बोकारो (ख़बर आजतक): इस संसार रूपी वृक्ष की समस्त योनी रूपी शाखाएं नीचे और ऊपर से भी और फैली हुई है । इस वृक्ष की शाखाएं प्रकृति के तीनों गुणो द्वारा विकसित होती है । वृक्ष की कोपले विषय है। वृक्ष की जड़े जो की सकाम-कर्म रूप से मनुष्यों के लिए फल रूपी बंधन उत्पन्न करती है। इस संसार रूपी वृक्ष को अत्यंत दृढ़ता से केवल बैराग्य रूपी हथियार के द्वारा ही काटा जा सकता है। उक्त सुवचन स्वामी सम्युक्तानंदा सरस्वती ने जग्गनाथ मंदिर, गीता भवन में आयोजित गीता ज्ञान यज्ञ के तीसरे दिन भक्तों से कहीं ।
स्वामिनी जी ने बड़े ही सरल किंतु रोचक तरीके से 15 अध्याय के श्लोको का विश्लेषण करते हुए कहा कि संसार से ऊपर उठा हुआ व्यक्ति के लिए ही ब्रह्म पद का अन्वेषण संभव होता है। इसके लिए उसे भगवान, गुरु की शरण में जाकर ज्ञानाभ्यास के मार्ग का अनुसरण करना पड़ता है और अपने गुरू के बताये हुए मार्ग को अक्षरसः पालन करना होता है अर्थात मनुष्य को विवेक, वैराग्य एवं ज्ञान से ही मुक्ति मिलती है। ब्रह्म मार्गी व्यक्ति ही वैराग्य के अभ्यास से ब्रह्म पद प्राप्त करता है।


जिस मनुष्य की सांसारिक कामनाएं पूर्ण रूप से समाप्त हो चुकी है और इसका सुख-दुख नाम का भेद समाप्त हो गया है ऐसा मोह से मुक्त हुआ मनुष्य ही उस अविनाशी परम पद को प्राप्त कर सकता है।
भगवान कहते है बिना भक्ति के वैराग्य प्राप्त नही हो सकता है। हमे भगवान को पाने के लिए उनके शरण मे जाना होगा। निःस्वार्थ भाव से उनकी साधना करनी होगी। मनुष्य जब भगवान के शरण मे रहता है तो कोई कष्ट उसे स्पर्श भी नही कर पाता है।
इस शुभ अवसर पर चिन्मय मिशन, बोकारो के सचिव हरिहर रावत, चिन्मय विद्यालय के अध्यक्ष बिश्वरूप मुखोपाध्याय, सचिव महेश त्रिपाठी, कोषाध्यक्ष आर.एन मल्लिक प्राचार्य सूरज शर्मा सहित मिशन एवं विद्यालय के शिक्षक , सदस्य एवं चास-बोकारो के सैकड़ो भक्तगण ने प्रवचन का भक्ति लाभ उठाया।