साकतोडीया (खबर आजतक):- ईस्टर्न कोलफील्ड्स लिमिटेड (ईसीएल) के निदेशक (वित्त एवं कार्मिक) मो. अंज़र आलम की अध्यक्षता एवं निदेशक (तकनीकी संचालन व योजना एवं परियोजना) श्री नीलाद्रि रॉय की गरिमामयी उपस्थिति में ईसीएल परिवार ने हिंदी दिवस हर्षोल्लास के साथ मनाया। मुख्यालय स्तरीय हिंदी दिवस समारोह का क्रम क्रमशः सुस्वागतम, स्वागत भाषण कोल इंडिया गीत वादन, राजभाषा प्रतिज्ञा ग्रहण, माननीय गृह मंत्री, कोयला मंत्री, कोल इंडिया लि. के अध्यक्ष एवं ईसीएल के अध्यक्ष-सह-प्रबंध निदेशक के संदेशों का पाठ, भारत सरकार के हिंदी शिक्षण योजना के अंतर्गत प्रबोध, प्रवीण, प्राज्ञ एवं पारंगत पाठ्यक्रमों में सफल कर्मियों को प्रमाण पत्र वितरण, निदेशकगण को संबोधन, धन्यवाद ज्ञापन तथा मिष्ठान्न वितरण रहा। समारोह में विभागीय प्रधानों, अधिकारियों एवं कर्मचारियों की सक्रिय सहभागिता रही।
ईसीएल परिवार के सदप्रयास से राजभाषा दिवस एक सुखद वातावरण में समाप्त हुई।निदेशक (वित्त एवं कार्मिक) महोदय ने अपने संबोधन में कहा कि हिंदी में काम करना आदत की बात है। हमें धीरे-धीरे प्रयास करते रहना चाहिए। तकनीक ने हिंदी में काम करना सरल बना दिया है। उन्होंने प्रणाली विभाग को ईसीएल को कहा कि कर्मियों को हिंदी में कार्य करने के लिए तकनीकी रूप से सक्षम बनाने के लिए कार्यशालाएँ आयोजित करें।मनोरंजन के माध्यम से भाषा सुगमता से जनमानस व्यवहार में समाहित हो जाती है। ईसीएल आने वाले समय में हास्य कवि सम्मेलन, नाट्य उत्सव जैसे कार्यक्रम करने जा रही है। वहीं निदेशक (तकनीकी संचालन व योजना एवं परियोजना) ने अपने वक्तव्य में कहा कि ईसीएल हिंदी में अच्छा काम कर रही है जिसके लिए ईसीएल को राष्ट्रीय स्तर पर पुरस्कार भी प्राप्त हो चुका है। हिंदी फिल्मों के माध्यम से विदेशों में हिंदी का काफी प्रचार हुआ है। भारत की आपसी संवाद रूपी संपर्क भाषा हिंदी, सरल है, सुंदर है।अध्यक्ष-सह-प्रबंध निदेशक के तकनीकी सचिव श्री मदन मोहन कुमार द्वारा सभी उपस्थित जनों का स्वागत किया गया। वहीं राजभाषा विभाग के प्रमुख श्री पिनाकी चट्टराज द्वारा सभी का धन्यवाद ज्ञापित किया गया। समारोह का संचालन सुश्री सुमेधा भारती द्वारा किया गया।
भारत में हिंदी सबसे अधिक लोगों के द्वारा बोली और समझी जाने वाली भाषा है। बीतते समय के साथ इसकी लोकप्रियता और बढ़ती जा रही है। 14 सितंबर, 1949 को संविधान सभा ने जनभाषा हिंदी को राजभाषा का दर्जा प्रदान किया एवं वर्ष 1953 से पूरे भारत में 14 सितम्बर को प्रतिवर्ष हिंदी दिवस के रूप में मनाया जाता है। हिंदी सिर्फ भाषा या संवाद का ही साधन नहीं है, बल्कि हर भारतीय के बीच सामाजिक और सांस्कृतिक सेतु भी है। हिंदी का महत्व इस बात से पता चलता है कि दुनिया भर के 170 से अधिक विश्वविद्यालयों में हिंदी एक भाषा के रूप में पढ़ाई जाती है। हिंदी भाषा भारत के बाहर 20 से अधिक देशों में बोली जाती है। हिंदी राष्ट्र की एकता की संस्कृति को पोषित करने के लिए एवं सबों को समरसता के सूत्र में पिरोने की भावना के उद्देश्य से सर्वसम्मति से राजभाषा के रुप में स्वीकृत है।