नितीश_मिश्र
राँची(खबर_आजतक): राज्य के औद्योगिक विकास से जुडे मुद्दों पर शनिवार को चैंबर भवन में एक समीक्षात्मक बैठक संपन्न हुई। यह कहा गया कि राज्य के आर्थिक विकास के साथ ही रोजगार सृजन के लिए झारखण्ड में बंद पडे खदानों को जल्द शुरु किया जाना जरुरी है। इस दौरान उपस्थित सदस्यों ने कहा कि पश्चिमी सिंहभूम जिले का पूरा आर्थिक तंत्र खनिज उद्योग पर निर्भर है किंतु आज यही उद्योग बंद की स्थिति में है। मार्च 2020 में जब निजी खदानें बंद हुई उससे पहले प्रति माह लगभग 1 लाख टन लौह अयस्क की ढुलाई होती थी। पश्चिमी सिंहभूम जिले से झारखण्ड के जमशेदपुर, रामगढ़, हजारीबाग, गिरिडीह के अलावा बंगाल, उड़ीसा व छत्तीसगढ के प्लांटों में लौह अयस्क भेंजा जाता था। निजी खदानों के बंद होने से यह सारा काम भी बंद हो गया है। खदान बंद होने से इस जिले के लगभग 50 हजार लोगों की आजीविका भी प्रभावित हो रही है। यह भी कहा गया कि खदानों के बंद होने का असर क्रशर उद्योग पर भी पडा है। अयस्क नहीं मिलने के कारण कई क्रशर प्लांट भी बंद की स्थिति में पहुँच गए हैं।
वहीं चैंबर अध्यक्ष किशोर मंत्री ने कहा कि राज्य के आर्थिक विकास के साथ ही अधिकाधिक रोजगार सृजन के लिए जरुरी है कि राज्य में बंद पड़े खदानों को जल्द से जल्द चालू किए जाने की पहल की जाए। इस बैठक के माध्यम से यह सहमति बनाई गई कि चैंबर द्वारा इस मामले में उद्योग विभाग और खनन विभाग से शीघ्र समीक्षा के लिए आग्रह किया जायेगा।
इस बैठक में चैंबर अध्यक्ष किशोर मंत्री, उपाध्यक्ष अमित शर्मा, महासचिव डॉ अभिषेक रामाधीन, सह सचिव रोहित पोद्दार, शैलेश अग्रवाल, कार्यकारिणी सदस्य विकास विजयवर्गीय, सदस्य संजय अखौरी, किशन अग्रवाल उपस्थित थे।