झारखण्ड राँची शिक्षा

रितेश कुमार – संघर्ष से सफलता तक, आर्कटिक अनुसंधान की यात्रा पर निकल रहे हैं

नितीश_मिश्र

राँची(खबर_आजतक): राँची के एक छोटे से गाँव सहेर सेमर टोली, पिस्का नगड़ी से पर्यावरण विज्ञान के क्षेत्र में एक प्रमुख शोधकर्ता बनने तक की रितेश कुमार की प्रेरक यात्रा उनके अटूट समर्पण और सीखने के जुनून का प्रमाण है। रितेश कुमार का जन्म एक कृषक परिवार में जालिंदर महतो और लाली देवी के घर हुआ था, जिन्होंने अनपढ़ होने के बावजूद उनमें ज्ञान और दृढ़ता के मूल्यों को स्थापित किया। रितेश कुमार ने ज्ञान और सफलता की खोज में कई बाधाओं को पार किया है।

रितेश कुमार की शिक्षा की शुरुआत राँची के पिस्का नगड़ी में डॉ. बी.आर. अंबेडकर मेमोरियल हाई स्कूल से हुई, जहाँ उन्होंने अपनी शैक्षणिक यात्रा की नींव रखी। रितेश अपने बड़े भाई पार्थ सारथी जिन्होंने एक अभिभावक की भूमिका निभाई के सहयोग से रितेश ने अपनी माध्यमिक पढ़ाई में उत्कृष्ट प्रदर्शन किया और पर्यावरण अनुसंधान के माध्यम से दुनिया में बदलाव लाने की इच्छा जताई।

राँची के मारवाड़ी महाविद्यालय में इंटरमीडिएट की पढ़ाई पूरी करने के बाद पर्यावरण विज्ञान के प्रति रितेश कुमार के समर्पण और जुनून ने उन्हें झारखंड केंद्रीय विश्वविद्यालय में दाखिला लेने के लिए प्रेरित किया। यहाँ उन्होंने बी.एस.सी. की पढ़ाई की। पर्यावरण विज्ञान में डिग्री हमारे ग्रह के सामने आने वाली चुनौतियों और स्थायी समाधानों की आवश्यकता की गहरी समझ प्राप्त करना।

इसी क्रम में अपने अध्ययन के क्षेत्र के प्रति रितेश की प्रतिबद्धता ने उन्हें बनारस हिंदू विश्वविद्यालय, वाराणसी में अपनी शिक्षा को आगे बढ़ाने के लिए प्रेरित किया, जहाँ उन्होंने पर्यावरण विज्ञान (पर्यावरण प्रौद्योगिकी) में विशेषज्ञता के साथ में स्नातकोत्तर की डिग्री प्राप्त की। उनकी असाधारण शैक्षणिक उपलब्धियों को तब पहचान मिली जब उन्होंने पर्यावरण विज्ञान में प्रतिष्ठित आईसीएआर नेट के साथ-साथ एक बार नहीं बल्कि दो बार पर्यावरण विज्ञान में यूजीसी नेट उत्तीर्ण किया।

इस दौरान वर्तमान में रितेश कुमार गोवा में राष्ट्रीय ध्रुवीय और महासागर अनुसंधान केंद्र (एनसीपीओआर) में पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के प्रतिष्ठित रिसर्च फेलो प्रोग्राम (एमआरएफपी) के तहत जूनियर रिसर्च फेलो के रुप में कार्यरत हैं। रितेश कुमार अपने गुरु डॉ. रोहित श्रीवास्तव के मार्गदर्शन में आर्कटिक पर्यावरण को समझने और उसकी सुरक्षा के प्रति रितेश का समर्पण फला – फूला है। डॉ. रोहित श्रीवास्तव की विनम्रता और विशाल ज्ञान ने रितेश की यात्रा के लिए प्रेरणा के अमूल्य स्रोत के रुप में काम किया है। उनका शोध आर्कटिक पर्यावरण में एरोसोल के प्रभाव पर केंद्रित है, जो जलवायु परिवर्तन के प्रति अपनी संवेदनशीलता के कारण अत्यंत महत्वपूर्ण क्षेत्र है।

हालाँकि, रितेश की सफलता का सफर यहीं खत्म नहीं होता है। रितेश अपने और राष्ट्र के लिए एक ऐतिहासिक उपलब्धि में वह एक अत्यंत महत्वपूर्ण अभियान पर निकलने वाले हैं। रितेश को भारत वैज्ञानिक आर्कटिक अभियान (आईएसएई) के प्रमुख सदस्य के रुप में चुना गया है और वह 24 जुलाई 2023 को भारत से प्रस्थान करेंगे। इस महीने के अभियान के दौरान वह भारतीय आर्कटिक अनुसंधान स्टेशन हिमाद्री में रहेंगे।
इस शोध मिशन में सबसे आगे रितेश कुमार का लक्ष्य आर्कटिक की पर्यावरणीय चुनौतियों में महत्वपूर्ण अंतर्दृष्टि का अनावरण करना और क्षेत्र के पारिस्थितिकी तंत्र की हमारी समझ में महत्वपूर्ण योगदान देना है।
जैसे ही रितेश कुमार आर्कटिक के लिए रवाना होने की तैयारी करते हैं, वे अपने गाँव, सहेर सेमर टोली, पिस्का नगड़ी और पूरे देश के सपनों और आकांक्षाओं को अपने कंधों पर ले जाते हैं। उनकी कहानी आशा की किरण बनकर खड़ी है, जो यह साबित करती है कि दृढ़ संकल्प और कड़ी मेहनत से कोई भी व्यक्ति महानता हासिल करने के लिए किसी भी बाधा से ऊपर उठ सकता है।

रितेश कुमार नगड़ी क्षेत्र के इस छोटे से गाँव से निकलकर गरीबी को पीछे छोड़ते हुए इस मुकाम तक पहुँचने और ऊँचाईयों को छूने के लिए आदिवासी छात्र संघ नगड़ी प्रखंड के सभी सदस्य रितेश कुमार को शुभकामना दिए।

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