गोमिया झारखण्ड बोकारो

यज्ञ से संपूर्ण वातावरण शुद्ध और पवित्र होता है: सरस्वती जी महाराज

गोमिया (ख़बर आजतक): गोमिया प्रखंड के स्वांग हजारी मोड़ के निकट हजारी बस्ती स्थित बजरंगबली मंदिर प्रांगण में आगामी 6 जून से होने वाले सात दिवसीय महायज्ञ को लेकर यज्ञ समिति की एक बैठक गुरुवार को संपन्न हुआ इस बैठक में खास तौर पर जगतगुरु वनांचल धर्म पीठाधीश्वर स्वामी दीन दयालु सरस्वती जी महाराज (काशी) खास तौर से उपस्थित थे मौके पर उन्होंने पत्रकारों से बात करते हुए कहा कि यज्ञ से संपूर्ण वातावरण शुद्ध और पवित्र होता है इसके साथ ही मनुष्य का हृदय को इंद्रियां भी शुद्ध और पवित्र हो जाती है उन्होंने कहा कि परम ब्रह्म परमात्मा सभी जगह विराजमान है, हवा पानी जल अग्नि धरती आकाश हर जगह इन का वास है उन्होंने कहा कि परमपिता परमेश्वर का सीसीटीवी कैमरा सभी कुछ बारीकी से अध्ययन करता रहता है लेकिन मनुष्य को इसका आभास नहीं होता जबकि टेक्नोलॉजी के सीसीटीवी कैमरे से लोग भयभीत रहते हैं डरते हैं और उसके डर से चोरी चकारी और कोई ऐसा काम नहीं करते जो कैमरे में कैद हो जाए लेकिन आज मनुष्य को परम ब्रह्म रूप ईश्वर से डर खत्म हो गया है जिसके वजह से आज लोग गलत रास्ते पर गलत कर्म करने पर उतारू हो जाते है उन्होंने कहा कि लोगों को लगता है कि मुझे कोई देखने वाला नहीं लेकिन परमात्मा के सीसीटीवी कैमरे में सभी कुछ गायब हो रहा है और जो जैसा कर्म करता है उसको उसी अनुसार परम ब्रह्म परमात्मा दंडित भी करते हैं उन्होंने कहा कि आज देश दुनिया से आध्यात्मिक ज्ञान कि लोगों में कमी होती जा रही है लोग चकाचौंध और बनावटी दुनिया की ओर अग्रसर हो रहे हैं अपने पूर्वजों का मान सम्मान संस्कार भूलते जा रहे हैं उन्होंने कहा कि जिस प्रकार जीवन एक सत्य है उसी प्रकार मृत्यु भी अटल सत्य है इसलिए हमें अपने जीवन में सत्य कर्म कर अपने जीवन को सार्थक बनाना चाहिए उन्होंने कहा कि परमात्मा ने सब कुछ निश्चित कर रखा उसकी मर्जी के बिना एक तिनका भी इधर से उधर नहीं हो सकता फिर भी लोग भ्रम में जी रहे हैं उन्होनें कहा ऐसे ही मनुष्य मात्र में परब्रह्म परमात्मा को पाने की योग्यता है। परमात्मा ने मनुष्य को ऐसी बुद्धि इसीलिए दे रखी है कि उसको आत्मा-परमात्मा के ज्ञान की जिज्ञासा जाग जाय, आत्मसाक्षात्कार हो जाय। रोटी कमाने की और बच्चों को पालने की बुद्धि तो पशु-पक्षियों को भी दी है। मनुष्य की बुद्धि सारे पशु-पक्षी-प्राणी जगत से विशेष है, ताकि वह बुद्धिदाता का साक्षात्कार कर सके। बुद्धि जहाँ से सत्ता-स्फूर्ति लाती है, उस परब्रह्म-परमात्मा का साक्षात्कार करके जीव ब्रह्म हो जाय। केवल कुर्सी-टेबल पर बैठकर कलम चलाने के लिए ही बुद्धि नहीं मिली है। बुद्धिपूर्वक कलम तो भले चलाओ, परंतु बुद्धि का उपयोग केवल रोटी कमाकर पेट भरना ही नहीं है। कलम भी चलाओ तो परमात्मा को रिझाने के लिये और कुदाली चलाओ तो भी उसको रिझाने के लिए,उन्हो ने कहा मानव जीवन मिला है तो उसका जीवन मे सदुपयोग करे तभी मानव जीवन की सार्थक्ता सििद्द होगी नही तो जीवन ब्यर्थ मे बीत जायेगा,

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