया जा रहा है। सामयिक दिवस के अवसर पर शांतिलाल लोढ़ा, विनोद चोपड़ा, राजेश कोठारी, शशि बांठिया, बजरंग लाल चौरड़िया, सिद्धार्थ, अमृत, अशोक करणी आदि उपस्थित थे। उक्त आशय की जानकारी मीडिया प्रभारी सुरेश बोथरा ने दी

अखिल भारतीय तेरापंथ युवक परिषद के निर्देशन में परिषद की चास, बोकारो इकाई की ओर से चास के श्री माणकचन्दजी छालाणी भवन (कुलदीप गली) में आयोजित पर्युषण महापर्व के तीसरे दिन गुरुवार को अभिनव सामायिक दिवस का आयोजन किया गया। महातपस्वी आचार्य श्री महाश्रमणजी की प्रेरणा से उपासिका श्रीमती वीणा बोथरा एवं श्रीमती ममता बोथरा के सानिध्य में आयोजित इस कार्यक्रम में बड़ी संख्या में जैन धर्मावलंबियों ने भाग लिया। उपासिकाद्वय द्वारा मंगलाचरण से अभिनव सामयिक दिवस की शुरुआत हुई। उन्होंने सामायिक का सामूहिक प्रत्याखान करवाया तथा मानव जीवन में इसकी महत्ता से अवगत कराया। ध्यान, जप, मुद्रा, वंदना आदि से सामयिक कैसे करें और मन, वचन, काया से सामयिक कैसे पूर्ण हो, इसकी जानकारी उपस्थित श्रावकों को दी गई। उन्होंने कहा कि सामयिक यानी समता, जहां समता का साम्राज्य होता है वहां जीवन सुखमय बन जाता है। उन्होंने सामयिक का महत्व बताते हुए कहा कि अपने-आप में आत्मसय होना ही सामयिक है। सामयिक साधना तब प्राप्त होती है जब हम मन को निर्विचार कर लेते हैं। सामयिक संवर की प्रक्रिया है। व्यक्ति में समता की लौ जग जाती है तब क्रोध, मान, माया, लोभ आदि का कोई स्थान नहीं रह जाता।
 उल्लेखनीय है कि जैन धर्म में सामयिक एक ही स्थान पर आसन में बैठकर और मुंह पर पत्ती लगाकर 48 मिनट तक किया जानेवाला ध्यान है। इन 48 मिनटों में एक स्थान पर बैठकर जाप, धार्मिक किताबों का पठन भी किया जाता है। जैन धर्म में सामयिक को आत्मा की कमाई बताया गया है। ऐसा माना जाता है कि सामयिक क्रिया के दौरान झगड़े-विवाद, पाप आदि पर विराम लग जाता है। शुक्रवार को पर्युषण महापर्व के चौथे दिन वाणी संयम दिवस मनाया जाएगा। चास में माणकचंदजी छलाणी भवन में पर्युषण महापर्व के अवसर पर प्रत्येक दिन प्रातः 9 से 10 बजे एवं संध्याबेला में 8.30 से 9.30 बजे तक प्रवचन आयोजित किया जा रहा है। सामयिक दिवस के अवसर पर शांतिलाल लोढ़ा, विनोद चोपड़ा, राजेश कोठारी, शशि बांठिया, बजरंग लाल चौरड़िया, सिद्धार्थ, अमृत, अशोक करणी आदि उपस्थित थे। उक्त आशय की जानकारी मीडिया प्रभारी सुरेश बोथरा ने दी।

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