रिपोर्ट : आंनद गिरी
बेरमो (ख़बर आजतक): राजनीति में सादगी, सरलता और सहजता के प्रतीक दिवंगत जगरनाथ महतो का गांव, गरीब और किसान से कितना गहरा लगाव था. इसका प्रमाण आज उनके क्षेत्र डुमरी के गाँवो में देखने को मिला. दसियों हजार लोग उमड़ पड़े उनके पार्थिव शरीर का एक क्षण दर्शन करने.यह बातें आज झामुमो के वरीय नेता काशीनाथ केवट ने दिवंगत जगरनाथ महतो के पार्थिव शरीर पर पुष्पांजलि अर्पित करने के बाद कही. उन्होने कहा कि कोरोना से ग्रसित होने और उनका लँश ट्रांसपरेंट होने के बाद भी वे जन समस्याओं के निराकरण के निमित्त कार्य करते रहे . ख़ासतौर पर 1932 के मुद्दे को उठाकर जगरनाथ जी राज्य के महानायक बन गए.फिर उन्होंने झारखंड की राजनीति में एक ऐसी लकीर खींची, जिसका कोई विकल्प नहीं. बतौर शिक्षा मंत्री उन्होने गांव, गरीब और किसान तीनों के हितों को प्राथमिकताओं में शामिल रखा . राज्य में विस्थापन और शिक्षा को लेकर वे काफी संवेदनशील थे और हमेशा शिक्षा के क्षेत्र में कुछ नया करना चाहते थे. विस्थापितों को उनका वाजिब अधिकार मिले, यह भी उनके प्राथमिकता में शुमार था.उन्होने कहा कि दिवंगत जगरनाथ जी की कृतियों सें आने वाली पीढ़ियों को कई सदियों तक प्रेरणा मिलती रहेगी. अब दूसरा जगरनाथ का होना असंभव जान पड़ता है़.