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वन संरक्षण अधिनियम में संशोधन के बाद आदिवासियों एवं मूलवासियों के वन अधिकारों का व्यापक स्तर पर होगा उल्लंघन: शिल्पी नेहा तिर्की

नितीश_मिश्र

राँची(खबर_आजतक) मांडर की विधायक शिल्पी नेहा तिर्की ने कहा है कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में केन्द्र सरकार द्वारा संसद में प्रस्तुत वन (संरक्षण) संशोधन विधेयक 2023 के रुप में एक और आदिवासी विरोधी क़ानून सामने है जिसका आदिवासियों – मूलवासियों के जीवन और उनकी संस्कृति को बहुत अधिक नुकसान होगा।

शिल्पी नेहा तिर्की ने कहा कि नए अधिनियम के तहत वन (संरक्षण) अधिनियम 1980 में कुछ परिवर्तन किए गए हैं और इसे जिस स्वरुप में सामने लाया गया है उसके तहत अब किसी प्रोजेक्ट को ग्राम सभा से अनुमोदन या अनुमति की जरूरत ही नहीं है। इससे एक ओर आदिवासियों के हित कुचले जाएँगे वहीं दूसरी ओर ग्राम सभा का स्वाभाविक अधिकार भी बाधित होगा। यह आदिवासियों – मूलवासियों के अधिकार का हनन है। यह चिन्ता की बात है।

इस दौरान शिल्पी नेहा तिर्की ने कहा कि वन संरक्षण अधिनियम में संशोधन के पश्चात आदिवासियों एवं मूलवासियों के वन अधिकारों का व्यापक स्तर पर उल्लंघन होगा। उन्होने कहा कि इन परिवर्तनों का औपचारिक उद्देश्य चाहे कुछ भी हो पर इससे न केवल आदिवासी बल्कि ग्राम सभा के अधिकारों को भी सीमित किया गया है और अब बिना उनकी अनुमति के किसी भी प्रोजेक्ट को स्वीकृति दिया जा सकता है।

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