झारखण्ड राँची

राँची विश्‍वविद्यालय में जलवायु परिवर्तन पर दो दिवसीय संगोष्ठी का हुआ समापन

हमें वर्तमान जीवन शैली को बदलकर प्लास्टिक फ्री जीवन शैली को विकसित करना होगा : डॉ तपन शांडिल्य

नितीश_मिश्र

राँची(खबर_आजतक): आर्यभट्ट सभागार में शुक्रवार को जलवायु परिवर्तन चुनौतियां एवं अवसर विषय पर एक बहुत ही सफल संगोष्ठि का समापन हो गया। यह संगोष्ठी जूलॉजी डिपार्टमेंट आरयू तथा आइक्‍यूएसी के द्वारा आर्यभट्ट सभागार में आयोजित किया गया। इस संगोष्ठी में देश के कई शहरों से प्राध्‍यापकों और विशेषज्ञों ने भाग लिया। कुलपति आरयू प्रो.डॉ. अजीत कुमार सिन्‍हा इस संगोष्ठि में आये सभी वक्‍ताओं को स्‍मृति चिन्‍ह, शॉल तथा पुष्‍प गुच्‍छ देकर स्‍वागत किया।

कुलपति ने कहा कि संगोष्ठी के दूसरे दिन के कार्यक्रम में डीएसपीएमयू के कुलपति डॉ. तपन कुमार शांडिल्‍य ने कहा कि हमें वर्तमान जीवन शैली को बदलना होगा और प्‍लास्टिक फ्री जीवनशैली को विकसित करना होगा। वर्तमान में हमारा खान पान भी हमारे स्‍वास्‍थ्‍य सहित प्रकृति को नुकसान पहुँचा रहा है। हम वैसे भोजन का सेवन हमें अपने पारंपरिक खान-पान की शैली पर विशेष ध्‍यान देना चाहिए। उन्‍होंने कहा कि प्‍लासिटक फ्री परिवेश बनाने के लिए प्रत्‍येक व्‍यक्ति को एक लिस्‍ट बना कर अपने कार्यस्‍थल और परिसर में प्‍लास्टिक के उपयोग को कम करने का प्रयास करना चाहिये।

कुलपति आरयू प्रो. डॉ. अजीत कुमार सिन्‍हा ने कहा कि अब राँची विश्‍वविद्यालय के प्रत्‍येक कार्यक्रम में हम और हमारे छात्र एक पौधा अवश्‍य लगायेंगे। हाल में ही झारखंड सरकार से यह पत्र मिला है कि हमें एक जून से सात जून तक एक स्‍प्‍ताह का पर्यावरण सप्‍ताह मनाना है, पर हम इसे एक पखवाड़े तक आयोजित करने जा रहे हैं और यह पर्यावरण पखवाड़ा इस संगोष्ठी के 25 जून से ही प्रारंभ हो चुका है। उन्‍होंने कहा कि इस प्रयास में मैं किसी लीडर की तरह नहीं बल्कि सबों के साथ एक सहयोगी की तरह उपलब्‍ध हूं।

इस संगोष्ठी में ओरल प्रेजेंटेशन के लिए छात्रों एवं प्राध्‍यापकों को कुलपति एवं अन्‍य द्वारा पुरस्‍कृत किया गया जिसमें जमशेदपुर की पीजी की छात्रा पूजा कुमारी को प्रथम पुरस्‍कार, आरएलएसवाई कॉलेज के जूलॉजी की प्राध्‍यापक माधुरी कुमारी को द्वितीय पुरस्‍कार, मनीष कुमार साहू एंथ्रोपोलॉजी विभाग आरयू के प्राध्‍यापक को तृतीय पुरस्‍कार तथा पोस्‍टर प्रेजेंटेशनके लिए साइकॉलॉजी विभाग जेएनकॉलेज की प्राघ्‍यापक इंदू सोलंकी को पुरस्‍कृत किया गया।

इस संगोष्ठी में झारखंड ओपन युनिवर्सिटी के कुलपति डॉ. टीएन साहू ने कहा कि हमें प्रकृति के साथ सामंजस्‍य बना कर जीने की कला आनी चाहिये। यह सारी चीजें हम आदिवासी समाज से सीख सकते हैं। आदिवासी समाज वृक्षों की पूजा करता है, जल्‍दी किसी वृक्ष को काटता नहीं, उसके सारे पर्व त्‍यौहार प्रकृति के साथ जुड़े होते हैं। वास्‍तव में आदिवासी प्रकृति का रक्षक और सेवक है।
संगोष्ठि में बीएचयू बनारस से आए प्रो. एक.के. त्रिगुण, उमाशंकर सिंह ने भी जलवायु परिवर्तन विषय पर अपने शोधपरक जानकारियों से सभागार में सभी लोगों को कई महत्‍वपूर्ण जानकारियाँ दीं।

आरयू के पूर्व वरिष्‍ठ प्राध्‍यापक, मारवाड़ी कॉलेज के प्राचार्य रहे एवं शिक्षाविद् डॉ. तुलस्‍यान ने राँची विश्‍वविद्यालय द्वारा आयोजित इस दो दिवसीय संगोष्ठि की प्रशंसा करते हुए कहा कि यह प्रसन्‍नता की बात है कि राँची विश्‍वविद्यालय सहित देश भर के शिक्षाविद् और जानकार जलवायु परिवर्तन जैसे विषय पर मंथन और निदान के लिये एकत्र हुए। उन्‍होंने सबों का आभार जताया।

इस कार्यक्रम का संचालन डिप्‍टी डायरेक्‍टर वोकेशनल डॉ. स्‍मृति सिंह ने किया। धन्‍यवाद ज्ञापन प्रो. बी.के. सिन्‍हा एवं सोनी कुमारी तिवारी ने किया। प्रो. बी.के. सिन्‍हा ने धन्‍यवाद ज्ञापन किया।

इस अवसर पर कुलसचिव आरयू डॉ. मुकुंद चंद्र मेहता , एफ.ओ. डॉ. कुमार आदित्‍यनाथ शाहदेव , डॉ.फिरोज अहमद, एफए डॉ. देवाशीष गोस्‍वामी , सीसीडीसी डॉ. पी.के.झा, परीक्षा नियंत्रक डॉ. आशीष कुमार झा, एफ.ओ. डॉ. कुमार आदित्‍यनाथ शाहदेव, डीएसडब्‍ल्‍यू डॉ. सुदेश साहु, डॉ. राजकुमार शर्मा , डॉ. जीएस.झा समेत, साईंस डीन डॉ. कुनुल कुंदिर आदि उपस्थित थे।

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