डिजिटल डेस्क
बोकारो (ख़बर आजतक): चिन्मय विद्यालय बोकारो के तेजोमयनन्द सभागार में शिक्षकों को विश्व प्रसिद्ध भारतीय मैनेजमेंट थिंकर और व्यावहारिक चाणक्य नीति के प्रणेता डॉ राधाकृष्णन ने संबोधित किया और उन्हें सफल शिक्षक होने के कई आसान गुण बताएं। अपने संबोधन में उन्होंने कहा कि शिक्षण एक आजीविका मात्रा नहीं है। यह एक सतत शाश्वत जवलंत एवं जीवंत विचार है । एक शिक्षक केवल पाठ्यक्रम तक की सीमित नहीं रह सकता । उसे ऐसे चरित्र गढ़ने होते हैं जो भविष्य के समाज को नेतृत्व करें। शिक्षक का काम केवल विद्यालय शुरू होने से लेकर विद्यालय बंद होने तक नहीं है । आजीवन अपने शिष्यों के भविष्य निर्माण के प्रति, उनकी समस्याओं के समाधान के प्रति , प्रयत्नशील होता है। शिक्षा केवल दक्ष होना नहीं, बल्कि व्यावहारिक हो, समस्याओं के हल निकालने में सहायक हो जीवन में कई ऐसे क्षण आते हैं जब द्वंद्व की स्थिति होती है। महाभारत का उदाहरण देते हुए कहा कि अर्जुन अपने युग का महानतम योद्धा थे लेकिन निर्णायक युद्ध में द्वंद्व में फंस गए। ऐसी स्थिति में श्री कृष्ण ने गुरु की भूमिका में आकर उनकी समस्याओं का निराकरण किया।
शिक्षा नीति पर जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि शिक्षा नीति अंक प्राप्ति पर आधारित है। इसमें आत्मबल, नैतिक मूल्य, निर्णय लेने की क्षमता आदि के मूल्यांकन की कोई व्यवस्था नहीं है । कोई जरूरी नहीं की अकादमी में अव्वल आने वाला ही सफल होगा। अकादमी क्षेत्र में पिछडे छात्रों ने अपने करियर में उल्लेखनीय सफलता हासिल किया । आर्थिक, सामाजिक, सांस्कृतिक, खेल, समर एवं राजनीति में सफल प्रदर्शन किया है। उन्होंने कहा कि आज के छात्रों को अच्छे नंबर की उतनी आवश्यकता नहीं है। यह छात्र हमसे तकनीकी ज्ञान में और अन्य क्षेत्र में कहीं आगे है। उनकी सोच अलग है भविष्य नियोजित नहीं होता है भविष्य 10 वर्ष 20 वर्ष पहले आ चुका है। आज के युवा भविष्य में नौकरी की तलाश नहीं करने वाले हैं। ये नोकरी उत्पन्न करने वाले है। एक उल्लेखनीय बात उन्होंने कहीं की अभिभावक बच्चों को मीडिया के उपयोग से दूर रखते हैं यह गलत है इससे डरने की जरूरत नहीं है आवश्यकता यह जानने की है कि वह क्या देख रहे हैं ।
शिक्षक अपने आप को कैसे मूल्यांकन करें ।
उन्होंने कहा कि यदि आपके कक्षा से जाने के बाद छात्र स्वयं उस विषय में रुचि ले रहा है । उसमें करियर बनाने की बात कर रहा है तो आप ही कुशल शिक्षक है।
क्लासरूम टीचिंग को प्रभावी बनाने के लिए उन्होंने कुछ गुण बताएं।
क्या सोचे यह यह महत्वपूर्ण नहीं है, कैसे सोच यह महत्वपूर्ण है । यह बच्चों में विकसित होना चाहिए। नौकरी खोजने वाला टॉपर मत बनाएं । बच्चों में गुण एवं क्षमता का विकास हो। असाइनमेंट तक ही सीमित ना रहे। बच्चे ज्ञान- जिज्ञासु हो । हमेशा जानने के लिए उत्सुक हो । यह प्रवृत्ति विकसित करें ।
अंत में उन्होंने कहा कि खुशहाल जीवन के लिए हमेशा तैयार रहे। उनका शारीरिक, नैतिक, बौद्धिक, मानसिक एवं अध्यात्मिक विकास इस तरह से हो कि जीवन में आने वाली चुनौतियों का हंस कर सामना कर सके।
यही शिक्षा है यही शिक्षकों का कर्तव्य है। यही शिक्षा की उपयोगिता है। विश्व का सबसे सफलतम व्यक्ति अगर कोई हुआ तो विष्णुगुप्त चाणक्य । जिसने ताकतवर राष्ट्र निर्माण का सपना देखा और उस सपना को पूर्ण रूपेण सफल किया। उनकी नीति, उनके विचार, शाश्वत है। जीवन के हर एक क्षेत्र में, समाज के हर एक क्षेत्र में, और सभी वर्ग के लिए हमेशा उपयोगी है। उसे अपनाइए। मजबूती के साथ बाहर आ जाएगा।
प्राचार्य सूरज शर्मा ने अपना भाव व्यक्त करते हुए कहा कि मेरे जीवन में कई सफल व्याख्यान सत्रो में डॉ0राधाकृष्णन पिल्लई का व्याख्यान सफलतम साबित हुआ है । जिसने मेरे सहित सभी शिक्षकों के अंतर्मन को झकझोर दिया है । और आशा की किरण से जगमगाता एक मार्ग दिखा गया है । निश्चित ही डॉ राधाकृष्णन पिल्लई के द्वारा बताए गए उपाय हमारे शिक्षकों को और भी एंपावर्ड और इनलाइनटेन करेगा।
डॉ राधाकृष्णन का व्याख्यान इतना प्रभावी था कि सभी शिक्षक मन्त्रमुग्ध होकर सुनते रहे। इस व्याख्यान में विद्यालय सचिव महेश त्रिपाठी, आचार्या स्वामिनी संयुक्तनंद सरस्वती, प्राचार्य सूरज शर्मा, उप प्राचार्य नरेंद्र कुमार सहित विद्यालय के सभी शिक्षक मौजूद थे।
कार्यक्रम की शुरुआत में सम्मानित अतिथि डॉ राधाकृष्णन पिल्लई को तिलक- मिश्री एवं पुष्प- गुच्छ भेंट कर किया गया। कार्यक्रम के अंत में सुप्रिया चैधरी ने सभी को धन्यवाद ज्ञापन दिया।